
टी-20 क्रिकेट की शुरुआत जब हुई थी, तब तरह-तरह की बातें की गईं. भविष्यवाणी हुई कि इससे टेस्ट क्रिकेट खत्म हो जाएगा या वनडे क्रिकेट खत्म हो जाएगा. कुछ वक्त के लिए अलग-अलग फॉर्मेट में बदलाव तो हुआ, लेकिन खत्म कुछ नहीं हुआ. लेकिन टी-20 क्रिकेट को अलग लेवल पर पहुंचाया इंडियन प्रीमियर लीग ने, जो एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ.
आईपीएल की सफलता के बाद अलग-अलग देशों में इस तरह की लीग शुरू हुई और हर जगह पैसों की बरसात होने लगी. अब इनका असर दिखना शुरू हुआ है क्योंकि क्रिकेटर्स ने इंटरनेशनल क्रिकेट से अलग लीग को तवज्जो देना शुरू कर दिया है. हाल ही में इसका ताज़ा उदाहरण ट्रेंट बोल्ट ने पेश किया है, जिन्होंने टी-20 लीग में हिस्सा लेने के लिए न्यूजीलैंड के नेशनल कॉन्ट्रैक्ट से अलग होने का फैसला लिया.
इस फैसले के मायने क्या हैं, इसको लेकर क्या बहस छिड़ी है और क्या इसका असर है, सब जानते हैं...
क्या अब न्यूजीलैंड के लिए नहीं खेलेंगे ट्रेंट बोल्ट?
मौजूदा वक्त में दुनिया के सबसे बेहतरीन बॉलर में से एक ट्रेंट बोल्ट को न्यूजीलैंड क्रिकेट ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से रिलीज़ कर दिया है. ट्रेंट बोल्ट ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि वो अपने परिवार के साथ वक्त बिताना चाहते हैं, साथ ही डॉमेस्टिक लीग में हिस्सा लेना चाहते हैं. यानी वेस्टइंडीज़ के कई खिलाड़ियों की तरह वह भी अलग-अलग देशों में जाकर टी-20 लीग खेलना चाहते हैं.
ट्रेंट बोल्ट के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से अलग होने का मतलब यह नहीं है कि वह अब न्यूजीलैंड के लिए क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे. बस इतना होगा कि जो तय सालाना फीस उनको मिलती थी, वह अब नहीं मिलेगी. हालांकि अगर वह फिट हुए, उपलब्ध हुए और फॉर्म में हुए तो न्यूजीलैंड टीम में उन्हें सेलेक्ट किया जा सकेगा. तब उनको मैच के हिसाब से ही फीस मिलेगी.
ट्रेंट बोल्ट के फैसले को सिर्फ इसी तरह से देखा जाना चाहिए कि उन्होंने अपने करियर और फ्यूचर को देखते हुए अच्छे पैकेज वाला रास्ता चुना है. वह सरकारी नौकरी करके चीज़ों को स्थिर नहीं बल्कि प्राइवेट जॉब वाली लाइफ का लुत्फ उठाना चाहते हैं.
बोल्ट के फैसले पर आए कैसे रिएक्शन?
33 साल के ट्रेंट बोल्ट इस वक्त अपने पीक पर थे, तब भी उन्होंने ऐसा फैसला लिया. लोगों के इस फैसले पर हैरानी हुई, लेकिन एक बड़े तबके ने उनके फैसले का सम्मान भी किया. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेदबाज़ जेसेन गिलेस्पी ने इस फैसले पर मंझा हुआ बयान दिया. उन्होंने कहा कि हमको यह समझना चाहिए कि क्रिकेट अब बदल रहा है, बड़ा तबका अभी भी अपने देश के लिए खेलना चाहता है लेकिन वक्त आएगा जब लोगों की च्वाइस बदलेगी. 33 साल का एक सीमर (ट्रेंट बोल्ट) अपनी कमाई को बढ़ाना चाहता है और अपने परिवार के साथ वक्त बिताना चाहता है. इसमें बहस के लिए कुछ है ही नहीं, हमको अब रास्ते निकालने होंगे कि कैसे इंटरनेशनल क्रिकेट को जीवित रखा जाए.
न्यूजीलैंड क्रिकेट की ओर से भी बयान दिया गया है कि हम ट्रेंट बोल्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन वह भी यह समझते हैं कि टीम से सेलेक्शन में उन्हीं खिलाड़ियों को तवज्जो दी जाएगी, जिनके पास सेंट्रल या डोमेस्टिक कॉन्ट्रैक्ट हैं. कई पूर्व खिलाड़ी और एक्सपर्ट्स ने इस बात को माना है कि आने वाले वक्त में इस तरह के फैसले कई अन्य क्रिकेटर्स भी ले सकते हैं.
तो फुटबॉल बन रहा है क्रिकेट?
सिर्फ ट्रेंट बोल्ट ही नहीं बल्कि कई खिलाड़ियों ने हाल ही में ऐसे फैसले लिए हैं जहां किसी एक फॉर्मेट, किसी एक लीग को तवज्जो दी गई है. क्योंकि क्रिकेट इतना ज्यादा हो रहा है ऐसे में हर जगह हिस्सा लेना संभव नहीं है. बेन स्टोक्स ने वनडे क्रिकेट को छोड़ दिया, जो रूट जैसे खिलाड़ी टी-20 क्रिकेट नहीं खेलते हैं, हार्दिक पंड्या भी उस लीग में जा रहे हैं जहां टी-20 और वनडे को तवज्जो देते हैं.
एक सवाल यह भी है कि क्या क्रिकेट अब फुटबॉल की राह पर चल पड़ा है. क्योंकि फुटबॉल भी आज इसी स्थिति में है, जहां अलग-अलग देशों में क्लब गेम को ज्यादा तवज्जो दी जाती है और इंटरनेशनल फुटबॉल सिर्फ वर्ल्डकप तक सीमित रह गए हैं. ऐसा नहीं है कि इंटरनेशनल मैच नहीं होते हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है, उसमें स्टार कम होते हैं.
शायद कई लोग जो फुटबॉल देखते हैं उन्हें यह ना पता हो कि लियोनेल मेसी की नेशनल टीम कौन-सी है, क्रिस्टियानो रोनाल्डो की नेशनल टीम कौन-सी है. लेकिन वह किस क्लब के लिए खेलते हैं, कब-से क्लब के लिए खेल रहे हैं और बाकी चीज़ पता हो. यही कारण है कि फुटबॉल पूरी तरह से क्लब गेम वाला खेल हो चुका है, जहां इंटरनेशनल गेम्स को तवज्जो कम दी जाती है.
क्रिकेट भी अब टी-20 लीग में सिमट रहा है, अलग-अलग देशों में करीब एक दर्जन से अधिक लीग चल रही हैं कई खिलाड़ी लगभग हर लीग का हिस्सा हैं. ऐसे में इंटरनेशनल क्रिकेट साइडलाइन हो रहा है और टी-20 लीग आगे बढ़ रहा है.