
आज समझ ले कल ये मौका हाथ में ना रह पाएगा
ओ गफलत की नींद में सोने वाले धोखा खाएगा
चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है, ढल जाएगा...
क़ैसर रत्नागिरवी की लिखी गई इस मशहूर कव्वाली को आपने ज़रूर सुना होगा, कई बार गुनगुनाया भी होगा. किसी को लेकर इस्तेमाल भी किया होगा. कव्वाली की मेन लाइन ‘चढ़ता सूरज..’ कई मायनों को बयां करती है, कई हालातों को सिर्फ एक पंक्ति में ही समझा भी देती है, इसलिए बात दिल पर लगती है.
अब इस लाइन का इस्तेमाल एक जगह और किया जा रहा है, भारतीय क्रिकेट के किंग विराट कोहली के लिए. पिछले तीन साल से भारतीय फैन्स का जो रूप देखा है, वो एक ढलते सूरज की कहानी है. जिसकी सुबह कब होगी, कैसे होगी इसका इंतज़ार लंबा होता जा रहा है और हर तरह की उम्मीद खत्म हो रही है. जो विराट कोहली रन मशीन थे, कुछ दिनों के अंतर में शतक जड़ देते थे वो अब एक बड़ी पारी के लिए तरस रहे हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान में टेस्ट सीरीज़ का आखिरी मैच हुआ. पिछले साल जब विराट कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम टेस्ट क्रिकेट में आग उगल रही थी, उसी दौरान भारत ने इंग्लैंड का दौरा किया. पांच मैच की टेस्ट सीरीज़ के चार मैच हुए, भारत ने 2-1 से बढ़त बना ली और इतिहास बिल्कुल करीब था.
कोरोना ने टीम इंडिया के विजय रथ पर लगाम लगाई और एक साल के लिए मैच टाल दिया गया. अब एजबेस्टन में ये टेस्ट हुआ तो उससे पहले विराट कोहली के फैन्स पूरे जोश में थे. क्योंकि विराट कोहली का जो रौद्र रूप साल 2018 के इंग्लैंड दौरे पर देखने को मिला था, हर किसी को उम्मीद थी कि वही यहां पर भी देखने को मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, एजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में 11 और दूसरी पारी में 20 रन बनाने वाले विराट कोहली ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
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विराट कोहली का ये बुरा पैच काफी लंबा चल रहा है, तीन साल से कोई शतक नहीं आया है. लेकिन अब दिक्कत शतक की नहीं है, अब दिक्कत ये है कि कोई बड़ी पारी भी नहीं आ रही है. टीम की जरूरत या हालात के हिसाब से जो मज़बूत 50-60-70 रनों की पारी की जरूरत होती है, विराट कोहली के बल्ले से वो भी मुश्किल ही निकल रही है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या विराट कोहली इस फॉर्म के साथ प्लेइंग-11 में जगह पाने के लायक हैं?
कब तक नाम के सहारे टीम में मिलेगी जगह?
विराट कोहली ने आखिरी बार कोई इंटरनेशनल शतक साल 2019 में मारा था, उसके बाद कोरोना का काल आया. वो भी अब चला गया और इंटरनेशनल क्रिकेट पूरी तरह से नॉर्मल हो गया है, लेकिन विराट कोहली के बल्ले से कोई शतक नहीं निकला है. आखिर शतक से लेकर अभी तक विराट कोहली ने कुल 75 इंटरनेशनल पारियां खेली हैं.
विराट कोहली का कुल औसत (टेस्ट, वनडे और टी20) को मिलाकर करीब 36 का है. जिस बल्लेबाज को मौजूदा क्रिकेट का सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है, जिसका हर फॉर्मेट में औसत 50 को पार करता है उसका ऐसा हश्र किसी से देखा नहीं जाता है.
6 दिसंबर 2019 के बाद से अभी तक विराट कोहली ने कुल 65 इंटरनेशनल मैच खेले हैं, इनकी 75 पारियों में उनके नाम 2509 रन हैं. जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज के लिए सबसे ज्यादा हैं, विराट ने इस दौरान 24 अर्धशतक जमाए हैं. उनका औसत 36.89 का रहा है, वह 8 बार 0 पर भी आउट हुए हैं. विराट कोहली से इतर इस पूरे कार्यकाल में रोहित शर्मा 4, केएल राहुल 5 शतक जमा चुके हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ जारी मौजूदा सीरीज़ में विराट कोहली
5 टेस्ट, 9 पारियां, 249 रन, 27,66 औसत
6 दिसंबर 2019 के बाद विराट कोहली का रिकॉर्ड
मैच- 64, पारी- 75, रन- 2509
औसत- 36.89, अर्धशतक- 24, ज़ीरो- 0
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जब रहाणे और पुजारा पर गाज तो फिर कोहली...
भारतीय टेस्ट टीम के दो सीनियर खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा को कुछ वक्त पहले टीम से बाहर किया गया था. दोनों ही खराब फॉर्म से जूझ रहे थे, पुजारा ने 50 पारियों से कोई शतक नहीं जमाया तो अजिंक्य रहाणे भी दो साल से इसके इंतज़ार में थे. खराब पैच बड़ा तो दोनों को श्रीलंका के खिलाफ हुई सीरीज़ से बाहर कर दिया गया.
अजिंक्य रहाणे अब इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच से पहले चोटिल हो गए, तो टीम में नहीं आ पाए. हालांकि, उन्हें मौका मिलता इसकी भी कोई गारंटी नहीं थी. वहीं चेतेश्वर पुजारा को टीम में वापसी के लिए खुद को काउंटी में साबित करना पड़ा. तब जाकर उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट में खिलाया गया, इस टेस्ट की दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा ने अर्धशतक भी जमा दिया.
सवाल ये है कि जब अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा को खराब फॉर्म के आधार पर टीम से बाहर किया जा सकता है, तो विराट कोहली के लिए अलग पैमाना क्यों है. माना विराट कोहली रिकॉर्डतोड़ बल्लेबाज हैं, टीम के पूर्व कप्तान हैं और सबसे बड़े बल्लेबाजों में से एक हैं. लेकिन अगर फॉर्म और रन बनाना पैमाना है, तो हर किसी के लिए वो समान ही होना चाहिए.
देखना ये होगा कि क्या टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ता इस तरह के बड़े और कड़े फैसले के लिए खुद को तैयार कर पाते हैं? या ऐसी नौबत आने से पहले विराट कोहली का बल्ला आग उगलता है?