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लक्ष्य का पीछा करने में नहीं है 'चेजडाउन किंग' कोहली का कोई सानी

इस मैच में कोहली ने जिस तरह अकेले दम पर कंगारुओं की बैंड बजाई उससे एक बात तो साफ हो गई, भारत को दूसरा सचिन मिल गया है. सचिन बोले तो, जिसे ऑस्ट्रेलियाई बॉलरों को कूटने में मजा आता है. जो जब चाहे, अकेले दम पर मैच का रुख बदल दे.

लक्ष्य का पीछा करने के मास्टर, विराट कोहली लक्ष्य का पीछा करने के मास्टर, विराट कोहली
सूरज पांडेय
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

विराट कोहली, एक ऐसा नाम जिसने वर्ल्ड क्रिकेट को अपने मोहपाश में बांध रखा है. एक ऐसा खिलाड़ी, जिसका बल्ला जब बोलता है तो बड़ी-बड़ी टीमों की बोलती बंद हो जाती है और इंडियन टीम के प्रशंसकों का शोर बढ़ जाता है.

कंगारुओं को दिखा, कोहली पावर
कोहली ने वर्ल्ड टी20 में कंगारुओं के खिलाफ करो या मरो के हालात वाले मैच में एक बार फिर अपनी इस दमदारी का नमूना दिखाया. क्वार्टरफाइनल का दर्जा हासिल कर चुके भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच में जब कोहली बल्लेबाजी के लिए उतरे तो 161 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही टीम इंडिया शिखर धवन का विकेट सस्ते में खो चुकी थी.

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कोहली ने शुरुआत से ही संभाली पारी
कोहली के क्रीज पर आने के कुछ ही देर बाद दूसरे ओपनर रोहित शर्मा भी चलते बने. छठें ओवर में 37 रनों पर भारत अपने दोनों ओपनर खो चुका था. यहां से कोहली ने धीरे-धीरे पारी को संवारना शुरू किया. कोहली ने अभी 13 रन ही बनाए थे कि सुरेश रैना ने भी वापसी की राह पकड़ ली. एक छोर से लगातार भारत के तीन टॉप बल्लेबाज वापस लौट चुके थे लेकिन कोहली अपने संकल्प के साथ क्रीज पर डटे रहे. युवराज ने पारी की शुरुआत में ही आए क्रैम्प के बावजूद कोहली का थोड़ी देर तक अच्छा साथ दिया. 94 के कुल योग पर युवी भी वापस लौट गए.

कोहली की बैटिंग में हैं सारे गियर
जब युवराज आउट हुए तो टीम को आखिरी 6 ओवरों में जीत के लिए 67 रनों की जरूरत थी. यहां से कोहली ने अपनी बैटिंग का गियर बदला और कप्तान धोनी के साथ मात्र 31 गेंदों पर ताबड़तोड़ 67 रन जोड़ते हुए टीम इंडिया को विजयश्री दिला दी. इस मैच में अपनी पहली 20 गेंदों पर 20 रन बनाने वाले विराट ने अपनी आखिरी 21 गेंदों पर 47 रन कूट दिए. कोहली ने इस मैच में कुल 51 गेंदों का सामना कर 82 रनों की दमदार पारी खेली, जिसमें नौ चौके और दो छक्के शामिल थे.

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मिल गया भारत को दूसरा सचिन
इस मैच में कोहली ने जिस तरह अकेले दम पर कंगारुओं की बैंड बजाई उससे एक बात तो साफ हो गई, भारत को दूसरा सचिन मिल गया है. सचिन बोले तो, जिसे ऑस्ट्रेलियाई बॉलरों को कूटने में मजा आता है. जो जब चाहे, अकेले दम पर मैच का रुख बदल दे. जिसके क्रीज पर आने के साथ ही टीम इंडिया और उसके समर्थकों को भरोसा हो जाए कि, 'अब तो जीत हमारी है.'

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