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छह साल पहले आज (8 दिसंबर 2011) ही वीरू का 'क्रिकेट कारनामा' सिर चढ़कर बोला था. वेस्टइंडीज के खिलाफ वीरेंद्र सहवाग के विस्फोट से इंदौर का होल्कर स्टेडियम गूंज उठा था. तब उन्होंने वनडे इतिहास की सबसे बड़ी पारी खेली थी.
सहवाग दो साल से भी कम समय में सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़कर वनडे में दोहरा शतक (149 गेंदों में 219 रन) जमाने वाले महज दूसरे बल्लेबाज बन गए थे. सचिन ने 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में (द. अफ्रीका के खिलाफ) वनडे इतिहास का पहला दोहरा शतक (147 गेंदों पर 200* रन) जमाया था.
टीम इंडिया ने बनाया सबसे बड़ा स्कोर
सहवाग ने न सिर्फ वनडे की सर्वोच्च पारी खेली, बल्कि उनकी उस करामाती पारी की बदौलत टीम इंडिया ने वनडे का अपना सबसे बड़ा स्कोर (418/5) खड़ा किया, जो आज भी बरकरार है. इससे पहले भारत ने श्रीलंका के खिलाफ राजकोट में 15 दिसंबर 2009 को 414/7 रन बनाए थे.
तीन साल तक रहा वीरू का रिकॉर्ड
सहवाग के सर्वोच्च स्कोर का रिकॉर्ड तीन साल बाद टूटा, जब 13 नवंबर 2014 को रोहित शर्मा ने कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ 264 रनों की अद्भुत पारी खेली. खास बात यह भी थी कि सहवाग ने टीम इंडिया की कप्तानी करते हुए तूफानी बल्लेबाजी की थी. कीरोन पोलार्ड की गेंद पर स्थानापन्न खिलाड़ी एंथोनी मार्टिन ने कैच लपककर सहवाग की पारी का अंत किया था.
कप्तान थे वीरू, फील्डिंग नहीं की
सहवाग ने अपनी दमदार पारी में 7 छक्के और 25 चौके जड़े थे. मजेदार बात यह है कि 47वें ओवर में कैच किए जाने के बाद सहवाग फील्डिंग करने मैदान पर नहीं उतरे थे. सहवाग ने भारतीय पारी के 44वें ओवर में आंद्रे रसेल की गेंद को स्क्वॉयर कट से चौका बटोरकर दोहरा शतक पूरा किया.
सहवाग ने हमेशा की तरह अपनी मुट्ठी हवा में लहराकर इस अनोखे रिकॉर्ड का जश्न मनाया. क्रीज पर मौजूद साथ बल्लेबाज रोहित शर्मा ने उन्हें सबसे पहले बधाई दी. वीरू वनडे क्रिकेट का सरताज बनकर मैदान से बाहर निकले. दरअसल, तब रिकॉर्ड के राजा तब वीरेंद्र सहवाग थे.