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भले ही विराट कोहली और रवि शास्त्री को भारतीय टेस्ट टीम में बदलाव और एक मजबूत स्थिति में लाने का श्रेय दें, लेकिन सीमित ओवरों की क्रिकेट में भारतीय टीम के सामने मुश्किलें रही हैं. दक्षिण अफ्रीका में टीम इंडिया टेस्ट सीरीज के बाद वनडे सीरीज में भी हार नहीं बचा पाई. बदलाव के दौर से गुजर रही दक्षिण अफ्रीकी टीम ने एक मजबूत भारतीय टीम को 3-0 से हरा दिया. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस हार ने भारतीय टीम के सामने सीमित ओवरों में अपनी रणनीति और टीम बैलेंस को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
मौजूदा टीम इंडिया ने टेस्ट में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी टीम कई मौकों पर बेहतर साबित हुई... लेकिन नाजुक मौकों पर खराब खेल ने नतीजे में बदलाव ला दिया. इससे पहले टीम इंडिया ने टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया में लगातार 2 सीरीज जीत दर्ज की, जबकि इंग्लैंड में 2-1 से सीरीज में आगे रही. इसके साथ ही टीम इंडिया ने लंबे समय तक नंबर एक का ताज अपने सिर पर सजाए रखा. टीम ने 2021 में टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल भी खेला. लेकिन वनडे में प्रदर्शन अगले विश्व कप के लिए आत्मविश्वास नहीं जगा पा रहा है.
विदेश में मिली लगातार हार
भारतीय टीम ने पिछले 4 विदेशी दौरों में 3 वनडे सीरीज गंवाई हैं. टीम इंडिया ने इकलौती सीरीज श्रीलंका में जीती. 2020 की शुरुआत में न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया का क्लीन स्वीप किया था, न्यूजीलैंड ने 3 मुकाबलों की सीरीज को 3-0 से जीता था. जिसके बाद साल 2020 के अंत में ही टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया में भी 3 मुकाबलों की वनडे सीरीज में 2-1 से मात मिली थी. अब टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका के सामने भी 0-3 से हार गई.
2023 विश्व कप से पहले कम तैयारी का मौका
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया की हार से 2023 की तैयारियों पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. विश्व कप में 18 महीने बाकी है. भारत में होने वाले विश्व कप से पहले टीम इंडिया को अभी के FTP के मुताबिक मात्र 23 वनडे मुकाबले खेलने हैं. ऐसे में टीम इंडिया के सामने एक बड़ी चुनौती टीम के बैलेंस और कोर ग्रुप के बाद खिलाड़ियों के विकल्प को लेकर है. कम वनडे मुकाबलों की वजह से टीम इंडिया लगातार बदलाव करने की कोशिश नहीं कर सकती है.
मध्यक्रम में बदलाव की जरूरत
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया की हार का एक बड़ा कारण बना मध्यक्रम का फेल होना. तीनों मुकाबलों में टीम इंडिया को टॉप ऑर्डर ने एक बेहतर नींव रख कर दी, लेकिन टीम का मध्यक्रम दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों के सामने बेबस दिखा. श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत, वेंकटेश अय्यर और सूर्यकुमार यादव को मौका मिला, लेकिन इस सभी ने अपने प्रदर्शन से टीम को निराश किया. ऋषभ पंत तीसरे वनडे में लापरवाही से अपना विकेट फेंक कर चले गए थे. इन सभी खिलाड़ियों में मात्र ऋषभ पंत ही दूसरे वनडे में 50 रन के पार जा पाए.
टीम इंडिया के सामने यह एक बड़ी चुनौती है. केएल राहुल ने पांचवें नंबर अपने आप को स्थापित कर लिया था, लेकिन रोहित की गैरमौजूदगी में उनका ओपनिंग करना टीम के मध्यक्रम को कमजोर कर गया. ऋषभ पंत के स्वाभाविक खेल के हिसाब से उनसे अहम मौकों पर हमेशा बड़ी पारी की उम्मीद नहीं की जा सकती है ऐसे में श्रेयस अय्यर के साथ केएल राहुल ही टीम इंडिया के लिए नंबर 5 पर एक बेहतर उम्मीदवार हैं. उन्होंने इस बैटिंग पोजिशन पर 10 पारियों में 56.62 की औसत से 453 रन बनाए हैं. राहुल के साथ टीम को मध्यक्रम में जल्द ही कुछ बैक-अप उम्मीदवारों की तलाश भी करनी होगी.
स्पिन में फेल टीम इंडिया
आमतौर पर बेहतर स्पिन की उस्ताद मानी जाने वाली टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका में स्पिनर्स ने काफी छकाया. और इसके साथ ही भारतीय स्पिनर्स साल 2018 का प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहे. टीम इंडिया के लिए रविचंद्रन अश्विन ने 2, युजवेंद्र चहल ने 3 और जयंत यादव ने 1 मुकाबला खेला. इन तीनों ने मिलकर 3 मुकाबलों में सिर्फ 2 विकेट हासिल किए, वह भी सिर्फ एक गेंदबाज चहल ने. टीम इंडिया के लिए स्पिनर्स का यह प्रदर्शन एक चिंता का सबब है.
खल रही एक ऑलराउंडर की कमी
सीमित ओवरों की क्रिकेट में टीम का बैलेंस एक बेहतर ऑलराउंडर से फिट बैठता है. टीम इंडिया लंबे समय से इस कमी से जूझ रही है. इसी वजह से ही टीम को बड़े मुकाबलों में अक्सर हार का सामना भी करना पड़ता है. हालांकि शार्दुल ठाकुर और दीपक चहर ने पिछले कुछ मुकाबलों में टीम इंडिया के लिए इस रोल को अदा करने की क्षमता दिखाई है. दोनों खिलाड़ियों को विश्व कप तक लगातार मौके मिले तो विश्व कप से पहले टीम इंडिया के पास एक बेहतर नंबर 7 और नंबर के बल्लेबाज के साथ गेंदबाजी में बेहतर विकल्प मिल सकते हैं.
रणनीति में भी बदलाव की जरूरत
इंग्लैंड ने 2015 विश्व कप में बुरी हार के बाद अपने खेल और खिलाड़ियों में बदलाव कर 2019 का विश्व कप जीता, टीम इंडिया को भी सीमित ओवरों की क्रिकेट में अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है. पावरप्ले में टीम इंडिया अक्सर धीमी शुरुआत के साथ बीच के ओवरों में रन गति को बढ़ाने की कोशिश करती है. ऐसे में एक कमजोर मध्यक्रम के लगातार विकेट खोने से टीम इंडिया के इस प्लान पर बुरी तरह से असर पड़ता है. टीम को इस फॉर्मेट में अपनी रणनीति में भी बदलाव की जरूरत है.
नए कोच कप्तान पर रहेगा दबाव
2015 विश्व कप और 2019 विश्व कप के साथ 2021 के टी-20 विश्व कप में बुरी हार झेलने वाली टीम इंडिया को अगले आने वाले बड़े मुकाबलों के लिए बेहतर टीम और बेहतर रणनीति तलाश करने के लिए समय काफी कम है. ऐसे में इन बचे हुए वनडे मुकाबलों में ही टीम को अपना बेस्ट तलाशना होगा. टीम इंडिया ने पिछले साल सिर्फ 6 वनडे खेले थे, जिसमें से सिर्फ 3 में सीनियर खिलाड़ी शामिल हुए. कम वनडे मुकाबलों में उतरना भी टीम को बड़े टूर्नामेंट में भारी पड़ सकता है जो हमने दक्षिण अफ्रीका के सामने देखा.
इन सारी चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी नए कप्तान रोहित शर्मा और नए राहुल द्रविड़ के कंधो पर होगी. नए कप्तान और कोच के नेतृत्व में आने वाले कुछ समय में बदलाव जरूर देखने को मिल सकता है. कोच राहुल द्रविड़ ने भी सीमित ओवरों की क्रिकेट में बदलाव की बात की है.