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Pele dies at 82: ... जब पेले का एक मैच देखने के लिए थम गया था नाइजीरिया में गृहयुद्ध

खेल जगत के पहले वैश्विक सुपरस्टार में से एक पेले की लोकप्रियता भौगोलिक सीमाओं में नहीं बंधी थी. भ्रष्टाचार, सैन्य तख्तापलट और दमनकारी सरकारों को झेल रहे ब्राजील जैसे देश को फुटबॉल के मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई पेले ने...

 Soccer player Pele hands jersey to his father at his last professional game in 1977 (Getty) Soccer player Pele hands jersey to his father at his last professional game in 1977 (Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

Brazilian Football Legend Pele dies aged 82: फुटबॉल खेलना अगर कला है तो पेले से बड़ा कलाकार दुनिया में शायद कोई दूसरा नहीं हुआ. तीन विश्व कप खिताब, 784 मान्य गोल और दुनिया भर के फुटबॉलप्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने पेले उपलब्धियों की एक महान गाथा छोड़कर विदा हुए. यूं तो उन्होंने 1200 से अधिक गोल दागे थे, लेकिन फीफा ने 784 को ही मान्यता दी है.

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अपने पहले ही विश्व कप में ब्राजील की छवि बदल दी

17 साल के पेले ने 1958 में अपने पहले ही विश्व कप में ब्राजील की छवि बदलकर रख दी. स्वीडन में खेले गए टूर्नामेंट में उन्होंने चार मैचों में छह गोल किए, जिनमें से दो फाइनल में किए थे. ब्राजील को उन्होंने मेजबान पर 5-2 से जीत दिलाई और कामयाबी के लंबे चलने वाले सिलसिले का सूत्रपात किया.

खेल जगत के पहले वैश्विक सुपरस्टार में से एक पेले की लोकप्रियता भौगोलिक सीमाओं में नहीं बंधी थी. एडसन अरांतेस डो नासिमेंटो यानी पेले का जन्म 1940 में हुआ. वह फुटबॉल की लोकप्रियता को चरम पर ले जाकर उसका बड़ा बाजार तैयार करने वाले पुरोधाओं में से रहे.

फीफा द्वारा महानतम खिलाड़ियों में शुमार किए गए पेले राजनेताओं के भी पसंदीदा रहे. विश्व कप 1970 से पहले उन्हें राष्ट्रपति एमिलियो गारास्ताजू मेडिसि के साथ एक मंच पर देखा गया जो ब्राजील की सबसे तानाशाह सरकार के सबसे निर्दयी सदस्यों में से एक थे.

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... युद्धविराम, ताकि पेले का एक मैच देख सकें

ब्राजील ने वह विश्व कप जीता जो पेले का तीसरा विश्व कप भी था. ब्राजील की पेचीदा सियासत के सरमाये में मध्यम वर्ग से निकला एक अश्वेत खिलाड़ी विश्व फुटबॉल परिदृश्य पर छा गया. उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1960 के दशक में नाइजीरिया के गृहयुद्ध के दौरान 48 घंटे के लिए विरोधी गुटों के बीच युद्धविराम हो गया, ताकि वे लागोस में पेले का एक मैच देख सकें.

वह कोस्मोस के एशिया दौरे पर 1977 में मोहन बागान के बुलावे पर कोलकाता भी आए. उन्होंने ईडन गार्डंस पर करीब आधा घंटा फुटबॉल खेला, जिसे देखने के लिए 80000 दर्शक मौजूद थे. उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1977 में जब वह कोलकाता आए तो मानो पूरा शहर थम गया था. वह 2015 और 2018 में भी भारत आए थे.

... जब मोहन बागान की मानो किस्मत बदल गई

उस मैच के बाद मोहन बागान की मानो किस्मत बदल गई और टीम जीत की राह पर लौट आई. उसके बाद वह 2018 में आखिरी बार कोलकाता आए और उनके लिए दीवानगी का आलम वही था .

पेले के 80वें जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने कहा था, ‘आपने कभी ओलंपिक नहीं खेला, लेकिन आप ओलंपिक खिलाड़ी हैं क्योंकि पूरे करियर में ओलंपिक के मूल्यों को आपने आत्मसात किया.’

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फुटबॉल जगत में यह बहस वर्षों से चल रही है कि पेले, माराडोना और अब लियोनेल मेसी में से महानतम कौन है. डिएगो माराडोना ने दो साल पहले दुनिया को अलविदा कहा और मेसी ने दो सप्ताह पहले ही विश्व कप जीतने का अपना सपना पूरा किया.
 

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