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IPL: खलील अहमद की बोली में क्या था कन्फ्यूजन... खुद चारु शर्मा ने बताया

नीलामी में प्लेयर खलील अहमद पर बोली लगाने के दौरान ही एक गड़बड़ी हो गई थी. खलील अहमद को दिल्ली कैपिटल्स ने 5.25 करोड़ रुपए की बोली लगाकर खरीदा था...

Charu Sharma (Twitter) Charu Sharma (Twitter)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:45 AM IST
  • IPL मेगा ऑक्शन 12-13 फरवरी को खत्म
  • खलील अहमद को DC ने 5.25 करोड़ में खरीदा

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2022 की मेगा ऑक्शन 12-13 फरवरी को ही बेंगलुरु में खत्म हुई है. इसमें नीलामी के दौरान ऑक्शनर ह्यूज एडमीड्स (Hugh Edmeades) की अचानक तबीयत खराब हो गई थी. इस कारण बीच में ही उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा और चारु शर्मा को ऑक्शनर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

नीलामी में प्लेयर खलील अहमद पर बोली लगाने के दौरान ही एक गड़बड़ी हो गई थी. दरअसल, खलील अहमद को दिल्ली कैपिटल्स ने 5.25 करोड़ रुपए की बोली लगाकर खरीदा था. इसमें कुछ लोगों का दावा है कि 5.25 करोड़ की बोली मुंबई इंडियंस ने लगाई थी, लेकिन चारु शर्मा गड़बड़ी कर बैठे और खिलाड़ी को दिल्ली फ्रेंचाइजी को बेच दिया.

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यह सिर्फ अफवाह है, गलती नहीं हुई

इस पूरी गड़बड़ी पर अब खुद चारु शर्मा ने सफाई दी है. चारु ने 'आजतक' से कहा कि कुछ लोगों ने जरूर यह अफवाह चलाई है. वहां इतने सारे बड़े-बड़े लोग मौजूद थे. बड़ी-बड़ी टीम मौजूद थी. वहां कोई गलती नहीं होने देगा. वे कोई गलती नहीं होने देंगे. दिल्ली ने जो बोली लगाई, उसे मैंने ली, लेकिन जिसने नहीं लगाई, उसे नहीं ली. आखिर में मैंने भी बार-बार पूछा था. मैं एक दो बार नहीं, बल्कि 10-20 बार इधर-उधर देखता हूं. आखिर में जो बोली लगाई गई, वही मैंने ली.'

सभी 10 टीमें मेरे लिए बराबर ही थीं

चारु ने कहा कि मैं भी इंसान हूं, मुझसे भी गलती होती है, लेकिन उस ऑक्शन हॉल में मुझसे गलती नहीं हुई. मैंने उस समय बार बार कहा था कि दिल्ली ने इतने में खरीदा है. क्या मुंबई या और कोई टीम बोली लगाना चाहती है. सभी 10 टीमें मेरे लिए बराबर ही थीं. ऑक्शनर के तौर पर मैं हर तरफ देख रहा था. कोई पैडल नहीं उठाता है, तो आगे बढ़ना ही पड़ता है. मैं बार-बार यह भी पूछ रहा था कि किसी टीम को कोई दिलचस्पी है क्या. लेकिन जब कोई कॉल नहीं आई तो आगे बढ़ना ही पड़ता है.

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कई टीमें किसी खिलाड़ी पर बोली लगाने से मना कर देती हैं, तो हम किसी और की तरफ बढ़ जाते हैं. बाद में देखते हैं कि वही मना करने वाली टीम फिर बोली लगा देती है. यह सब हमें संभालना पड़ता है. 600 नाम थे और सिर्फ दो दिन थे, कोई 5-6 दिन नहीं थे, इसलिए जल्दी आगे बढ़ना भी जरूरी था.

 

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