
भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के मौजूदा कोच और भारतीय क्रिकेट की दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को साल 2014 में एक इवेंट में वक्ता के तौर पर बुलाया गया. राहुल द्रविड़ जैसा बड़ा खिलाड़ी जब कुछ कहे तो युवाओं और नए क्रिकेटर्स के लिए वह एक मंत्र ही होता है. राहुल द्रविड़ ने यहां एक कहानी सुनाई वो कहानी एक दूसरे क्रिकेटर की थी, नाम प्रवीण तांबे (Pravin Tambe).
‘लोगों की उम्मीद रहती है कि मैं सचिन, गांगुली, लक्ष्मण या कुंबले की बात करूंगा लेकिन मैं एक कहानी सुनाना चाहूंगा जो प्रवीण तांबे की कहानी है. आईपीएल के जरिए उनका नाम आपका ज़रूर सुना होगा, प्रवीण ने मुंबई के अलग-अलग ग्राउंड में करीब 20 साल तक क्रिकेट खेला. लेकिन वो कभी भी मुंबई का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाए, ये लगातार 20 साल तक चलता रहा. ये कहना आसान है लेकिन करना मुश्किल है, प्रवीण ने ये किया.’
राहुल द्रविड़ ने आगे कहा, ‘जब हमने राजस्थान रॉयल्स के लिए प्रवीण तांबे को देखा तब वहां किसी युवा क्रिकेटर ने कहा कि ये अंकल कौन है. हमारे सीईओ ने भी मुझसे इस बारे में कहा कि आपने कैसे 41 साल के इंसान को सिलेक्ट किया है. तब मैंने उनसे कहा कि नहीं, इसमें कुछ है जिसपर हमें विश्वास है. अगले पूरे आईपीएल में प्रवीण तांबे को खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उसके बाद भी वह उसी प्रेरणा के साथ मेहनत करते गए’.
प्रवीण तांबे को लेकर राहुल द्रविड़ ने एक लंबा भाषण दिया, जिसका एक ये छोटा-सा हिस्सा है. 41 साल के प्रवीण तांबे ने कुछ साल पहले सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलने का मौका मिला था. अब हॉटस्टार पर एक फिल्म आई है, जिसका नाम ‘कौन प्रवीण तांबे?’ है. जब से इस फिल्म का ट्रेलर आया और अब ये फिल्म रिलीज़ हुई है. इस फिल्म की शुरुआत भी राहुल द्रविड़ की इसी स्पीच से होती है.
ऐसा क्या है इस फिल्म में जो इसकी इतनी तारीफ हो रही है?
प्रवीण तांबे के किरदार को श्रेयस तलपड़े ने निभाया है. श्रेयस तलपड़े एक बार फिर एक संघर्ष करते क्रिकेटर के किरदार में दिखे हैं, ऐसे में दर्शकों को फिर से ‘इकबाल’ फिल्म की याद ज़रूर आएगी. मुंबई में रहने वाला प्रवीण जो मीडियम पेस बॉलर है, उसकी कहानी भी शायद हर उस लड़के की तरह है जो बचपन में सिर्फ क्रिकेट ही खेलता है उसके अलावा कोई सुध नहीं है.
लेकिन प्रवीण तांबे की कहानी अलग है, क्योंकि यहां पर जुनून भी साथ आया है. 12 साल की उम्र से प्रवीण तांबे का सपना है कि उन्हें रणजी टीम का हिस्सा बनना है. 12 से उम्र 22, 32 और 42 तक जाने को है, लेकिन ये सपना ही रहा था. फिल्म की कहानी एक मैदान से दूसरे मैदान, एक ट्रायल से दूसरे ट्रायल तक दिखाया जाने वाला संघर्ष है.
मुंबई की भागादौड़ी में मिडिल क्लास फैमिली का संघर्ष, शादी की ज़िम्मेदारियां और बढ़ती उम्र के साथ नई पीढ़ी से मिलने वाली चुनौती है. हालांकि, फिल्म की कहानी में सबसे बड़ा जज्बा यही मिलता है कि प्रवीण तांबे ने अपना गोल कभी नहीं छोड़ा. सबका लाख बार समझाने के बाद भी वह अपनी जिद से पीछे नहीं हटे थे.
इस बीच अड़चनें काफी आईं, जैसे पैर का टूट जाना, नए कोच का आ जाना. लेकिन ये किस्मत बदलने का काम भी करती दिखीं. मीडियम पेसर से कैसे प्रवीण तांबे एक स्पिनर बन गए और फिर उनकी किस्मत पलटने लगी. और उसके बाद की पूरी कहानी वही है जो राहुल द्रविड़ ने अपनी उस स्पीच में सुनाई है.
प्रवीण तांबे ने साल 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में राजस्थान रॉयल्स के लिए अपना पहला मैच खेला था. जबकि साल 2016 में बेंगलुरु के खिलाफ वह आखिरी बार मैदान में उतरे थे. 41 की उम्र में आईपीएल का डेब्यू और 44 की उम्र में आखिरी मैच. प्रवीण तांबे ने इन तीन साल में ही उन 20 साल की मेहनत के निचोड़ वाला स्टारडम पा लिया था.
मैदान से बाहर होने के बाद भी प्रवीण तांबे अलग-अलग टीम के साथ जुड़े रहे. पहले सनराइजर्स हैदराबाद और अब कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ बतौर सपोर्ट स्टाफ के मेंबर के तौर पर जुड़े हैं. आईपीएल शुरू होने के बाद कोलकाता नाइट राइडर्स के सभी खिलाड़ियों के साथ मिलकर इस फिल्म को देखा. टीम के लोगों ने प्रवीण तांबे को सलाम किया, जब प्रवीण अपनी बात कहने लगे तो फूट-फूटकर रोने भी लगे.