
कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के सीईओ अचानक सुर्खियों में आ गए हैं. दरअसल, केकेआर के कप्तान श्रेयस अय्यर से जब प्लेइंग-11 में बदलाव को लेकर बात हुई, तब उन्होंने कहा कि प्लेइंग इलेवन चुनने में कोच के साथ ही सीईओ की भी भूमिका होती है. श्रेयस के इस बयान के बाद क्रिकेट जगत में नई बहस छिड़ गई है क्योंकि आमतौर पर प्लेइंग इलेवन को लेकर अंतिम फैसला कप्तान और कोच ही लेते हैं.
वैंकी मैसूर बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के पद पर भी कार्यरत हैं. वह पहले सन लाइफ फाइनेंशियल, एसएलएफसी एश्योरेंस (यूके) लिमिटेड और मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक रह चुके हैं.
क्रिकेट से रहा है पुराना नाता
वैंकी मैसूर का क्रिकेट से काफी पुराना नाता रहा है. मैसूर कॉलेज के दिनों में मद्रास यूनिवर्सिटी के लिए क्रिकेट खेला करते थे. वैंकी मैसूर एक समय रणजी ट्रॉफी खेलने की कगार पर थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें खेल छोड़कर एमबीए करने के लिए मजबूर किया. नतीजतन साल 1985 में वैंकी अमेरिका चले गए, जिसके बाद क्रिकेट की जगह वित्त (Finance) एवं बीमा (Insurance) ने ले ली.
वैंकी मैसूर का ये है लक्ष्य
वैंकी मैसूर आईपीएल जैसे टूर्नामेंट्स को एक प्रोडक्ट मानते हैं, जो वित्तीय समावेशन का एक अलग रूप है. उनके अनुसार लीग क्रिकेट एक बड़ी सफलता है, जिसमें टीमों को स्वीकृति और लॉयल्टी मिल रही है. वैंकी मानते हैं कि फ्रेंचाइजी क्रिकेट को छोटे शहरों तक ले जाना जरूरी है. वैंकी मैसूर का मुख्य लक्ष्य विश्वविद्यालयों और स्कूलों की प्रतिभा को पहचानना और उनका पोषण करना है. साल 2010 से वैंकी मैसूर केकेआर से जुड़े हुए हैं.
2010 में मेटलाइफ से अलग हो गए वैंकी
वैंकी मैसूर का पूरा नाम वेंकटेश सत्यराज मैसूर था, लेकिन अमेरिका में उनके सहयोगियों ने उनका नाम छोटा करके वेंकी रख दिया और तब से वह वैंकी के नाम से जाने जाते हैं. वैंकी मैसूर साल 1998 में बिजनेस पार्टनर्स की पहचान करने एवं मेटलाइफ के भारत में संचालन हेतु स्वदेश लौट आए. अमेरिका में मेटलाइफ के प्रभुत्व के बावजूद भारत में इसने कभी भी बड़े या मध्यम आकार की कंपनी का दर्जा हासिल नहीं किया. साल 2010 में उन्होंने मेट लाइफ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर का पद छोड़ दिया.