
डियर विराट,
विराट भाई, इंडियन प्रीमियर लीग की आपाधापी और मुंबई की चिलचिलाती गर्मी में लगातार मैच खेलने में काफी दिक्कतें पैदा हो रही होंगी. इन सबके बीच कोरोना की वजह से टीमों के लिए बनाया गया बायो-बबल भी एक मुश्किल भरी चीज़ है, जहां आप अपने परिवार और करीबियों से दूर होंगे. कोरोना काल के बीच कई लोगों ने इस तरह की मुश्किलें झेली हैं. लेकिन इन सबके बीच भी आप लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं, जो बेहतरीन चीज़ है.
लेकिन आईपीएल के इस सीजन में बल्ले से जो हाल हुआ है, वह देखने लायक नहीं है. लगातार दो मैच में गोल्डन डक पर आउट होना किसी भी बल्लेबाज के लिए आम बात नहीं है, खासकर आपके (विराट कोहली) जैसे बल्लेबाज के लिए तो बिल्कुल भी नहीं. हम क्रिकेट फैन हैं, आलोचक हैं हमको दुख होता है, लेकिन हमें मालूम है कि इससे कहीं ज्यादा दुख, तकलीफ और दर्द आपको हुआ होगा.
ये सिर्फ इस आईपीएल की बात नहीं है ये सिलसिला 2019 से चलता आ रहा है, जब आपने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय शतक मारा था. आपका करियर शुरू हुआ और शतकों की झड़ी लगी, तब हर कोई कहता था ये लड़का सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ देगा. हम नहीं मानते थे, लेकिन आपने हमें गलत साबित कर दिया और अपने जज्बे से कुछ ऐसा किया हमको यकीन हुआ. खुद से ज्यादा यकीन आप पर हुआ.
ये भी पढ़ें: विराट कोहली को क्या हुआ? लगातार दूसरे मैच में पहली बॉल पर ही हुए आउट, खुद भी रह गए हैरान
2019 से 2022 के बीच जो भी हुआ, उसने उस यकीन की बुनियाद को हिला दिया है. चीज़ें हमेशा एक जैसी नहीं रह सकती हैं, सुबह है तो शाम भी होगी. बल्लेबाज अच्छी फॉर्म में है, तो बुरा दौर भी आएगा. लेकिन ऐसा नहीं. ये किसी बल्लेबाज के बुरे दौर से ज्यादा कुछ है, जिसे आपका चाहने वाला या नहीं चाहने वाला भी महसूस कर रहा है.
शायद ऐसा और भी ज्यादा तब नज़रों में आने लगा है, जबसे आपकी कप्तानी गई है. वैसा जोश, वैसा जज्बा कभी-कभी फील्ड में तो नज़र आता है. लेकिन रनों के लिए भूखा विराट, विरोधी टीम पर टूट पड़ने वाला विराट अब नज़र नहीं आता है. खराब फॉर्म से ज्यादा एक फैन के लिए यही सबसे बड़ा चिंता का विषय है, क्योंकि जिस किंग कोहली को हम जानते हैं वो खो गया है.
आपके साथ लंबे वक्त तक काम करने वाले टीम इंडिया के पूर्व कोच रवि शास्त्री और बाकी कई पूर्व क्रिकेटरों ने कहा है कि आपको एक ब्रेक लेना चाहिए. लंबा ब्रेक. मौजूदा दौर में जितना क्रिकेट हो रहा है, उस बीच आप लगातार ब्रेक लेते रहे हैं. लेकिन वो एक सीरीज़, कुछ मैचों का होता है, उसमें भी आप किसी एड फिल्म को शूट करने में बिजी रहते हैं. इस दौर को खत्म करने के लिए आपको रवि शास्त्री और बाकी सभी की बात माननी चाहिए, शायद ये बहुत बेहतर साबित हो.
क्रिकेट के मैदान से दूर, एड फिल्मों की दुनिया से दूर आपको एक ब्रेक लेना ही चाहिए. जहां सिर्फ आप, आपकी पत्नी, बेटी और परिवार के सदस्य हों. ना लोगों की आपाधापी, ना हमारे जैसे फैन जो आपके हर एक्शन पर नज़र रख रहे हों. ये ब्रेक शायद आपकी फॉर्म, आपके मनोबल और भारतीय क्रिकेट के लिए संजीवनी साबित हो जाए. वैसे भी कहावत है ही शेर जब दो कदम पीछे हटता है, इसका मतलब ये नहीं कि वो हार रहा है, बल्कि वो अपने निशाने के लिए तैयार हो रहा है.
ये ब्रेक की बातें ऐसे ही सामने नहीं आई हैं, इस आईपीएल में अभी तक आपने 8 मैच में 119 रन बनाए हैं. अगर सभी पारियों को देखें तो 41*, 12, 5, 48, 1, 12, 0, 0 का स्कोर रहा है. पहले मैच में आपको रन बनाते देखा तो उम्मीद जगी और लगा कि इस आईपीएल में इतिहास रचा जाएगा. लेकिन इतिहास की भाषा बदल गई. किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के बल्लेबाज के साथ ऐसा होता है, लेकिन आप अलग हैं और आपके आउट होने का तरीका इस बार काफी जुदा रहा है. यही पर चीज़ें अलग हो जाती हैं.
कप्तानी के दौर में आपके फैसलों से फैन्स की राय चाहें कितनी भी जुदा रही हों, लेकिन हर किसी ने आपको लीडर माना. अब आप कप्तान नहीं हैं, लेकिन जैसा आपने कहा कि अब भी आप ग्रुप में एक लीडर हैं और टीम के सबसे बेस्ट-सीनियर प्लेयर भी हैं. ऐसे में उस प्लेयर के झुके कंधे सिर्फ टीम के खिलाड़ियों का ही नहीं देश का हौसला तोड़ते हैं. ऐसा मत कीजिए.
आईपीएल की मोहमाया को छोड़ दीजिए. पूर्व क्रिकेटर्स की सलाह पर विचार करते हुए अपने दिल की सुनिए. अगर दिल गवाही देता है, तो ब्रेक पर जाइए. हमारे-आपके सामने टी-20 वर्ल्डकप, 50 ओवर वर्ल्डकप और टेस्ट चैम्पियनशिप है. हमें आपके पुराने वाले अंदाज़ की जरूरत है और आपको भी. क्योंकि अब बहुत हुआ, अब हमसे ऐसा विराट कोहली नहीं देखा जाता है.
अभी 24 अप्रैल को ही राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि थी, उनकी लिखी रश्मिरथी अक्सर लोगों को एक नई प्रेरणा देती है. उसी में एक किस्सा है, जब कर्ण से उनका सबकुछ छिन जाता है लेकिन वो युद्ध के लिए तैयार रहते हैं और किसी से नहीं डरते हैं. तब कर्ण अपना हाल सुनाते हुए कहते हैं...
'कवच-कुण्डल गया; पर, प्राण तो हैं,
भुजा में शक्ति, धनु पर बाण तो हैं,
गई एकघ्नि तो सब कुछ गया क्या?
बचा मुझमें नहीं कुछ भी नया क्या?
समर की सूरता साकार हूं मैं,
महा मार्तण्ड का अवतार हूं मैं
विभूषण वेद-भूषित कर्म मेरा,
कवच है आज तक का धर्म मेरा.'
आपका धर्म यही क्रिकेट का खेल है और हमें युद्धभूमि में आपकी जरूरत है.
शुक्रिया विराट भाई,
एक क्रिकेट फैन.