
Akash Madhwal Life Story: 'आज अक्कू (आकाश मधवाल का घर का नाम) के पापा होते तो उन्हें बहुत खुशी होती, हम अकेले में ही सारी खुशियां देख रहे हैं. अक्कू के पापा ने तो केवल नौकरी की, अब उनके लिए सही मायने में खुशी के दिन आए थे. उनकी बहुत कमी खल रही है. यह बात कहते हुए आकाश मधवाल की मां आशा मधवाल इमोशनल हो गईं.'
मैच के बाद आकाश को जब प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला तो उनके आंसू छलक पड़े. आकाश के भाई आशीष ने कहा- मां ने बस यही कहा आज अक्कू ने नाम रोशन कर दिया. पूरा मधवाल परिवार आकाश की सफलता पर गदगद है.
आकाश के अलावा परिवार में उनके बड़े भाई आशीष मधवाल हैं. आशीष का प्रॉपर्टी का बिजनेस है. कोरोना से पहले वो गार्मेंट का काम कर रहे थे, लेकिन उसे उन्हें बंद करना पड़ा.
आकाश की मां आशा मधवाल अपने बेटे की सफलता के बारे में जब 'आज तक' से बात कर रही थीं तो उनकी आवाज में बेटे की कामयाबी का सुख और पति के साथ ना होने का दर्द साफ तौर पर झलक रहा था.
आशा मधवाल ने कहा- 5 विकेट लेने के बाद वो बहुत खुश था. वो हर मैच से पहले और खत्म होने के बाद फोन करता है. लखनऊ के खिलाफ मैच खत्म होने के बाद फोन किया और कहा खाना खा लिया और रात में दो बजे की अहमदाबाद की फ्लाइट है, जहां मुंबई को गुजरात टाइटन्स से क्ववालिफायर-2 मुकाबला खेलना है.
आकाश की मां ने हमें बताया- उसने रूड़की में मौजूद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (COER) से सिविल इंजीनियरिंग की. फिर बहादराबाद ब्लॉक में 2016 से 2018 साल के बीच JE (जूनियर इंजीनियर) की नौकरी भी की. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट का ट्रायल दिया. फिर जाकर उसने उत्तराखंड के लिए क्रिकेट खेला.
ऐसे में आकाश की कहानी भी महेंद्र सिंह धोनी से मेल खाती है. जो भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्टर की नौकरी करने के बाद क्रिकेट में आए थे.
उत्तराखड़ के रामनगर का रहने वाला है मधवाल का परिवार
29 साल के आकाश का परिवार मूलत: उत्तराखंड के रामनगर का रहने वाला है, लेकिन उनका बचपन रूड़की में ही बीता. उनकी पढ़ाई रूड़की के आर्मी स्कूल और भीमताल में मौजूद हरमन मेनर स्कूल (Hermann Gmeiner School) से हुई है.
2012 में पिता के निधन से टूट गए थे
आकाश के पिता भारतीय सेना के बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप (Bengal Engineer Group) में कार्यरत थे. उनका मेरठ में जॉब के दौरान हार्ट अटैक से निधन हो गया. इसके बाद परिवार की रोजी रोटी पेंशन के माध्यम से चलती रही. आकाश के भाई आशीष ने कहा वह पिता के निधन से टूट गया था, लेकिन फिर उसने खुद को संभाला और क्रिकेट और पढ़ाई में फोकस किया.
कैसे शुरू हुआ क्रिकेट में इंटरेस्ट
आकाश के भाई आशीष ने बताया रूड़की के COER कॉलेज में जब आकाश ने 2013 में एडमिशन लिया तो यहीं से उसका क्रिकेट में इंटरेस्ट जागा, वहां मैदान अच्छा था. यहीं उसने लेदर बॉल से खेलना शुरू किया. इससे पहले तक वह लोकल टूर्नामेंट में खेलने के लिए जाता था. कुल मिलाकर उसे क्रिकेट पसंद तो शुरू से ही था. 2018 में जब उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता मिली तो उसने देहरादून में ट्रायल दिया, जहां उसका सेलेक्शन हो गया. 2019 में उसका पहली बार सेलेक्शन हुआ. अब वह छोटे फॉर्मेट में उत्तराखंड की टीम का कप्तान भी है.
कोच अवतार का अहम रोल, डेल स्टेन हैं आदर्श
आशीष ने बताया कि आकाश की जिंदगी में उसके कोच अवतार का बहुत बड़ा हाथ है. शुरुआत में उन्होंने उसको सपोर्ट किया. वहीं गेंदबाजी में वह डेल स्टेन को फॉलो करता है. आशीष ने कहा- रोहित भाई (रोहित शर्मा) ने उसे बहुत बैक किया है. इसी वजह से उसका प्रदर्शन बहुत शानदार रहा.
टीम इंडिया में जगह बनाना लक्ष्य
आकाश के भाई आशीष ने कहा कि भले ही वो 20 लाख रुपए की कीमत में मुंबई इंडियंस में शामिल हुआ हो. लेकिन उसका एकमात्र लक्ष्य टीम इंडिया में जगह बनाना है. वह चाहता है कि उसे ब्लू जर्सी मिले.