Bajrang Punia Sakshi Malik: इंग्लैंड के बर्मिंघम में खेले जा रहे 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स के 8वें दिन साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत 6 पहलवानों ने अपना दम दिखाया है. बजरंग, साक्षी और दीपक पूनिया ने गोल्ड जीता, तो अंशु मलिक ने सिल्वर जीता. दिव्या काकरान और मोहित ग्रेवाल ने ब्रॉन्ज पर कब्जा जमाया.
इन सभी पहलवानों की अपनी एक अलग ही कहानी है. साक्षी अपने दादा को देखकर पहलवान बनी हैं, तो बजरंग चूरमा खाकर रेसलर बने हैं. गोल्डन बॉय बजरंग को चूरमा बेहद पसंद है. लगभग सभी पहलवानों को यह कुश्ती विरासत में ही मिली है.
दीपक के पिता और दादा भी पहलवान थे और यही वजह थी कि महज 4 साल की उम्र से ही दीपक पहलवानी में दिलचस्पी लेने लगे. दीपक ने अपना पहला दंगल जीत कर 5 रुपए कमाए थे. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि दीपक को केतली पहलवान भी कहा जाता था. वह बचपन में पतले-दुबले थे, मगर उनमें काफी फुर्ती थी. इस वजह से उन्हें केतली पहलवान कहते थे.
साक्षी का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गाँव में हुआ था. अपने पहलवान दादा सुबीर मलिक से प्रेरित होकर ही साक्षी ने रेसलिंग में कदम रखा. उन्होंने 12 साल की उम्र में ईश्वर दहिया से कोचिंग भी ली. साक्षी ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान भी हैं. उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज जीता था.
सोनीपत के रहने वाले बजरंग के पिता भी पहलवान रह चुके हैं. बजरंग ने महज सात साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. बजरंग ने पहलवान संगीता फोगाट से नवंबर 2020 में शादी की. तब दोनों ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के नाम पर 8वां फेरा भी लिया था.
हरियाणा के निदानी गांव की रहने वाली अंशु के परिवार में भी ज्यादातर पहलवान ही हैं. अंशु के पिता धर्मवीर भारतीय जूनियर रेसलिंग टीम का हिस्सा थे, वहीं चाचा पवन साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. अंशु ने 11 साल की उम्र में अपने भाई के साथ कुश्ती शुरू की थी. अंशु (57 किग्रा) पिछले साल वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला पहलवान बनी थीं.
पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में ब्रॉन्ज जीतने वाली दिव्या को इस बार भी ब्रॉन्ज से ही संतोष करना पड़ा है. उन्होंने अब तक ओलंपिक को छोड़कर लगभग सभी प्रतियोगिताओं में मेडल जीते हैं. उनके पिता ने हाल ही में बताया था कि यूपी के मुजफ्फरनगर में जन्मीं दिव्या ने करीब 75 से ज्यादा नेशनल-इंटरनेशनल मेडल जीते हैं.
भिवानी के रहने वाले मोहित ग्रेवाल ने स्थानीय अखाड़े से शुरुआत की थी. उन्होंने करियर का पहला इंटरनेशनल मेडल 2016 में तुर्की में हुई वर्ल्ड स्कूल चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता था. घुटने की चोट के कारण उन्होंने 2019 और 2020 में कोई टूर्नामेंट नहीं खेला. मगर अब कॉमनवेल्थ के फ्रीस्टाइल 125 किग्रा में ब्रॉन्ज जीतकर शानदार वापसी की
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