
Roshibina Devi, Asian Games: चीन के हांगझोउ में जारी एशियन गेम्स में भारतीय स्टार वुशू प्लेयर नाओरेम रोशिबिना देवी ने भारत को सिल्वर मेडल दिलाया और इतिहास रच दिया है. रोशिबिना मणिपुर की रहने वाली हैं, जहां इस समय दो समुदायों के बीच हिंसा जारी है. मेडल जीतने के बाद रोशिबिना अपने राज्य और गांव के बारे में बात करते हुए इमोशनल हो गईं और उनका दर्द छलका. उन्होंने कहा कि मेरा गांव उबल रहा है.
वुशू में सिल्वर मेडल जीतने वाली रोशिबिना के लिए 'जलते हुए मणिपुर' के बारे में नहीं सोचना मुश्किल था, जो पिछले कुछ समय से स्थानीय जातियों मैतेई और कुकी के बीच जातीय हिंसा से जल रहा है. रोशिबिना के लिए मुश्किल था कि वह डर अपने मन पर हावी नहीं होने दें और एशियाई खेलों में पदक जीतने के अपने काम पर ध्यान लगाएं.
'मेरा गांव पांच महीने से उबल रहा'
उन्होंने कम लोकप्रिय खेल वुशू में पदक जीतने का लक्ष्य हासिल कर लिया, लेकिन अपनी माता-पिता की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. 22 साल की रोशिबिना ने गुरुवार के रजत पदक जीतने के बाद पीटीआई से कहा, 'किसी भी समय कुछ भी हो सकता है.'
चीन में मणिपुर की इस खिलाड़ी ने अपनी उपलब्धि का जश्न भी नहीं मनाया. रोशिबिना ने कहा, 'मेरे परिवार का कोई सदस्य या रिश्तेदार हिंसा से प्रभावित नहीं है, लेकिन मेरा गांव पिछले लगभग पांच महीने से उबल रहा है. मणिपुर मई से मुश्किल में है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. इसलिए मैं अपने माता-पिता और भाई-बहनों को लेकर चिंतित हूं.'
चार महीने से अधिक समय से रोशिबिना के आसपास के लोग उन्हें हिंसाग्रस्त मणिपुर में उस संघर्ष से बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका सामना उनके परिवार को करना पड़ रहा है, जिससे कि वह अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकें. यह रणनीति काम कर गई, जब उन्होंने वुशू की सांडा 60 किग्रा स्पर्धा में रजत पदक जीता. उन्होंने इंडोनेशिया में 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था.
मणिपुर हिंसा में 180 से अधिक की मौत
मणिपुर में तीन मई से शुरू हुई जातीय हिंसा में 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई सौ लोग घायल हुए हैं. राज्य में अधिक जनसंख्या वाले मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के खिलाफ निकाले गए 'आदिवासी एकता मार्च' के बाद हिंसा शुरू हुई.
मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखने वाली रोशिबिना ने कहा, 'हिंसा नहीं रुकी है, यह सिर्फ बढ़ ही रही है. मुझे नहीं पता कि यह कब रुकेगी. मैंने इसके बारे में अधिक नहीं सोचने का प्रयास किया लेकिन इसका मुझ पर असर पड़ता है. मैं भारत के लिए खेलती हूं और मैं मणिपुर में हालात सामान्य करने में मदद का आग्रह करती हूं.'
मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखती हैं रोशिबिना
रोशिबिना का गांव बिष्णुपुर के जिला मुख्यालय से लगभग चार किमी दूर है जो चुराचांदपुर से लगभग 35 किमी दूर है. बिष्णुपुर और चुराचांदपुर मणिपुर में हिस्सा से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में शामिल हैं. चुराचांदपुर कुकी बहुल क्षेत्र है.
दोनों समुदायों के बीच संघर्ष में कई लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं. प्रत्येक परिवार को अपने गांवों की सुरक्षा के लिए एक सक्षम पुरुष और महिला को भेजना होता है और रोशिबिना के माता-पिता भी इसके अपवाद नहीं हैं.
'मणिपुर हिंसा के बारे में रोशिबिना को ज्यादा नहीं बताते'
रोशिबिना के छोटे भाई नाओरेम प्रियोजीत सिंह ने मणिपुर से कहा, 'मेरी मां मीरा पैबिस (महिला मशाल वाहक) के हिस्से के रूप में आत्म सुरक्षा गतिविधियों में भाग लेती हैं और मेरे पिता भी हमारे गांव में गश्त और सड़कों और गलियों की देखभाल में भाग लेते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम उसे मणिपुर में तनावपूर्ण स्थिति के बारे में ज्यादा नहीं बताते क्योंकि इससे उसके खेल पर असर पड़ेगा. उसने पिछले हफ्ते फोन किया था, लेकिन मेरे माता-पिता ने उसे केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था.'