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भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने राजनीति में एंट्री कर ली है. 30 साल के बजरंग 6 सितंबर (शुक्रवार) को कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. बजरंग के अलावा महिला पहलवान विनेश पूनिया ने भी कांग्रेस पार्टी का दामन थामा. विनेश ने पेरिस ओलंपिक 2024 में फाइनल तक का सफर तय किया था, हालांकि खिताबी मुकाबले से पहले उन्हें डिस्क्वालिफाई कर दिया गया था.
क्या अब कुश्ती के मैट से दूर हो गए बजरंग?
टोक्यो ओलंपिक (2020) के कांस्य पदक विजेता बजरंग ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक एक महीना पहले कांग्रेस से जुड़ने का फैसला किया है. बजरंग पूनिया ने एक बार कहा था कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि कौन उनके साथ है क्योंकि जब वह दिमाग में यह सोच लेते हैं कि वह अपराजेय हैं, उन्हें कोई नहीं हरा सकता. भारतीय कुश्ती के दिग्गजों में शुमार बजरंग ने मैट पर कई बुलंदियों को छुआ तो मैट के बाहर काफी बुरे दौर भी देखे. बजरंग पूनिया फ्रीस्टाइल वर्ग में दुनिया की नंबर एक रैंकिंग पर पहुंचने वाले पहले भारतीय थे. वहीं विश्व चैम्पियनशिप में 4 मेडल जीतने वाले भी पहले भारतीय हैं.
बजरंग ने आधिकारिक तौर पर खेल से संन्यास नहीं लिया है, लेकिन अब उनके इस नए कदम से तय है कि कुश्ती अब उनकी प्राथमिकताओं में नहीं है. इसकी शुरुआत महीनों पहले ही हो गई थी. उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता और भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर आंदोलन की अगुवाई की. वह विनेश, साक्षी मलिक और अपनी पत्नी संगीता फोगाट के साथ खड़े रहे जिन्होंने इंसाफ की मांग को लेकर दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन किया.
पहलवान बलवान सिंह के बेटे बजरंग बचपन में ही तड़के अपने परिवार को बताए बिना अभ्यास के लिए निकल जाते थे. वह 14 साल की उम्र में अखाड़े से जुड़े. कुश्ती में झंडे गाड़ने के बाद वह व्यवस्था को बदलने वाले कार्यकर्ता बन गए. यही वजह है कि बृजभूषण के कथित तानाशाही रवैये के खिलाफ आवाज बुलंद करने में उन्हें डर नहीं लगा. राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (NADA) के तौर तरीकों पर प्रश्नचिह्न लगाने से पहले भी उन्होंने अंजाम की परवाह नहीं की.
वैसे यह बगावत उन्होंने करियर के ढलने के बाद शुरू की. साक्षी और विनेश के साथ जब वह सड़कों पर प्रदर्शन के लिए निकले तब चार विश्व चैम्पियनशिप, एक ओलंपिक, दो एशियाई खेल, तीन राष्ट्रमंडल खेल और आठ एशियाई चैम्पियनशिप पदक जीत चुके थे. उनके आलोचकों ने उन्हें मौकापरस्त कहा. हालांकि बजरंग इंटरनेशनल लेवल पर अपनी उपलब्धियों के दम पर अपना नाम सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में पहले ही दर्ज करा चुके थे.
...जब NADA ने कर दिया बजरंग को सस्पेंड
इस साल 23 अप्रैल को बजरंग पूनिया को बड़ा झटका लगा, जब NADA ने उन्हें निलंबित कर दिया था. दरअसल, बजरंग ने 10 मार्च को सोनीपत में हुए सेलेक्शन ट्रायल के दौरान डोप टेस्ट के लिये नमूने नहीं दिए थे. डोपिंग रोधी अनुशासनात्मक पैनल (ADDP) से तो बजरंग को राहत मिल गई थी, लेकिन NADA ने 24 जून को बजरंग को दूसरी बार निलंबित कर दिया था. एडीडीपी ने पहला निलंबन इस आधार पर हटा दिया था कि NADA ने पहलवान को औपचारिक नोटिस देकर आधिकारिक तौर पर उस पर डोपिंग का आरोप नहीं लगाया था. इसके बाद NADA ने उन्हें नोटिस जारी किया और उन्हें फिर से निलंबित कर दिया.
बजरंग पूनिया अब अलग तरह के दंगल की तैयारी में हैं, जिसमें जनता का समर्थन और वोट उनके भाग्य का फैसला करेंगे. उनका सफर जनवरी 2022 में जंतर मंतर से शुरू हुआ जब पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा. जल्दी ही इसे किसानों, महिला संगठनों, छात्रों , राजनेताओं का समर्थन भी मिला. बजरंग आंदोलन के कारण ओलंपिक की तैयारी नहीं कर सके और ट्रायल में ही हार गए.
ऐसा रहा है बजरंग का इंटरनेशनल करियर
ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके बजरंग पूनिया को साल 2019 में पद्मश्री मिला था. बजरंग ने 2019 में कजाखिस्तान के नूर सुल्तान में आयोजित विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था. उस चैम्पियनशिप में बजरंग ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. टोक्यो ओलंपिक 2020 में बजरंग से वैसे तो गोल्ड मेडल की आस थी, लेकिन उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा. 65 किलो भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल के मुकाबले में बजरंग ने कजाकिस्तान के पहलवान दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से मात दी थी.
बजरंग पूनिया ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था. पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलो भारवर्ग के फाइनल में बजरंग पूनिया ने कनाडा के एल. मैकलीन को 9-2 मात दी. बजरंग पूनिया का यह कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार दूसरा गोल्ड एवं ओवरऑल तीसरा मेडल था. हालांकि उसके बाद बजरंग पूनिया इंटरनेशनल लेवल पर कुछ खास नहीं कर पाए. हांगझोऊ एशियन गेम्स में भी बजरंग को निराशा हाथ लगी थी.
बजरंग पूनिया जीत चुके हैं इतने पदक
ओलंपिक
♦ टोक्यो ओलंपिक 2020 (65 किलो): ब्रॉन्ज
वर्ल्ड चैम्पियनशिप
♦ बुडापेस्ट 2018 (65 किलो): सिल्वर
♦ बुडापेस्ट 2013 (60 किलो): ब्रॉन्ज
♦ नूर-सुल्तान 2019 (65 किलो): ब्रॉन्ज
♦ बेलग्रेड 2022 (65 किलो): ब्रॉन्ज
एशियन गेम्स
♦ जकार्ता 2018 (65 किलो): गोल्ड
♦ इंचियोन 2014 (61 किलो): सिल्वर
कॉमनवेल्थ गेम्स
♦ गोल्ड कोस्ट 2018 (65 किलो): गोल्ड
♦ बर्मिंघम 2022 (65 किलो): गोल्ड
♦ ग्लास्गो 2014 (61 किलो): सिल्वर
एशियन चैम्पियनशिप
♦ नई दिल्ली 2017 (65 किलो): गोल्ड
♦ शियान 2019 (65 किलो): गोल्ड
♦ अस्ताना 2014 (61 किलो): सिल्वर
♦ नई दिल्ली 2020 (65 किलो): सिल्वर
♦ अल्माटी 2021 (65 किलो): सिल्वर
♦ उलानबटार 2022 (65 किलो): सिल्वर
♦ नई दिल्ली 2013 (60 किलो): ब्रॉन्ज
♦ बिश्केक 2018 (65 किलो): ब्रॉन्ज
कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप
♦ ब्राकपेन 2017 (65 किलो): गोल्ड
♦ सिंगापुर 2016 (65 किलो): गोल्ड