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Commonwealth Games: कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 में कुश्ती-निशानेबाजी को जगह नहीं, भड़क गए भारतीय पहलवान

2026 के कॉमनवेल्थ गेम्स में जिन 16 खेलों को शामिल किया गया है, उसमें निशानेबाजी और कुश्ती का नाम शामिल नहीं हैं. इन खेलों में भारत अच्छा प्रदर्शन करता आया है.

बजरंग पूनिया (फाइल फोटो) बजरंग पूनिया (फाइल फोटो)
aajtak.in/सतेंदर चौहान
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 7:10 PM IST
  • AUS में होना है 2026 के खेलों का आयोजन
  • कुश्ती, निशानेबाजी जैसे खेलों को जगह नहीं

साल 2026 में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में होना है. राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (CGF) ने घोषणा की है कि उद्घाटन समारोह प्रतिष्ठित मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में होगा. यह घोषणा सीजीएफ, कॉमनवेल्थ गेम्स ऑस्ट्रेलिया (CGAUS)और विक्टोरिया स्टेट के बीच एक विशेष संवाद स्थापित करने के बाद की गई.

2026 के इस टूर्नामेंट के आयोजन में चार साल बचे हैं, लेकिन उससे पहले ही बवाल खड़ा हो गया है. दरअसल 2026 के सत्र के लिए प्रारंभिक सूची में जिन 16 खेलों को शामिल किया गया है, उसमें निशानेबाजी और कुश्ती जैसे खेल शामिल नहीं हैं, जिसमें भारत अच्छा प्रदर्शन करता आया है. तीरंदाजी का नाम भी इस सूची में शामिल नहीं है.

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भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग

नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव कुंवर सुल्तान सिंह ने सीजीएफ के फैसले के खिलाफ नाराजगी जताई है. उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से कहा, 'राष्ट्रमंडल से लगातार दूसरे सत्र के लिए शूटिंग को बाहर करना निराशाजनक, चौंकाने वाला और पूरी तरह से असंगत फैसला है.

उन्होंने आगे बताया, 'इस तरह के बड़े खेल आयोजन के लिए तैयारी करने वाले निशानेबाजों के लिए यह काफी अनुचित फैसला है. मैं भारत सरकार और भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से अनुरोध करूंगा कि इस मामले को सीजीएफ में संबंधित अधिकारियों के साथ उठाएं, ताकि 2026 के खेलों में इसे शामिल किया जा सके.'

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने बताया, 'इस निर्णय को वापस लेने के लिए सरकार और आईओए की ओर से एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग को यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ करना चाहिए कि कुश्ती को कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना उचित स्थान मिले.'

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हरियाणवी पहलवानों के लिए बड़ा झटका

राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती के बाहर किया जाना खासकर हरियाणा के पहलवानों के लिए एक बहुत बड़ा झटका लगा है. इस फैसले से पहलवान और उनके कोच बहुत ज्यादा नाराज दिखाई दे रहे हैं. उनका कहना है कि कुश्ती हरियाणा की शान है और वह सभी के दिलों में बसी हुई है. सभी ने एक साथ मिलकर केंद्र सरकार से दखल देने की मांग की है.

अनिल विज ने जताई नाराजगी

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी कुश्ती को बाहर करने के फैसले पर नाराजगी जाहिर किया है. विज ने ट्वीट करते हुए कहा, 'हरियाणा की शान कुश्ती और तीरंदाजी को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर करना दुर्भाग्य पूर्ण है. राष्ट्रमंडल खेल संघ को इस पर दुबारा विचार करना चाहिए.'

विज ने बताया, 'हरियाणा की पहलवानी का विश्व में ढंका बजता है और इसके लिए प्रदेश सरकार की बेहतर खेल-नीति की तारीफ चारों ओर हो रही है. प्रदेश के अनेकों खिलाड़ियों ने देश-विदेश की धरती पर अपना नाम चमकाया है. खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को देखते हुए प्रदेश के कई हिस्सों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं तैयार की गई हैं और खिलाड़ी भी अभ्यास में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं.'

भारत का शानदार प्रदर्शन

भारतीय पहलवानों 2018 के गेम्स में पांच स्वर्ण सहित 12 पदक जीते थे. वहीं देश के निशानेबाजों ने सात स्वर्ण सहित 16 पदक अपने नाम किए थे. जहां तक ​​तीरंदाजी का सवाल है, साल 2010 के बाद उसे कॉमनवेल्थ गेम्स में स्थान नहीं मिला है. भारत ने साल 2010 में नई दिल्ली में आयोजित गेम्स के तीरंदाजी इवेंट्स में तीन स्वर्ण सहित आठ पदक जीते थे.

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