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Indian Football FIFA Ban: प्रफुल्ल पटेल की जिद ले डूबी? ऐसे 'बदतर' हुए हालात... फिर फीफा ने लगाया बैन

फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. खेल संहिता के अनुसार किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ में कोई व्यक्ति अधिकतम 12 साल तक अपने पद पर रह सकता है. लेकिन प्रफुल्ल पटेल ने लंबित मामले का सहारा लेकर चुनाव कराने से इंकार कर दिया था और वह अपने पद पर बने रहे थे.

प्रफुल्ल पटेल (दाएं ओर) प्रफुल्ल पटेल (दाएं ओर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 9:40 PM IST

भारतीय फुटबॉल पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) पर बैन लगा दिया है. वैसे इस बैन की पटकथा दिसंबर 2020 में ही शुरू हो गई थी जब  प्रफुल्ल पटेल ने अपना तीसरा कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद एआईएफएफ का अध्यक्ष पद नहीं छोड़ा था. उस समय पटेल ने उच्चतम न्यायालय में 2017 से लंबित मामले का सहारा लेकर सुप्रीम कोर्ट में नए संविधान को लेकर मसला सुलझने तक चुनाव कराने से इंकार कर दिया था.

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अधिकतम 12 साल का होता है कार्यकाल

गौरतलब है कि खेल संहिता के अनुसार किसी भी राष्ट्रीय खेल संघ में कोई व्यक्ति अधिकतम 12 साल तक अपने पद पर रह सकता है और प्रफुल्ल पटेल ने वह अवधि पूरी कर ली थी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और हस्तक्षेप की मांग की गई. अब फीफा ने मामले में तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी को देखते हुए एआईएफएफ को निलंबित कर दिया. आइए जानते हैं किस तरह पूरा मामला बढ़ता गया जिसके चलते फीफा ने आखिरकार एआईएफएफ को बैन करने का फैसला किया.

18 मई- सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एआईएफएफ प्रमुख प्रफुल्ल पटेल और उनकी कार्यकारी समिति को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया. साथ ही न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश एआर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (COA) की नियुक्ति की.

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23 मई- प्रफुल्ल पटेल ने फीफा के प्रमुख जियानी इन्फेंटिनो से अनुरोध किया कि एआईएफएफ का संचालन प्रशासकों की समिति को सौंपे जाने के बाद देश पर प्रतिबंध न लगाया जाए.

29 मई- सीओए सदस्य एस वाई कुरैशी ने कहा कि सितंबर के आखिर तक एआईएफएफ का एक नव-निर्वाचित निकाय होना चाहिए और एक संशोधित संविधान 15 जुलाई तक उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.

11 जून- सीओए और कुछ संबद्ध यूनिट के सदस्य राष्ट्रीय खेल संहिता, फीफा और एएफसी कानूनों का पालन करने वाले एक नए संविधान के तहत एआईएफएफ के लंबे समय से लंबित चुनावों को जल्द से जल्द कराने पर चर्चा करने के लिए बैठक में शामिल होते हैं.

21 जून- फीफा-एएफसी टीम और भारतीय फुटबॉल का संचालन कर रहे सीओए के बीच पहले दौर की बातचीत हुई जो काफी सकारात्मक माहौल में हुई थी.

22 जून- एआईएफएफ सदस्य यूनिट ने फीफा-एएफसी दल से मुलाकात की और उन्हें राष्ट्रीय खेल निकाय में उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बारे में बताया.

23 जून- फीफा-एएफसी दल ने व्यवस्था में सुधार के लिए समय सीमा तय की. साथ ही हितधारकों से 31 जुलाई तक संविधान को मंजूरी देने और 15 सितंबर तक चुनाव कराने के लिए कहा.

13 जुलाई- सीओए ने फीफा को एआईएफएफ का अंतिम ड्राफ्ट संविधान भेजा.

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16 जुलाई- सीओए ने एआईएफएफ ड्राफ्ट संविधान को मंजूरी के लिए उच्चतम न्यायालय को सौंपा.

18 जुलाई- एआईएफएफ की राज्य इकाइयों ने सीओए द्वारा तैयार अंतिम ड्राफ्ट संविधान में कई प्रावधानों पर नाराजगी व्यक्त की, लेकिन कहा कि वे बीच का रास्ता खोजने को तैयार हैं. राज्य संघों के प्रतिनिधित्व वाले सात सदस्यीय पैनल ने फीफा को लिखा था कि अंतिम मसौदे के कई खंड भेदभावपूर्ण हैं.

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21 जुलाई- उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के चुनावों में तेजी लाने की आवश्यकता का समर्थन किया.

26 जुलाई- फीफा ने एआईएफएफ से सिफारिश की कि सीओए द्वारा संविधान के ड्राफ्ट में निर्धारित 50 प्रतिशत के बजाय एआईएफएफ को अपनी कार्यकारी समिति में 25 प्रतिशत प्रख्यात खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व रखना चाहिए.

28 जुलाई- न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि वह तीन अगस्त को चुनाव कराने के तौर-तरीकों पर सुनवाई करेगी.

3 अगस्त- उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव जल्द से जल्द कराने के निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि एआईएफएफ की कार्यकारी समिति के लिए निर्वाचक मंडल में 36 राज्य संघों के प्रतिनिधि और 36 प्रख्यात फुटबॉल खिलाड़ी शामिल होंगे.

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5 अगस्त- उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ चुनावों के लिए सीओए की समय-सीमा को मंजूरी दी, चुनाव 28 अगस्त को होंगे और चुनाव प्रक्रिया 13 अगस्त से शुरू होगी.

6 अगस्त- फीफा ने तीसरे पक्ष के प्रभाव के कारण एआईएफएफ को निलंबित करने और अक्टूबर में महिला अंडर -17 विश्व कप की मेजबानी अधिकार को छीनने की धमकी दी.

7 अगस्त- सीओए ने फीफा को आश्वासन दिया कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को व्यवस्थित करने के लिए तैयार है.

10 अगस्त- सीओए ने प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की ‘कार्यवाही में हस्तक्षेप’ करने के लिए अवमानना याचिका दायर की.

11 अगस्त- उच्चतम न्यायालय ने प्रफुल्ल पटेल की बैठकों में भाग लेने और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने पर राज्य इकाइयों को चेतावनी दी.

13 अगस्त- एआईएफएफ के 28 अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में शामिल मतदाताओं की सूची में बाईचुंग भूटिया और आईएम विजयन सहित 36 खिलाड़ियों को शामिल किया गया.

15 अगस्त- फीफा ने खेल मंत्रालय को सूचित किया कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के चुनावों के लिए निर्वाचक मंडल में व्यक्तिगत सदस्यों को शामिल करने के विरोध पर अडिग है.

16 अगस्त- फीफा ने तीसरे पक्ष के दखलंदाजी के कारण एआईएफएफ को निलंबित कियाा और भारत से अंडर -17 महिला विश्वकप की मेजबानी का अधिकार भी छीन लिया.

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