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Hockey World Cup 2023: श्रीजेश की इंजरी, कमजोर डिफेंस... वर्ल्ड कप में एक बार फिर टूटीं टीम इंडिया की उम्मीदें

टीम इंडिया का हॉकी वर्ल्ड कप में सफर खत्म हो चुका है. भारतीय टीम टूर्नामेंट के शुरुआत से ही अपने रंग में नहीं दिखाई दी और उसे अपने से कम रैंकिंग वाली टीमों के खिलाफ भी जीत के लिए पसीने बहाने पड़े थे. पिछले विश्व कप में भी भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. तब अपने ग्रुप में टॉप करने के बावजूद 'मेन इन ब्लू' का अभियान क्वार्टर फाइनल में ही समाप्त हो गया था.

भारत बनाम न्यूजीलैंड हॉकी मैच भारत बनाम न्यूजीलैंड हॉकी मैच
aajtak.in
  • भुवनेश्वर,
  • 23 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:16 AM IST

भारतीय टीम से 2023 के हॉकी वर्ल्ड कप में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थीं, लेकिन ये उम्मीदें धरी रह गईं. रविवार (22 जनवरी) को भुवनेश्वर के कलिंग स्टेडियम में खेले गए क्रॉसओवर मुकाबले में टीम इंडिया को 12वीं रैंकिंग की टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा. निर्धारित समय तक दोनों टीमें 3-3 की बराबरी पर थीं, जिसके चलते मुकाबला शूटआउट में गया. शूटआउट में न्यूजीलैंड ने 5-4 से जीत हासिल की. देखा जाए तो भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में शुरू से ही अपना बेस्ट प्रदर्शन नहीं कर पाई.

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इंग्लैंड के खिलाफ ड्रॉ खेलना पड़ा भारी

वर्ल्ड नंबर-6 भारतीय टीम का पहला मुकाबला स्पेन से हुआ था. यदि कप्तान हरमनप्रीत सिंह पेनल्टी स्ट्रोक पर गोल करने का मौका नहीं चूके होते तो, भारत आठवीं रैंकिंग वाली टीम के खिलाफ 3-0 से यह मैच जीतता. फिर भारत को विश्व रैंकिंग में पांचवें नंबर पर काबिज इंग्लैंड के खिलाफ 0-0 से बराबरी से संतोष करना पड़ा. इसके बाद 14वीं रैंकिंग की टीम वेल्स के खिलाफ टीम इंडिया से उम्मीद थी कि वह धमाकेदार जीत हासिल करेगी, लेकिन वह केवल 4-2 से जीत हासिल कर पाई. वेल्स के खिलाफ मुकाबले में तो एक समय स्कोर 2-2 था, ऐसें में टीम इंडिया की हार भी हो सकती थी.

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भारत ग्रुप स्टेज की समाप्ति के बाद ग्रुप-D में दूसरे स्थान पर रहा था. भारत के तीन मैच में दो जीत और एक ड्रॉ से 7 अंक रहे. इस ग्रुप से इंग्लैंड ने बेहतर गोल औसत (+8) के दम पर भारत को पछाड़कर डायरेक्ट क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया. यानी कि भारतीय टीम ने यदि इंग्लैंड को परास्त कर दिया होता या वेल्स और स्पेन के खिलाफ उसके जीत का अंतर बड़ा होता तो, उसे क्रॉसओवर मुकाबले में भाग लेने की नौबत नहीं आती.

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क्रॉस ओवर में डिफेंस हुआ तितर-बितर

अब न्यूजीलैंड के खिलाफ क्रॉसओवर मुकाबले में भारतीय टीम 42वें मिनट तक 3-1 से आगे थी और ऐसा लग रहा था कि वह जीत हासिल कर लेगी. लेकिन न्यूजीलैंड ने जबरदस्त पलटवार किया और दो गोल दागकर मैच को शूटआउट तक पहुंचाने में वे सफल रहे. भारतीय टीम की दबाव में बिखरने और अहम मौकों पर गोल खाने की पुरानी आदत इस मुकाबले में फिर उभर कर सामने आ गई. न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले से पहले टीम इंडिया के हेड कोच ग्राहम रीड ने कहा था कि तीनों मैच में गोल नहीं खाना एक पॉजिटिव प्वाइंट है. लेकिन, अब न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत के डिफेंस में खामियां दिखीं.

ऐन मौके पर चोटिल हुए गोलकीपर श्रीजेश

शूटआउट में एक समय भारत दो गोलों के अंतर से पीछे था, लेकिन पीआर श्रीजेश ने बेहतरीन गोलकीपिंग करते हुए तीन लगातार सेव करते हुए भारत को जीत के करीब ला दिया था. यहां पर कप्तान हरमनप्रीत सिंह गोल नहीं कर पाए जिससे मुकाबला फिर बराबरी पर रहा. इधर श्रीजेश भी चोटिल होकर मैदान से बाहर चले गए थे और कृष्ण बहादुर पाठक उनकी जगह आए. फिर कृष्ण बहादुर पाठक दो मौकों पर गोल रोकने में नाकाम रहे और भारत को मैच गंवाना पड़ा. शूटआउट में दोनों ही टीमों ने 9-9 प्रयास किए, जिसमें न्यूजीलैंड ने 5 और भारत ने 4 मौकों पर गोल किया. भारत की ओर से अभिषेक, हरमनप्रीत, सुखजीत और शमशेर गोल नहीं कर पाए.

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पिछले विश्व कप में भी भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. तब ग्रुप में टॉप करने के बावजूद भारतीय टीम का अभियान क्वार्टर फाइनल में ही समाप्त हो गया था. भारत का हालिया सालों में प्रदर्शन शानदार रहा है, ऐसे में अबकी बार टीम से काफी उम्मीद थी. टीम इंडिया ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीता था. वहीं एफआईएच प्रो-लीग में भी टीम ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए तीसरा स्थान हासिल किया. इसके अलावा भारतीय टीम ने पांच मैचों की सीरीज के लिए 2022 के आखिर में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था. जहां उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मुकाबले में जीत हासिल की थी.

48 साल का सूखा नहीं हुआ समाप्त

ओलंपिक में आठ स्वर्ण पदक जीत चुकी भारतीय टीम ने एकमात्र विश्व कप 48 साल पहले यानी कि 1975 जीता था. तब कुआलालम्पुर में हुए इवेंट में अजितपाल सिंह की कप्तानी में टीम इंडिया चैम्पियन बनी थी. उसके बाद से टीम इंडिया सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच सकी है. इससे पहले 1971 में पहले विश्व कप में भारत ने कांस्य और 1973 में रजत पदक जीता था. इसके बाद 1978 से 2014 तक भारत ग्रुप चरण से आगे नहीं जा सका. 2018 में भारत जरूर क्वार्टर फाइनल में पहुंचा, लेकिन अबकी बार उसका प्रदर्शन पुराने पैटर्न पर लौट आए.

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