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Boxer Urvashi Singh: पार्ट टाइम जॉब, घर वालों की नाराजगी... जानें कैसे WBC इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैम्पियन बन गईं उर्वशी सिंह

इस दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस जरूरत है तो हौसले और मेहनत की. यह साबित कर दिखाया है भारतीय मुक्केबाज उर्वशी सिंह ने जो 10 राउंड के मुकाबले में थाईलैंड की राष्ट्रीय चैम्पियन थानचानोक फानन को हराकर WBC इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैम्पियन बन गईं हैं. उर्वशी कहती हैं कि मुश्किलें हर किसी के जीवन में आती हैं, लेकिन उसके सामने डटे रहकर और हार को हरा कर ही हम अपना मुकाम हासिल कर सकते हैं. जानिए कैसे भारतीय मुक्केबाज उर्वशी सिंह ने यहां तक का अपना सफर तय किया...

WBC International Super Bantamweight Champion Urvashi Singh WBC International Super Bantamweight Champion Urvashi Singh
शैली आचार्य
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST

महिलाओं के लिए मिसाल कायम करने वाली 27 साल की मुक्केबाज उर्वशी सिंह ने हाल ही में डब्ल्यूबीसी अंतरराष्ट्रीय सुपर बेंथमवेट और डब्ल्यूबीसी एशिया सिल्वर के खिताब अपने नाम किए हैं. उर्वशी ने कोलंबो में 10 राउंड के मुकाबले में थाईलैंड की राष्ट्रीय चैम्पियन थानचानोक फानन को मात दी. भारतीय बॉक्सर ने 10-3 (6 केओ) से थानचानोक (12-5, 6 केओ) को सर्वसम्मत फैसले से हराया और टाइटल जीत लिया. साथ ही, वह ऐसा करने वाली भारत की नंबर-1 मुक्केबाज बन गई हैं. 

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आजतक से खास बातचीत में भारत की स्टार बॉक्सर उर्वशी सिंह बताया, 'यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मैंने देश के लिए कुछ किया है. मैं अब पहली डब्ल्यूबीसी एशिया महाद्वीपीय और अंतरराष्ट्रीय चैम्पियन हूं. मैं इसके लिए अपने मैनेजर रोशन सर और प्रमोटर डस्टन पॉल रजारियो और पूरी प्रमोशन टीम के प्रति आभार जताती हूं, जिनके बिना यह संभव नहीं हो पाता. यहां तक का सफर मेरे लिए इतना आसान नहीं था.'
 
लड़की है.. मुक्केबाजी अच्छी नहीं लगेगी!

बॉक्सर उर्वशी आगे कहती हैं, 'मेरा जन्म कानपुर में हुआ, लेकिन फिर मेरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया... पर पढ़ाई मैंने यूपी से की है. इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2012 में मैंने नोएडा के फिजिकल एजुकेशन कॉलेज में एडमिशन लिया और तब बॉक्सिंग इतने करीब से पहली बार देखी. मेरी एक सीनियर बॉक्सिंग करती थीं और उन्हें ही देखकर मैंने अपना मन बना लिया था कि मुझे बॉक्सिंग करनी है.'

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उर्वशी ने कहा, 'मैं बचपन से ही फाइट में सबसे आगे रहती थी. मैंने घरवालों को बिना खबर लगे कॉलेज में ही ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी. फिर, जब मैंने मेरठ में हुई स्टेट चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और मेरी खबर अखबार में आई तब उन्हें इसके बारे में पता चला. घर में कोई भी खुश नहीं था, उनका कहना था कि यह खेल लड़कियां नहीं खेल सकतीं. लेकिन मैंने बॉक्सिंग जारी रखी. जैसे-जैसे मुझे इस फील्ड में सफलता मिलती गई, घरवालों ने भी थोड़ा सपोर्ट करना शुरू किया. फिर मैंने दिल्ली की रोशन टीम एकेडमी के बारे में सुना और उनसे संपर्क किया तो उन्होंने यह कहते हुए ट्रेनिंग देने से मना कर दिया कि उनकी एकेडमी में कोई भी लड़की नहीं है. काफी आग्रह के बाद मुझे ट्रेनिंग के लिए इजाजत दे दी गई और मैं सिर्फ एक ही महिला खिलाड़ी थी, जो लड़कों के साथ ट्रेनिंग करती थी.'

... लंबी है उर्वशी के मेडल्स की लिस्ट

उर्वशी सिंह अपने मेडल्स की फिफ्टी पूरी कर चुकी हैं. उन्होंने 2012 मे गुवाहाटी में यूथ वुमन चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, 2013 में बिलासपुर में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता. रायपुर में सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता. उर्वशी ने पहला इंटरनेशनल खिताब 2018 में थाईलैंड में जीता, जब उन्होंने गोल्ड पर कब्जा जमाया और अब कोलंबो में WBC इंटरनेशनल सुपर बेंथमवेट खिताब के साथ-साथ WBC एशिया सिल्वर क्राउन अपने नाम किए हैं. उर्वशी WBC इंटरनेशनल बॉक्सिंग और WBC एशिया कॉन्टिनेंटल और WIBA चैम्पियन हैं.

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उर्वशी ने कहा, 'जब मैंने बॉक्सिंग शुरू की थी तब काफी सारी समस्याएं भी आईं. कॉलेज में मुक्केबाजी सीखने के दौरान मैंने पार्ट टाइम जॉब भी किया, बच्चों को ट्यूशन भी देती थी फिर खुद ट्रेनिंग लेती थी. उस वक्त घर वालों का भी सपोर्ट नहीं था. वहीं, 2018 में थाईलैंड में गोल्ड जीतने के बाद कोरोना काल में कई मुश्किलें झेलीं. फिर मैंने एक दीदी से प्रेरणा ली जो काफी गरीब परिवार से होकर भी बॉक्सिंग के लिए संघर्ष झेलते हुए मेहनत कर रही थीं. साथ ही मेरीकॉम को देख कर आगे बढ़ती रही.'

WBC International Super Bantamweight Champion

'प्रोफेशनल बॉक्सर को भारत में क्यों नहीं सपोर्ट किया जाता है?'

उर्वशी कहती हैं, 'मैंने देखा है कि भारत में प्रोफेशनल बॉक्सिंग को बढ़ावा नहीं दिया जाता है, इसलिए प्रोफेशनल बॉक्सर को काफी संघर्ष करना पड़ता है. जबकि अमेरिका, जापान, थाईलैंड सहित अन्य देशों में इसे अगले स्तर तक बढ़ावा दिया जाता है. मैं चाहती हूं कि सरकार भारत में भी प्रोफेशनल बॉक्सिंग को सपोर्ट करे. शुरुआत में मुझे भी बतौर प्रोफेशनल बॉक्सर होने पर काफी स्ट्रगल करना पड़ा और मैं नहीं चाहती कि मेरे जैसे और भी प्लेयर हैं उन्हें भी वही संघर्ष करना पड़े, जो मैंने किया है. मैं चाहती हूं कि भारत में प्रोफेशनल और एमेच्योर बॉक्सिंग को बराबरी का दर्जा दिया जाए.'

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'जितना जरूरी खेल है उतना ही जरूरी प्लेयर का फिट होना'

उर्वशी ने कहा, 'एक खिलाड़ी के लिए जितना जरूरी खेल है उतनी ही जरूरी उसकी फिटनेस भी. मैं अपनी डाइट पर खास ध्यान देती हूं. कोरोना के दौर में मुझे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि सभी घर में थे बाहर नहीं जा सकते थे, इसलिए घर पर ही प्रैक्टिस की और खुद की फिटनेस का एनालिसिस किया कि मेरी बॉडी को किस चीज की जरूरत है, क्या नहीं खाना है क्या डाइट में शामिल करना है. एक खिलाड़ी को अपनी सेहत का ख्याल खुद ही रखना चाहिए.'

'बॉक्सिंग एकेडमी खोलूंगी और फ्री कोचिंग देना चाहूंगी'

उर्वशी कहती हैं, अब मैं ओलंपिक के लिए तैयारी करूंगी, ताकि वर्ल्ड में नंबर-1 स्थान हासिल कर पाऊं. साथ ही आगे चलकर बॉक्सिंग एकेडमी खोलना चाहती हूं. ताकि मैं बॉक्सिंग की फ्री ट्रेनिंग दे सकूं और प्रोफेशनल बॉक्सिंग को आगे बढ़ा सकूं.'

 

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