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नहीं रहे 'भारतीय फुटबॉल की आवाज' नोवी कपाड़िया, लंबी बीमारी के बाद ली अंतिम सांस

प्रख्यात कमेंटेटर नोवी कपाड़िया का बुधवार को लंबी बीमारी के बाद दिल्ली में निधन हो गया. नोवी को भारतीय फुटबॉल की आवाज' भी कहा जाता था. वह अविवाहित थे और उनकी बहन की मृत्यु के बाद उनके परिवार में कोई बचा नहीं था.

Novy Kapadia passed away on November 18. (Twitter) Novy Kapadia passed away on November 18. (Twitter)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST
  • लोकप्रिय कमेंटेटर नोवी कपाड़िया का हुआ निधन 
  • अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने शोक जताया है

प्रख्यात कमेंटेटर नोवी कपाड़िया का बुधवार को लंबी बीमारी के बाद 68 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया. नोवी को भारतीय फुटबॉल की आवाज' भी कहा जाता था. वहअविवाहित थे और उनकी बहन की मृत्यु के बाद उनके परिवार में कोई बचा नहीं था.

नोवी जिन्होंने फुटबॉल से संबंधित कई किताबें भी लिखी हैं, एक मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित थे. यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसके कारण समय के साथ रीढ़ और मस्तिष्क की नसें काम करना बंद कर देती हैं. वह पिछले दो सालों से व्हीलचेयर पर और पिछले एक महीने से वेंटिलेटर पर थे.

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अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने उनके निधन पर शोक जताया है. महासंघ के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने लिखा, 'मशहूर फुटबॉल विशेषज्ञ और महान कमेंटेटर श्री नोवी कपाड़िया के निधन से गहरा दुख हुआ. उनके निधन से हमने 'भारतीय फुटबॉल की आवाज' खो दी है. खेल के प्रति उनके जुनून और प्यार को आने वाले सालों तक याद रखा जाएगा. उनकी आत्मा को शांति मिले.'

केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने ट्वीट किया, 'श्री नोवी कपाड़िया के निधन पर फुटबॉल और मीडिया जगत के प्रति मेरी गहरी संवेदना. फुटबॉल के बारे में उनका ज्ञान अनुकरणीय था और उनकी विरासत उनकी किताबों के माध्यम से जीवित रहेगी. उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले.'

दशकों तक भारतीय फुटबॉल टूर्नामेंट में कमेंट्री करने के अलावा नोवी कपाड़िया ने एशियाई एवं ओलंपिक खेलों में भी कमेंट्री की. उन्होंने नौ फीफा विश्व कप भी कवर किए. भारतीय फुटबॉल पर उन्होंने 'बेयरफुट टू बूट्स, द मेनी लाइव्स ऑफ इंडियन फुटबॉल' लिखी. इसके अलावा उन्होंने सॉ2014 में 'द फुटबॉल फैनेटिक्स एसेंशियल गाइड बुक' भी लिखी थी.

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खेलों में अपनी भागीदारी के अलावा नोवी कपाड़िया एसजीटीबी खासला कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे. साथ ही, उन्होंने 2003-10 तक विश्वविद्यालय के डिप्टी प्रॉक्टर का भी पद संभाला. 

 


 

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