Advertisement

Manoj Joshi: भारतीय कमेंटेटर ने कर दिया कमाल, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

हर्षा भोगले, अयाज मेमन, जतिन सप्रू जैसे भारतीय नामों ने क्रिकेट कमेंट्री की दुनिया में काफी शोहरत हासिल की है. लेकिन, उन कमेंटेटरों की कम चर्चा होती है, जो क्रिकेट के इतर स्पोर्ट्स की कमेंट्री करते हैं. मनोज जोशी का नाम भी इन कमेंटेटरों की सूची में शामिल है.

Manoj Joshi Manoj Joshi
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST
  • मनोज जोशी का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल 
  • कुश्ती की कमेंट्री करने के लिए विख्यात हैं मनोज

हर्षा भोगले, अयाज मेमन जैसे भारतीय नामों ने क्रिकेट कमेंट्री की दुनिया में काफी शोहरत हासिल की है. लेकिन, उन कमेंटेटरों की कम चर्चा होती है, जो क्रिकेट के इतर स्पोर्ट्स की कमेंट्री करते हैं. मनोज जोशी का नाम भी इन कमेंटेटरों की सूची में शामिल है. जोशी के नाम साढ़े पांच सौ घंटे की रेसलिंग की लाइव टीवी कमेंट्री का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के नवीन संस्करण में जगह मिली है.

Advertisement

मनोज जोशी पांच-पांच ओलंपिक एवं एशियाई खेल, दो कॉमनवेल्थ गेम्स, ऐज ग्रुप की वर्ल्ड और एशियाई कुश्ती मुकाबलों की लाइव कमेंट्री कर चुके हैं. इसके साथ ही वह सौ से ज्यादा दंगल एवं दस से ज्यादा नेशनल चैम्पियनशिप और हैदराबाद वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स में भी लाइव टीवी कमेंट्री का जलवा बिखेर चुके हैं.

गुवाहाटी में नेशनल गेम्स के दौरान बारिश होने से सभी आउटडोर गेम्स बंद हो गए थे. उस दिन तकरीबन साढ़े छह घंटे की कमेंट्री करने का एक अलग तरह का अनुभव उन्हें हुआ जबकि उनके साथ उस दिन कोई साथी कमेंटेटर भी नहीं था.

प्रो रेसलिंग लीग के सभी चारों सीजन की कमेंट्री करने वाले वे इकलौते कमेंटेटर हैं.  इस रेसलिंग लीग का प्रसारण सोनी टीवी पर किया गया था. इस दौरान उनके साहिल खट्टर (फिल्म 83 में किरमानी फेम) के साथ उनके प्री-शो खासे चर्चा में रहे. मनोज ने सोनी, दूरदर्शन के लिए कुश्ती की काफी कमेंट्री की है.

Advertisement

मनोज जोशी को भारत का 'वॉयस ऑफ रेसलिंग' कहा जाता है. वैसे मनोज कुश्ती के अलावा दूसरे ओलंपिक स्पोर्ट्स की भी कमेंट्री करते हैं. साल 1992 के क्रिकेट वर्ल्ड कप की रेडियो कमेंट्री भी उन्होंने की थी. मनोज का कहना है कि कुश्ती की कमेंट्री जैसा मजा उन्हें किसी और खेल में नहीं आया. सुशील कुमार की लंदन ओलिम्पिक के फाइनल कुश्ती के बारे में उनका कहना है कि उस दिन करीब एक हजार मैसेज उन्हें मिले. जिसमें इस कुश्ती के टाइमिंग और उनके प्रतिद्वंद्वी जापानी पहलवान के बारे में जानने की इच्छा जाहिर की गई थी.

दंगल फिल्म ने दिलाई पहचान

मनोज जोशी फिल्म दंगल में कुश्ती एक्सपर्ट की भूमिका करके सुर्खियों में आए थे. उनका कहना है कि कुश्ती पर चार पुस्तकें लिखकर और अखबारों में ढेर सारे लेख लिखकर भी उतना रिस्पांस नहीं मिला, जो दंगल फिल्म के एक छोटे से रोल में उन्हें हासिल हुआ. मनोज की एक पुस्तक भारतीय मल्लविद्या को महाराष्ट्र सरकार ने पुरस्कृत किया था. साथ ही, हरियाणा सरकार ने कुश्ती सहित तमाम ओलंपिक खेलों की कमेंट्री करने और हरियाणा के खिलाड़ियों की उपलब्धियों को सामने रखने के चलते उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

पत्रकारिता से अपना सफर शुरू करने वाले मनोज फिर टीवी, जनसम्पर्क और डिजिटल में सक्रिय हुए. वह पिछले तीन दशक से इन माध्यमों के जरिए कुश्ती खेल में उल्लेखनीय योगदान और लगातार कमेंट्री कर रहे हैं. मनोज ने बचपन में किशनगंज अखाड़े में शौकिया तौर पर कोच रोशनलाल और विशम्भर सिंह से कुश्ती के दांव पेंच को सीखा. साल 1967 में विशम्भर सिंह ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया था.

Advertisement



 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement