
Vinesh Phogat CAS Case Update: भारतीय रेसलर विनेश फोगाट को अब भी पेरिस ओलंपिक 2024 में न्याय मिलने की उम्मीद है. उन्होंने 50 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल में एंट्री कर सिल्वर मेडल पक्का कर लिया था, मगर मेडल मैच से ठीक पहले उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया गया था, क्योंकि ओलंपिक गोल्ड मेडल मैच से पहले उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा था.
इसके बाद विनेश ने CAS में केस दर्ज कराया, जिस पर 13 अगस्त को फैसला आना है. यदि फैसला विनेश के पक्ष में आता है, तो उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल मिलेगा. मगर इससे पहले CAS कोर्ट से एक और केस का फैसला आया है. जिसके बाद से कुछ लोग विनेश के मामले को जोड़कर भी देख रहे हैं और मेडल की उम्मीद बांधने लगे हैं.
जॉर्डन चाइल्स को मिले एक्स्ट्रा स्कोर और ब्रॉन्ज
दरअसल, अमेरिकन एथलीट जॉर्डन चाइल्स (Jordan Chiles) ने जिम्नास्टिक्स के फ्लोर एक्सरसाइज के फाइनल में जगह बनाई थी. यहां वो 13.7 स्कोर के साथ 5वें नंबर पर रही थीं. हालांकि उनके कोच स्कोर देने वाले जज के फैसले से नाखुश दिखे और उन्होंने इंटरनेशनल जिम्नास्टिक्स फेडरेशन (FIG) के सामने अपील की.
उन्होंने अपनी अपील में कहा कि उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं हुआ है. उनकी एथलीट (जॉर्डन) ने जिस तरह से प्रदर्शन किया है, उसके हिसाब से उसे ज्यादा स्कोर मिलने चाहिए थे. मामले में समीक्षा के बाद FIG ने जॉर्डन के पाइंट्स को बढ़ाकर 13.8 तक कर दिया. इसके बाद वो 5वें से सीधे तीसरे नंबर पर आ गईं और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल दिया गया.
कोर्ट में केस के बाद जॉर्डन चाइल्स से छिना ब्रॉन्ज
मगर इस मामले में एक फिल्मी ट्विस्ट भी आया. इसी इवेंट में रोमानिया की जिम्नास्ट एना बारबोसु (Ana Barbosu) तीसरे नंबर पर आई थी और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल मिला था. मगर FIG के फैसले के बाद एना को चौथे नंबर पर धकेल दिया गया और उनका ब्रॉन्ज मेडल जॉर्डन को दिया गया. इस पर रोमानिया की टीम ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में केस दायर कर दिया.
उन्होंने अपनी अपील में कहा कि उनके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था. उनकी एथलीट एना ही ब्रॉन्ज मेडल डिसर्व करती हैं. इसके बाद मामले में सुनवाई के बाद CAS ने रोमानिया की टीम के पक्ष में फैसला सुनाया और फिर दोबारा एना बारबोसु को ब्रॉन्ज मेडल दिया गया. कोर्ट ने पाया कि मैच के नतीजे के बाद एक मिनट के अंदर ही जिम्नास्टिक के कोच को विरोध दर्ज कराना होता है, मगर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने शिकायत दर्ज कराने में एक मिनट और 4 सेकंड का समय लिया. इस कारण रोमानिया की एना के पक्ष में फैसला दिया गया.
क्या इस केस का असर विनेश के मामले पर पड़ेगा?
अब सवाल यह भी है कि क्या इस केस का असर विनेश फोगाट के मामले पर पड़ सकता है क्या? इसके जवाब में यही बात सामने आती है कि 'नहीं, इसका असर विनेश के केस पर बिल्कुल नहीं पड़ेगा.' इसका कारण है कि दोनों ही मामले बिल्कुल अलग हैं. इसमें सिर्फ एक ही बात समान है कि CAS ने उन फैसलों को पलट दिया है, जो उस खेल की इंटरनेशनल संस्था ने लिए थे. दोनों मामले में यही एक बात समान है.
मगर विनेश के मामले में एक बात यह अलग है कि रेसलिंग की इंटरनेशनल संस्था ने नियमों का पालन किया है. जबकि जिम्नास्टिक की इंटरनेशनल संस्था ने नियमों का पालन नहीं किया था. दोनों केस में यही एकमात्र बड़ा अंतर है. इसी कारण CAS ने रोमानिया की जिम्नास्ट के पक्ष में फैसला सुनाया. इसका मतलब यह भी जरूरी नहीं कि यह कोर्ट विनेश को पक्ष में भी फैसला दे सकती है.
इन दोनों केस से कौन सी खास बातें सामने आई हैं?
हालांकि, इस विनेश के केस में एक बात बेहद जरूरी सामने आई है और वो है कि अब टीम के साथ खेल कानूनों के जानकार की जरूरत है. सभी टीमों के साथ आजकल अपने कोच, फिजियोथेरेपिस्ट, आहार विशेषज्ञ, ट्रेनर, अन्य सपोर्ट स्टाफ होते हैं, जो एथलीट के प्रदर्शन को निखारने और बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं.
साथ ही ओलंपिक के दौरान एक डॉक्टर भी टीम के साथ हर जगह मौजूद होता है. मगर अब लगता है कि वो समय आ गया है कि ओलंपिक में ज्यादातर टीमें अपने साथ एक खेल कानूनों के जानकार को भी साथ लेकर जाएं. क्योंकि इस तरह की चीजें या मामले सामने आते हैं तो सभी कानून और किस पॉइंट पर क्या करना है, यह इन विशेषज्ञों से पता चल सके. विनेश और जिम्नास्टिक के मामले से यही बात सामने आई है.