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मनु भाकर-सरबजोत सिंह के कोच को पेरिस से लौटते ही मिला घर गिराने का नोटिस

खैबर पास इलाके में डिमोलिशन पिछले महीने शुरू हुआ था, और साथ-साथ कई कानूनी कार्यवाही भी जारी है. निवासियों को 1 जुलाई को एक नोटिस दिया गया था, जिसमें उन्हें 4 जुलाई तक इलाके को खाली करने के लिए कहा गया था.

मनु भाकर और सरबजोत सिंह के कोच समरेश जंग को घर गिराने का नोटिस मिला. (ANI Photo) मनु भाकर और सरबजोत सिंह के कोच समरेश जंग को घर गिराने का नोटिस मिला. (ANI Photo)
सुशांत मेहरा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

ओलंपिक पदक विजेता मनु भाकर और सरबजोत सिंह के कोच समरेश जंग शुक्रवार को जब पेरिस ओलंपिक से वापस लौटे तो उन्हें अपना घर तोड़ने का नोटिस मिला. ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता जंग का घर सिविल लाइंस क्षेत्र के खैबर पास इलाके में है. उन्हें इलाके के अन्य निवासियों के साथ नोटिस मिला है. मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग की सब्सिडियरी लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस (LNDO) ने निवासियों को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जिस क्षेत्र और भूमि पर इलाके का विकास किया गया है वह रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व में है.

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एलएनडीओ ने कहा है कि खैबर पास इलाके में बने घर और अन्य संरचनाएं अवैध रूप से बनाई गई हैं. मीडिया से बात करते हुए समरेश जंग ने कहा, 'यह उनकी योजना में है और मुझे इसके बारे में पता भी नहीं है. उन्होंने पूरी कॉलोनी को अवैध घोषित कर दिया है. क्षेत्र के निवासियों को कल रात ही डिमोलिशन ड्राइव के बारे में सूचित किया गया था, और अब उनके पास पूरी कॉलोनी खाली करने के लिए केवल दो दिन हैं. मेरा परिवार 1950 के दशक से पिछले 75 वर्षों से यहां रह रहा है. हम अदालत गए लेकिन हमारी याचिका खारिज कर दी गई.' 

केवल दो दिनों में घर खाली करने की कठिनाइयों के बारे में विस्तार से बताते हुए जंग ने कहा कि इतने कम समय में सब कुछ करना असंभव है. उन्होंने कहा, 'आप डिमोलिशन ड्राइव चलाना चाहते हैं, लेकिन इसे उचित तरीके से चलाया जाना चाहिए और लोगों को समय दिया जाना चाहिए. कोई व्यक्ति सिर्फ एक दिन में अपना घर कैसे खाली कर सकता है?' समरेश जंग ने 2006 में मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और पांच स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था.

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खैबर पास इलाके में डिमोलिशन पिछले महीने शुरू हुआ था, और साथ-साथ कई कानूनी कार्यवाही भी जारी है. निवासियों को 1 जुलाई को एक नोटिस दिया गया था, जिसमें उन्हें 4 जुलाई तक इलाके को खाली करने के लिए कहा गया था. हालांकि, निवासियों ने नोटिस को चुनौती दी, जिससे डिमोलिशन ड्राइव में कुछ दिनों की देरी हुई. 9 जुलाई को अंतिम सुनवाई में, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि निवासी याचिकाकर्ता इस बात का कोई सबूत देने में विफल रहे कि जमीन उनकी है और डिमोलिशन की कार्रवाई को रोकने से इनकार कर दिया.

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