
भारत के गोल्ड मेडल की सबसे बड़ी उम्मीद गत ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक की भालाफेंक स्पर्धा (Javelin Throw) में 89.45 के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ रजत पदक जीता जबकि पाकिस्तान के अरशद नदीम को स्वर्ण पदक मिला. गोल्ड मेडल नहीं मिलने पर नीरज चोपड़ा ने कहा, 'शायद आज वो दिन नहीं था जब राष्ट्रगान नहीं बजवा पाए, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता आगे फिर मौका मिलेगा और फिर से हमारा राष्ट्रगान बजेगा, पेरिस में ना सही तो कहीं और सही.'
सिल्वर मेडल जीतने के बाद नीरज चोपड़ा ने 'आजतक' से बातचीत की और कहा कि हर खिलाड़ी का अपना दिन होता है, आज अरशद का दिन था. नीरज का दूसरा थ्रो ही उनका एकमात्र वैध थ्रो रहा जिसमें उन्होंने 89 . 45 मीटर फेंका. इसके अलावा उनके पांचों प्रयास फाउल रहे. वहीं नदीम ने नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए दूसरा थ्रो ही 92.97 मीटर का लगाया. उन्होंने छठा और आखिरी थ्रो 91.79 मीटर का लगाया.
टक्कर तो चलती रहेगी
'आजतक' से बात करते हुए नीरज चोपड़ा ने कहा, 'कहीं ना कहीं ये लग रहा था कि आज कंसिस्टेंसी है. लग रहा था कि आज वो दिन है आज 90 मीटर का थ्रो निकले जिसके लिए सवाल पूछा जाता है. आज निकलनी थी लेकिन... वो कहां निकलेगी ये नहीं पता..जब अरशद ने थ्रो किया तो यकीन था कि करेंगे, आज का दिन है वो, लेकिन नहीं हो पाया..फिर भी अपनी कंट्री के लिए मेडल जीता है, फ्लैग लेकर ग्राउंड के चक्कर लगाए हैं. सबकी उम्मीद थी कि गोल्ड मेडल डिफेंड करना है, मैं ये बताना चाहूंगा कि स्पोर्ट्स है अप-डाउन है.काफी टाइम से अपना दिन रहा है हमेशा,जीते हैं, विश्वास रहा है और उस पर खरा भी उतरा हूं. आज शायद अपना दिन नहीं था. इसे स्वीकार करके हम आगे की तैयारी करेंगे. ये टक्कर तो चलती रहेगी.'
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अरशद की तारीफ
अरशद नदीम की तारीफ करते हुए नीरज ने आगे कहा, 'देखो जिसने जितनी मेहनत की है, उसे वो मिलेगा ही. अरशद नदीम काफी रिस्पेक्ट करता है और हमारा फर्ज बनता है कि कोई हमसे अच्छे से बात करे तो हमें भी अच्छे से ही बात करनी चाहिए. अशरद ने जो थ्रो की है,वो काफी अच्छी थी और सही जगह पर वो निकली है, जहां पर जरूरत थी. आज का वो दिन था जो थ्रो मैंने सोचा था वो निकलना चाहिए था, क्योंकि ये समय चार साल बाद आता है. आज मुझे लग रहा था कि शायद वो होगा, लेकिन आज शायद अपना दिन नहीं था. '
ग्रोइन इंजरी पर भी रहता है ध्यान- नीरज
अपनी ग्रोइन इंजरी के बारे में बात करते हुए कहा,'ग्रोइंग इंजरी का तो यही है कि जब मैं थ्रो करता हूं तो मेरा 50 से 60 परसेंट दिमाग ही वहां रहता है.मेरा एफर्ट पर कम इस बात पर ज्यादा ध्यान रहता है कि इंजरी ना हो जाए. आज भी दिमाग में वही चल रहा था कि थ्रो तो निकालना है लेकिन ऐसा ना हो कि बड़ी इंजरी हो जाए और फिर यहीं सब कुछ यहीं पर रूक जाए. वो चीज जब मन से निकल जाएगी तो तब असली थ्रो होगी. वो चीज निकालनी है, फिट होना है.बिना इंजरी के बारे में सोचे ही थ्रो करनी है.'
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