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भारतीय रेसलर विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक 2024 की महिलाओं की 50 किलो कुश्ती स्पर्धा के फाइनल से पहले वजन अधिक पाए जाने के कारण बुधवार को ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. विनेश ने ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रचा था. सुबह तक उनका कम से कम रजत पदक पक्का लग रहा था, लेकिन उनका वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया. 29 साल की विनेश को खेलगांव में पॉली क्लीनिक ले जाया गया क्योंकि सुबह उनके शरीर में पानी की कमी हो गई थी.
हालांकि विनेश ने बुधवार को CAS में ओलंपिक फाइनल से खुद को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपील की और मांग की कि उन्हें संयुक्त रजत पदक दिया जाए. ओलंपिक खेलों या उद्घाटन समारोह से पहले 10 दिनों की अवधि के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद के समाधान के लिए यहां खेल पंचाट का तदर्थ विभाग (Court of Arbitration for Sports- CAS) स्थापित किया गया है जो उनकी अपील पर सुनवाई करने जा रहा है.
पहले 48 या 53 किलो भारवर्ग में लड़ती थीं विनेश
विनेश फोगाट का पेरिस ओलंपिक का सफर आसान नहीं रहा है. फोगाट पहले 48 किलो भारवर्ग में मुकाबला लड़ती थीं. विनेश ने 2016 के रियो ओलंपिक में 48 किलोग्राम वर्ग में मुकाबला लड़ा था. तब विनेश की उम्र 22 साल थी. हालांकि जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई, उनके लिए उस भारवर्ग को बनाए रखना मुश्किल होता चला गया. इसके बाद वह 50 किग्रा वर्ग में चली गईं और फिर टोक्यो ओलंपिक के समय 53 किग्रा वर्ग में आ गईं. टोक्यो में विनेश 53 किलो भारवर्ग के क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी. फिर उन्होंने 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में इसी भारवर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया.
देखा जाए तो 53 किग्रा में भी वह प्रतिस्पर्धा करने के लिए बहुत अधिक वजन कम कर रही थीं. वजन कम होने के कारण उनकी रिकवरी खराब रही और उन्हें बार-बार चोटें लगीं. हालांकि, उनके करियर में तब रुकावट आई जब उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शनों और घुटने के लिगामेंट की चोट ने उन्हें कुश्ती से साइडलाइन कर दिया और उनका भविष्य अनिश्चित हो गया. उनकी चोट के बीच भारतीय पहलवान अंतिम पंघाल का उदय भी हुआ. जब विनेश एक्शन से दूर थीं, तब अंतिम ने महिलाओं के 53 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक के लिए देश को कोटा दिलाया.
WFI के पिछले नियमों के तहत कोटा विजेता को ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए स्वचालित हरी झंडी मिल जाती थी. इस घटनाक्रम ने विनेश फोगाट को अनिश्चित स्थिति में डाल दिया. हालांकि तब भारत में कुश्ती की अस्थायी रूप से देखरेख करने वाली तदर्थ समिति ने उन्हें आश्वासन दिया था कि 53 किलोग्राम वर्ग के लिए जरूर ट्रायल होगा. हालांकि, WFI को फुल कंट्रोल मिलने और संजय सिंह के नए अध्यक्ष बनने के साथ ही स्थिति लगातार अनिश्चित होती चली गई.
उधर, विनेश फोगाट को भी एहसास हुआ कि WFI की सत्ता में वापसी पर ही निर्भर रहना ओलंपिक में 53 किलोग्राम वर्ग में उनकी जगह की गारंटी नहीं दे सकता. समय बीतने के साथ ही उनके सामने दो कठिन विकल्प थे या तो 50 किलोग्राम वर्ग में चली जाएं, जहां उन्होंने आखिरी बार 2018 में भाग लिया था. या 57 किलोग्राम वर्ग में भाग लें.
...जब चयन ट्रायल के दौरान हुआ ड्रामा
मार्च 2024 में पटियाला में आयोजित चयन ट्रायल के दौरान गजब का ड्रामा देखने को मिला था. अजीबोगरीब नजारा यह रहा कि 50 किग्रा वर्ग का ट्रायल सुबह शुरू नहीं हुआ, क्योंकि विनेश ने लिखित गारंटी पर जोर दिया कि उन्हें ओलंपिक से पहले 53 किग्रा वर्ग के ट्रायल में भाग लेने की अनुमति दी जाए. इसके अलावा, दोनों भार वर्गों में ड्रॉ सूची भी साझा नहीं की गई.
भूपिंदर सिंह बाजवा, एमएम सोमाया और मंजूषा पंवार की तदर्थ समिति ने 50 किग्रा वर्ग में ट्रायल में देरी करके उसे समझाने की कोशिश की. हालांकि वह नहीं मानी. उस ट्रायल के दौरान विनेश ने 50 के अलावा 53 किलो भारवर्ग में भी भाग लिया था. दिलचस्प बात यह है कि एड हॉक पैनल ने अपने सर्कुलर में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि ट्रायल यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के नियमों के अनुसार आयोजित किए जाएंगे. विनेश को दो भार श्रेणियों में भाग लेने की अनुमति देते हुए उन्होंने नियमों को ताक पर रख दिया गया.
53 किलो भारवर्ग के सेमीफाइनल में अंशु के हाथों वह हार गई थीं. मगर 50 किग्रा वेट कैटेगरी में जीत के चलते विनेश को एशियन ओलंपिक क्वालिफायर के लिए एंट्री मिल गई थी. उन्होंने 50 किग्रा वेट कैटेगरी के फाइनल में शिवानी को हराया था. फिर विनेश ने किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजिता एशियाई ओलंपिक क्वालिफायर के सेमीफाइनल में कजाकिस्तान की लौरा गनिक्यजी को 10-0 से हराकर देश के लिए ओलंपिक कोटा हासिल किया.