पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराज, दादा और द प्राइड ऑफ कोलकाता के उपनामों से मशहूर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली राजनीति में कदम रख सकते हैं.
टीएमसी सांसद सौगत रॉय का कहना है कि सौरव गांगुली सभी बंगालियों के लिए एक आइकन हैं, अगर वो राजनीति में आते हैं तो मैं खुश नहीं होऊंगा. वो बंगाल से इकलौते क्रिकेट कप्तान रहे, टीवी शो के कारण भी फेमस हैं. उनका राजनीति में कोई बैकग्राउंड नहीं हैं, ऐसे में वो यहां नहीं टिक पाएंगे.
आइए बीसीसीआई अध्यक्ष की पारिवारिक पृष्ठभूमि और क्रिकेट सफर पर नजर डालते हैं.
कोलकाता की मशहूर हस्तियों में शुमार निरोदकांत गांगुली एनसी गोंशाई प्रेस के मालिक थे. उनके बड़े बेटे चंडी गांगुली क्रिकेट खिलाड़ी रहे. बाद में उन्होंने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल की कमान संभाली. वह बीसीसीआई की सबकमेटी में भी रहे. स्पष्ट है कि गांगुली परिवार में क्रिकेट संस्कृति बहुत पहले से मौजूद थी.
चंडी गांगुली के दो बेटे हैं. स्नेहाशीष और सौरव. बचपन में स्नेहाशीष को क्रिकेट खेलने में बेहत रुचि थी और गांगुली परिवार ने इसे गंभीरता से लिया. इसके विपरीत सौरव को क्रिकेट को लेकर कोई जुनून नहीं था, बल्कि उन्हें फुटबॉल से प्यार था. सौरव के मामा के परिवार का उस समय क्रिकेट से भी नाता था. उनके नाना सच्चिदानंद चटर्जी बारिशा स्पोर्टिंग क्लब के संस्थापक सदस्य थे, जबकि मामा अरूप चटर्जी क्रिकेट खेला करते थे.
सौरव बहुत कम उम्र से क्रिकेट के माहौल में बड़े हो रहे थे. हालांकि उन्हें बचपन से ही फुटबॉल के प्रति लगाव था, अपने बड़े भाई स्नेहाशीष को देख सौरव का झुकाव धीरे-धीरे क्रिकेट की ओर बढ़ रहा था. 1986 में सौरव को बंगाल की अंडर-15 टीम में जगह मिली. जिससे सौरव के लिए क्रिकेट के विभिन्न स्तरों के दरवाजे खुल गए. अंडर-19, इंडिया स्कूल टीम, कैलाश घटानी का स्टार क्लब मुंबई से लेकर इंग्लैंड तक... यानी सौरव का क्रिकेट सफर शुरू हो चुका था.
1989-90 के सीजन में सौरव को बंगाल रणजी ट्रॉफी के लिए बुलाया गया था, हालांकि बंगाल के अंतिम एकादश में उन्हें नहीं चुना गया. अरुण लाल, अशोक मल्होत्रा, प्रणब रॉय, राजा बेंकट और खुद स्नेहाशीष शानदार फॉर्म में चल रहे थे. ईडन गार्डन में रणजी फाइनल था. प्रतिद्वंद्वी टीम दिल्ली थी. मैच से एक दिन पहले कप्तान संबरण बनर्जी ने कहा कि उन्हें एक मजबूत गेंदबाज की जरूरत पड़ेगी. एक ही विकल्प सौरव है, लेकिन कौन बाहर बैठेगा? अंत में सौरव को बंगाल की टीम में शामिल किया गया और स्नेहाशीष बाहर हो गए. अगर स्नेहाशीष उस मैच में खेले होते तो आज की तस्वीर पूरी तरह से अलग हो सकती थी.
1992 में सौरव को सीनियर क्रिकेट टीम में शामिल कर लिया गया. भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी. सौरव ने त्रिकोणीय वनडे सीरीज के मुकाबले में सिर्फ 3 रन बनाए. फिर उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. कहा गया कि सौरव को उनके अहंकार के कारण राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं दी गई. यहां तक कि 'महाराज' नाम के बारे में चुटकुले भी हैं.
चार साल बाद भारत ने इंग्लैंड का दौरा किया. सौरव को एक ऑलराउंडर के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली. उन्होंने लॉर्ड्स में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया. हैरी ग्राहम और जॉन हैम्पशायर के बाद सौरव तीसरे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने लॉर्ड्स में टेस्ट में पदार्पण करते हुए शतक जड़ा. अगला टेस्ट मैच ट्रेंट ब्रिज में था, वहां भी सौरव के बल्ले से 136 रनों की शानदार पारी निकली. उसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा.
इंग्लैंड से लौटने के बाद सौरव ने शादी कर ली. दुल्हन डोना रॉय थीं. उस समय रॉय परिवार और गांगुली परिवार के संबंध अच्छे नहीं थे. सौरव ने इसे नजरअंदाज कर फरवरी 1997 में डोना से शादी कर ली. डोना पेशे से ओडिसी डांसर हैं. उन्होंने केलुचरण महापात्रा से नृत्य सीखा. वर्तमान में उनका एक नृत्य विद्यालय है, जिसका नाम दीक्षामंजरी है.
2000 में क्रिकेट में फिक्सिंग का साया मंडरा रहा था. ऐसे में भारतीय क्रिकेट की बागडोर किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपने की चर्चा हो थी, जिसकी छवि बहुत साफ हो. सचिन ने कप्तानी से इनकार कर दिया था, तब भारतीय क्रिकेट टीम की कमान सौरव को सौंपी गई थी.
सौरव की कप्तानी में भारत ने 49 में से 21 टेस्ट मैच जीते हैं. जीतने का प्रतिशत 42.85 है. दूसरी ओर,उन्होंने 148 वनडे मैचों में से 76 जीते हैं. जीतने का प्रतिशत 53.90 है. सौरव के नेतृत्व वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने कभी भी टी 20 मैच नहीं खेला. हालांकि, आईपीएल टूर्नामेंट में उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स और पुणे वॉरियर्स का नेतृत्व किया है.
सौरव गांगुली के रनों के आंकड़ों पर नजर डालते हैं. सौरव ने 113 टेस्ट में 7,212 रन बनाए हैं. इनमें से 16 शतक हैं. दूसरी ओर, उन्होंने 311 वनडे इंटरनेशनल मैचों में 11,363 रन बनाए हैं, जिनमें 22 शतक शामिल हैं.
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सौरव ने एक प्रशासक के रूप में भी कुशल भूमिका निभाई है. 1954 में विजयनगरम के महाराजा के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष चुने जाने वाले वह दूसरे भारतीय क्रिकेटर बने. वह कोरोना काल में भी आईपीएल 2020 कराने में सफल रहे.
हाल के आंकड़े बताते हैं कि सौरव के पास 350 करोड़ रुपये की अनुमानित संपत्ति है. इसके अलावा सौरव की ब्रांड वैल्यू भी काफी ज्यादा है. उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद से कमेंटेटर के रूप में भी काफी कमाई की है.
ISL (इंडियन सुपर लीग) में ATK मोहन बागान के सहमालिक के अलावा सौरव भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं. अगले साल तक सौरव की आमदनी 60 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. इसके अलावा उनकी निजी संपत्ति का अनुमानित मूल्य लगभग 45 करोड़ रुपये है, लक्जरी कारें लगभग 7 करोड़ रुपये की हैं. बीसीसीआई से उन्हें लगभग 5 करोड़ रुपये मिलते हैं और वह विभिन्न ब्रांड एंडोर्समेंट से एक साल में अनुमानित 2-3 करोड़ रुपये कमाते हैं.