दिलीप वेंगसरकर को प्रतिभाओं को तलाशने के मामले में भारत के सबसे अच्छे चयनकर्ताओं में से एक माना जाता है. इस पूर्व कप्तान के चयन समिति के अध्यक्ष के तौर पर 2006 से 2008 का कार्यकाल आने वाले चयनकर्ताओं के लिए एक पैमाना बना, क्योंकि उनके चयनकर्ता रहते हुए महेंद्र सिंह धोनी कप्तान बने और उन्होंने विराट कोहली का पक्ष लिया.
सोमवार को अपना 64 जन्मदिन मनाने वाले वेंगसरकर ने पीटीआई से कहा, ‘प्रतिभा को परखना मेरा काम था. आप प्रतिभा को परखने में अच्छे हो सकते हैं, लेकिन अगर कोई प्रतिभावान है तो उसे मौका मिलना चाहिए.’
वेंगसरकर का मानना है कि वह चयन समिति के अध्यक्ष पद से न्याय करने में इसलिए सफल रहे, क्योंकि वह बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के प्रतिभा अनुसंधान विकास विभाग (टीआरडीडब्ल्यू) से जुड़े थे जिसने धोनी जैसे क्रिकेटर की प्रतिभा को तलाशा था. टीआरडीडब्ल्यू हालांकि अब अस्तित्व में नहीं है.
भारत के सबसे अच्छे चयनकर्ताओं में एक दिलीप वेंगसरकर ने खुलासा किया कि महेद्र सिंह धोनी को 21 साल की उम्र में बीसीसीआई के टीआरडीडब्ल्यू योजना में शामिल किया गया था, जबकि इसके लिए 19 साल की उम्र निर्धारित थी.
दिलीप वेंगसरकर ने बताया कि इसके पीछे काफी दिलचस्प कहानी है. उन्होंने कहा बंगाल के पूर्व कप्तान प्रकाश पोद्दार के कहने पर धोनी को इसमें शामिल किया गया था. दरअसल, पोद्दार के आग्रह पर वेंगसरकर ने फैसला किया कि प्रतिभाशाली खिलाड़ी के लिए नियम नहीं आड़े आने चाहिए.
पोद्दार जमशेदपुर में एक अंडर-19 मैच देखने गए थे. उसी समय बगल के कीनन स्टेडियम में बिहार की टीम एकदिवसीय मैच खेल रही थी और गेंद बार-बार स्टेडियम के बाहर आ रही थी. इसके बाद पोद्दार ने उत्सुकता हुई कि इतनी दूर गेंद को कौन मार रहा है. जब उन्होंने पता किया तो धोनी के बारे मे पता चला.
वेंगसरकर ने कहा, ‘पोद्दार के कहने पर 21 साल की उम्र में धोनी को टीआरडीडब्ल्यू कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया.’ उन्होंने बताया कि टीआरडीडब्ल्यू को पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने शुरू किया था. डालमिया के चुनाव हारने के बाद हालांकि इसे बंद कर दिया गया.
वेंगसरकर ने राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) की मौजूदा स्थिति पर निराशा जताते हुए कहा कि यह प्रतिभा निखारने के बजाय खिलाड़ियों का रिहैबिलिटेशन का केंद्र बनता जा रहा है.