बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को अपने बांद्रा स्थित घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सुशांत सिंह की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए भारतीय क्रिकेटर रोबिन उथप्पा ने कहा है कि अगर आप ठीक नहीं हो तो यह बुरी बात नहीं है और जरूरी है कि हम उस पर चर्चा करें जो हमारे अंदर चल रहा है.
बता दें कि एक बार खुद रॉबिन उथप्पा ने बताया था कि वह अपने करियर में दो साल तक डिप्रेशन में रहे. इस दौरान वह आत्महत्या के ख्यालों से जूझते रहे. आखिरकार क्रिकेट ही एकमात्र वजह थी, जिसने उन्हें ‘बालकनी से कूदने’ से रोका.
ऐसी चर्चाएं हैं कि सुशांत सिंह राजपूत डिप्रेशन से जूझ रहे थे. रॉबिन उथप्पा ने ट्वीट किया, 'समझ से परे. आप जिस दर्द से गुजरे हो उसके बारे में सोच भी नहीं सकता. मेरी दुआएं आपके परिवार और दोस्तों के साथ हैं. भगवान आपकी आत्मा को शांति दे.'
रॉबिन उथप्पा ने आगे लिखा, 'मैं इसे बार-बार नहीं दोहरा सकता. हम जो महसूस कर रहे हैं उसके बारे में बात करने की जरूरत है. हम जितना समझते हैं उससे ज्यादा मजबूत होते हैं. अगर आप ठीक नहीं हैं तो कोई बात नहीं है.'
हाल ही में रॉबिन उथप्पा ने राजस्थान रॉयल फाउंडेशन के लाइव सत्र ‘माइंड, बॉडी एंड सोल’ में कहा था, 'डिप्रेशन में रहने के कारण एक बार मैंने सोचा कि दौड़कर जाऊं और बालकनी से कूद जाऊं, लेकिन किसी चीज ने मुझे रोके रखा.’ उथप्पा ने कहा कि इस समय उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया.
34 साल के सुशांत सिंह राजपूत बिहार के थे. उन्होंने पटना और नई दिल्ली में पढ़ाई की थी. इसके बाद वो मुंबई चले गए.उन्होंने सीरियल पवित्र रिश्ता से अपनी पहचान बनाई थी. इसके बाद वे फिल्मों में आ गए और काई पो चे, शुद्ध देसी रोमांस, एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी, केदारनाथ और छिछोरे जैसी फिल्में कीं. बॉलीवुड और खेल जगत उनकी मौत से दुखी है.
भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेल चुके उथप्पा को इस साल आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने 3 करोड़ रुपये में खरीदा था. कोरोना वायरस महामारी के कारण आईपीएल स्थगित कर दिया गया है.
भारत की 2007 टी-20 वर्ल्ड कप विजेता टीम के अहम सदस्य रहे उथप्पा ने कहा था,‘मुझे याद है 2009 से 2011 के बीच यह लगातार हो रहा था और मुझे रोज इसका सामना करना पड़ता था. मैं उस समय क्रिकेट के बारे में सोच भी नहीं रहा था.’
उथप्पा ने कहा ,‘मैं सोचता था कि इस दिन कैसे रहूंगा और अगला दिन कैसा होगा, मेरे जीवन में क्या हो रहा है और मैं किस दिशा में आगे जा रहा हूं. क्रिकेट ने इन बातों को मेरे जेहन से निकाला. मैच से इतर दिनों या ऑफ सीजन में बड़ी दिक्कत होती थी.’
उथप्पा ने कहा ,‘मैंने एक इंसान के तौर पर खुद को समझने की प्रक्रिया शुरू की. इसके बाद बाहरी मदद ली, ताकि अपने जीवन में बदलाव ला सकूं.’ इसके बाद वह दौर था जब ऑस्ट्रेलिया में भारत-ए की कप्तानी के बावजूद वह भारतीय टीम में नहीं चुने गए.
उथप्पा ने कहा ,‘पता नहीं क्यों... मैं कितनी भी मेहनत कर रहा था, लेकिन रन नहीं बन रहे थे. मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि मेरे साथ कोई समस्या है. हम कई बार स्वीकार नहीं करना चाहते कि कोई मानसिक परेशानी है.’
इसके बाद 2014-15 रणजी सत्र में उथप्पा ने सर्वाधिक रन बनाए. उन्होंने अभी क्रिकेट को अलविदा नहीं कहा है, लेकिन उनका कहना है कि अपने जीवन के बुरे दौर का जिस तरह उन्होंने सामना किया, उन्हें कोई खेद नहीं है.
उन्होंने कहा ,‘मुझे अपने नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं है क्योंकि इससे मुझे सकारात्मकता महसूस करने में मदद मिली. नकारात्मक चीजों का सामना करके ही आप सकारात्मकता में खुश हो सकते हैं.’