
रियो ओलंपिक में कांस्य जीतक मेडल का सूखा दूर करने वाली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक पर इनामों की बरसात हो रही है. हरियाणा सरकार साक्षी को 2.5 करोड़ रुपये देगी जबकि रेलवे 50 लाख और पदोन्नति देगी. इसके अलावा साक्षी को भारत सरकार की ओर से 30 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा. साथ ही साक्षी को क्लर्क से सीधे डिविजनल कमर्शियल मैनेजर बनाने का एलान किया गया है.
साक्षी ने 58 किलो भार वर्ग की फ्रीस्टाइल कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. ये कारनामा करने वाली वो पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं. साक्षी ने रेपचेज के फाइनल मुकाबले में किर्गिजस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा को मात देकर रियो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिलाया.
साक्षी ने रचा इतिहास
साक्षी ने किर्गिजस्तान की पहलवान के सामने जबरदस्त खेल दिखाकर ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया. पहले राउंड में वो किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा से 0-5 से हार गईं थीं. दूसरे राउंड की शुरुआत में पिछड़ने के बाद साक्षी ने जबरदस्त वापसी की और 8-5 से दूसरा सेट जीतकर मुकाबला बराबर किया, और देश को कांस्य पदक दिलाकर भारत का रियो ओलंपिक में खाता खुलवाया. जब 10 सेकंड का समय बचा था तब साक्षी को एक अंक की दरकार थी और उसने मैच के अंतिम क्षणों में ‘टेकडाउन’ के जरिये करीबी जीत दर्ज की.
साक्षी ने जबरदस्त खेल दिखाया
मंगोलियाई खिलाड़ी के खिलाफ साक्षी का पहले राउंड में मुकाबला 2-2 से बराबरी पर रहा, दोनों खिलाड़ियों के बीच जबरदस्त जंग देखने को मिल रही थी. लेकिन मुकाबले के आखिरी क्षणों में साक्षी ने वो कर दिखाया, जो रियो में कोई भारतीय एथलीट नहीं कर पा रहा था. साक्षी की इस कामयाबी पर देश को सदा उन पर नाज रहेगा. इस मुकाबले में उन्होंने अपने जबरदस्त दांव लगाए और 12-3 से मुकाबला जीत कर इतिहास रच दिया. मेडल जीतने के बाद साक्षी ने कहा कि देश ने उन पर जो प्यार और भरोसा दिखाया है, उसकी वो हमेशा शुक्रगुजार रहेंगी.
पीएम मोदी ने कहा पूरा देश है खुश
पीएम मोदी ने ट्वीट कर साक्षी मलिक को इस जीत की बधाई देते हुए कहा कि आने वाले सालों में साक्षी कई खिलाड़ियों को प्रेरित करती रहेंगी. पीएम ने कहा कि इस रक्षा बंधन पर भारत की बेटी ने ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर हम सभी को गौरवान्वित किया है.
कैसे मिला साक्षी को ब्रॉन्ज मेडल ?
साक्षी के लिए इस मेडल को हासिल करने की राह किसी भी लिहाज से आसान नहीं थी. उन्होंने पहले क्वालिफिकेशन राउंड में स्वीडन की पहलवान मलिन जोहान्ना मैटसन को 5-4 से हराया. राउंड ऑफ 16 में साक्षी ने मॉल्डोवा की मारियाना चेरडिवारा-एसानू को 3-1 से हराया. इसके बाद प्रीक्वार्टर मुकाबले में उन्होंने तकनीकी अंकों के आधार पर मारियाना चेरदिवारा को हराया. दोनों के 5-5 प्वाइंट थे, लेकिन लगातार चार अंक अर्जित करने के कारण साक्षी को विजेता घोषित किया गया. इसके बाद क्वार्टर फाइनल में साक्षी को रूस की वेलेरिया कोबलोवा ने एकतरफा मुकाबले में साक्षी को 9-2 से शिकस्त झेलनी पड़ी. जिसके बाद उन्हें गोल्ड और सिल्वर मेडल की दौड़ से बाहर होना पड़ा. फिर उन्हें रेपचेज मुकाबला खेलने का मौका मिला.
जब खुशी से झूम उठा साक्षी का परिवार
साक्षी की इस कामयाबी पर उनके घर में खुशी का माहौल है. उनके परिवार वालों ने पूरा मुकाबला देखा, जैसे ही साक्षी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता उनके घर वाले नाचने-गाने लगे. साक्षी की मां ने कहा कि भारत की बेटी ने देश में ओलंपिक पदक के सूखे को खत्म कर दिया है.
ट्विटर पर बधाई संदेशों की आई बाढ़
साक्षी की इस कामयाबी के बाद ट्विटर पर उनके लिए बधाई संदेशों की बाढ़ सी आ गई. विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने साक्षी को ट्वीट कर बधाई दी और कहा देश को तुम पर नाज है.
वहीं सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने भी साक्षी को बधाई दी. भारतीय क्रिकेटर आर अश्विन ने भी साक्षी को बधाई दी और कहा कि साक्षी की इस कामयाबी से भारत में महिला कुश्ती को नई पहचान मिलेगी.
ओलंपिक में भारतीय कुश्ती का सफर
भारत को कुश्ती में अबतक चार मेडल मिल चुके हैं. जिसमें साक्षी मलिक पहली महिला पहलवान हैं, जिन्होंने कुश्ती में मेडल हासिल किया है. 1952 हेलसिंकी ओलंपिक गेम्स में भारत को कुश्ती में पहला मेडल खशाबा जाधव ने दिलाया था. इसके बाद भारत को अपने अगले पदक के लिए 56 सालों तक कुश्ती में कोई मेडल नहीं मिला. 2008 बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारतीय कुश्ती को नई राह दिखाई. इसके बाद उन्होंने फिर 2012 लंदन ओलंपिक देश को सिल्वर मेडल दिलाकर इतिहास रच दिया था और सुशील भारतीय ओलंपिक इतिहास में व्यक्तिगत स्पर्धा में दो बार मेडल दिलाने वाले पहले एथलीट बने. 2012 लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.