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जन्मदिन विशेष: देश के पहले प्रो-बॉक्सर धर्मेंद्र के नाम है 6-0 का अनबिटन रिकॉर्ड

देश के पहले प्रोफेशनल मुक्केबाज धर्मेंद्र सिंह यादव आज अपना 45वां जन्मदिन मना रहे हैं. 90 के दशक में धर्मेंद्र की गिनती दुनिया के बेहतरीन मुक्केबाजों में होती थी और आज उन्हें दुनिया का बेहतरीन बॉक्सिंग कोच कहा जाता है.

धर्मेंद्र सिंह यादव धर्मेंद्र सिंह यादव
अमित रायकवार
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST

देश के पहले प्रोफेशनल मुक्केबाज धर्मेंद्र सिंह यादव आज (29 दिसंबर) अपना 45वां जन्मदिन मना रहे हैं. 90 के दशक में धर्मेंद्र की गिनती दुनिया के बेहतरीन मुक्केबाजों में होती थी और आज उनका बेहतरीन बॉक्सिंग कोचों में शुमार होताहै. देश में शायद ही ऐसा कोई मुक्केबाज हो जो उनके साथ ट्रनिंग नहीं करना चाहता हो. वो भारतीय बॉक्सिंग टीम के साथ बतौर एसिस्टेंट कोच के तौर काम कर रहे हैं. उनकी चमकती आंखों में एक ही सपना है, देश को मुक्केबाजी में पावर हाउस बनाना और वो इस तरफ एक कदम भी बढ़ा चुके हैं.

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बचपन से ही उन्हें मुक्केबाजी का शौक था

धर्मेंद्र का जन्म 29 दिसंबर 1972 को दिल्ली में हुआ.  बचपन से ही उन्हें मुक्केबाजी का शौक था. परिवार ने  सबसे छोटे बेटे की इस ख्वाहिश को पूरा किया और दिल्ली के आईजी स्टेडियम में कोच एसआर सिंह की देखरेख में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया. कोच ने उनकी काबिलियत को समझने में जरा भी देर नहीं लगाई. फिर क्या था वो देखते ही देखते धर्मेंद्र देश के बेहतरीन मुक्केबाज बन गए. धर्मेंद्र की कहानी यहां से शुरू होती है. मुक्केबाजी में एक मुकाम हासिल करने के बाद उन्हें कई तरह की परेशानियाों का सामना करना पड़ा. लेकिन मजबूत हौसले वाले इस मुक्केबाज ने हार नहीं मानी.

दुनियां ने देखा धर्मेंद्र के मुक्कों का दम

धर्मेंद्र ने 1989 से लेकर 1994 तक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी में छाए रहे और वो 1991 में सबसे युवा अर्जुन अवॉर्ड पाने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने. उन्होंने 19 बार अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में देश का प्रतिनिधत्व किया. जिसमें तीन सिल्वर सात ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए. इसके अलावा वो वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज भी बने. 1990 ऑकलैंड कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्हें ब्रॉन्ज मेडल मिला. पाकिस्तान सैफ गेम्स में सिल्वर मेडल, एशियन चैंपियनशिप बीजिंग ब्रॉन्ज मेडल हासिल इसके अलावा कई और बड़े टूर्नामेंट में दुनिया ने उनके मुक्के का दम देखा . 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में हिस्सा लिया. ओलंपिक में वो ज्यादा कमाल नहीं दिखा सके. 

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देश का पहले प्रोफेशनल मुक्केबाज

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मुक्केबाजी का दम दिखाने के बाद धर्मेंद्र ने प्रोफेशनल मुक्केबाजी अपने हाथ अाजमाए. धर्मेंद्र ने वहां भी देश को निराश नहीं किया. प्रोफेशनल मुक्केबाजी में उनके नाम छह शून्य का अनबिटन रिकॉर्ड है. जिसमें उन्होंने एक मुक्केबाज को नॉकआउट भी किया. प्रोफेशनल बॉक्सिंग के  पहले मुकाबले में उन्होंने इंग्लैंड के नील पैरी को 6-0, शिकस्त दी.  बुलगारिया के क्रासीमीर चोलकोव को 5-0 से हराया. इंग्लैंड के एंथनी हन्ना को 4-0 से शिकस्त दी, इंग्लैंड के ब्रेंडन ब्राइस को 3-0 से धूल चटाई, इंग्लैंड के रोवन एंथनी विलियम्स को -2-0 से हराया. फिर इंग्लैंड के ही शॉन नॉर्मन को 1-0 से हराकर दुनिया को अपने होने का एहसास कराया.

भारतीय बॉक्सिंग टीम के साथ काम कर रहें है धर्मेंद्र

आज धर्मेंद्र सिंह यादव भारतीय बॉक्सिंग टीम के साथ असिस्टेंट कोच के तौर पर काम कर रहे हैं. उनका मिशन देश की मुक्केबाजी को एक नए आयाम तक पहुंचाना है. जिसके लिए पूरे जोश के साथ वो पटियाला में नेशनल टीम और चीफ कोच एसआर सिंह के साथ मुक्केबाजों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.

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