Advertisement

जेके ट्राई नेशन कार रैली: हिमालय की वादियों में 'कार' नामा

देश की वो इकलौती रैली जो तीन देशों से होकर गुजरती है. भारत, नेपाल और भूटान. एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ और मैन और मशीन के बेहतर तालमेल के अनूठे उदाहरण वाली इस रैली का आगाज सिलिगुड़ी से हुआ.

हिमालयन कार रैली हिमालयन कार रैली
तरुण वर्मा/गगन सेठी
  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 8:31 PM IST

कहीं चाय बागानों की खूबसूरती, तो कहीं रिवर बेंड (नदी के किनारे मोटे मोटे पत्थरों) पर रेस की चुनौती. कहीं जंगलों में कार चलाने का इम्तिहान, तो कहीं पत्थरों से कार को बचाने की चुनौती.

कहीं, 14 घंटे ड्राइविंग करने का जुनून तो कहीं उलझाते रास्तों पर खो जाने का डर. लेकिन, मुश्किलें ही न हों, तो फिर मंजिल पाने का मजा ही क्या है. मौका था जेके हिमालयन ड्राइव ट्राईनेशन कार रैली का.

Advertisement

देश की वो इकलौती रैली जो तीन देशों से होकर गुजरती है. भारत, नेपाल और भूटान. एक- दूसरे से आगे निकलने की होड़ और मैन और मशीन के बेहतर तालमेल के अनूठे उदाहरण वाली इस रैली का आगाज सिलिगुड़ी से हुआ.

मोटरस्पोर्ट्स का जुनून भारत, नेपाल और भूटान से रफ्तार के शौकीनों को एक साथ लेकर आया था और चुनौती थी 5 दिन में करीब 1700 किलोमीटर के सफर में सर्वश्रेष्ठ बनने का.

यह कार रैली टीएसडी फॉर्मेट की रैली थी. यानी अचानक दिए गए रूट पर पहले से निर्धारित वक्त के मुताबिक पहुंचना. एक सेकंड देरी से पहुंचे तो एक सेकंड की पेनल्टी और एक सेकंड पहले पहुंचे, तो 2 सेकंड की पेनल्टी.

इंटरनेशनल नियमों के हिसाब से चलने की मजबूरी अलग से. हर दिन औसतन 8-10 घंटे की कमरतोड़ ड्राइविंग और कम से कम गलती करने का दबाव इस रेस को और दिलचस्प बना रहा था.

Advertisement

इतना ही नहीं, भारत-नेपाल-भूटान के अलग-अलग वक्त के हिसाब से अलग-अलग कैलकुलेशन का उलझाव टीमों की रणनीति उलझाने के लिए काफी थी. जैसा कि ओवलऑल विजेता असगर अली और मोहम्मद मुस्तफा ने कहा भी 'यह रैली सेकंड्स का खेल थी.

जिसने दबाव को बेहतर तरीके से झेल लिया, वही विजेता बना.' जस्ट स्पोर्ट्स के तमल घोषाल बताते हैं 'मोटरस्पोर्ट्स खासकर, ऑफरोडिंग में ट्रैक हर किसी के आकर्षण का केंद्र होते हैं. हमारी कोशिश भी यही रही है कि तीनों देशों के बेस्ट ट्रैक्स को रैली में शामिल करें.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement