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जाने कैसे हुई पैरालंपिक खेलों की शुरुआत?

ओलंपिक की गहमागहमी के बाद उसी मैदान पर पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने की होड़ अब ओलंपिक कैलेंडर का नियमित हिस्सा बन गया है. दिव्यांग खिलाड़ी पूरे जोश और जज्बे के साथ पदक तालिका में अपना और अपने देश का नाम दर्ज कराने के लिए वर्षों की मेहनत को झोंक देते हैं. लेकिन पैरालंपिक खेलों की शुरुआत की बड़ी दिलचस्प कहानी है.

सर गुडविंग गुट्टमान, पैरालंपिक के जनक सर गुडविंग गुट्टमान, पैरालंपिक के जनक
अमित रायकवार
  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

ओलंपिक की गहमागहमी के बाद उसी मैदान पर पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने की होड़ अब ओलंपिक कैलेंडर का नियमित हिस्सा बन गया है. दिव्यांग खिलाड़ी पूरे जोश और जज्बे के साथ पदक तालिका में अपना और अपने देश का नाम दर्ज कराने के लिए वर्षों की मेहनत को झोंक देते हैं. लेकिन पैरालंपिक खेलों की शुरुआत की बड़ी दिलचस्प कहानी है. इन खेलों के मौजूदा स्वरुप की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद घायल सैनिकों को मुख्यधारा से जोड़ने के मकसद से हुई. खास तौर पर स्पाइनल इंज्यूरी के शिकार सैनिकों को ठीक करने के लिए इस खेल को शुरू किया गया. साल 1948 में विश्वयुद्ध के ठीक बाद स्टोक मानडेविल अस्पताल के नियोरोलोजिस्ट सर गुडविंग गुट्टमान ने सैनिकों के रिहेबिलेशन के लिए खेल को चुना. तब इसे अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर गेम्स का नाम दिया गया था.

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स्पोर्ट्स कंपीटिशन साल 1948 में लंदन में हुआ
घायल सैनिकों के लिए कराया स्पोर्ट्स कंपीटिशन साल 1948 में लंदन में हुआ. इतना ही नहीं गुट्टमान ने अपने अस्पताल के ही नहीं दूसरे अस्पताल के मरीजों को भी स्पोर्ट्स कंपीटिशन में शामिल किया. प्रयोग काफी सफल रहा और लोगों ने इस आयोजन को काफी पसंद किया. गुट्टमान के इस सफल प्रयोग को ब्रिटेन की कई स्पाइनल इंज्यूरी इकाइयो ने अपनाया और एक दशक तक स्पाइनल इंज्यूरी को ठीक करने के लिए ये रिहेबिलेशन प्रोग्राम चलता रहा. 1952 में फिर इसका आयोजन किया गया. इस बार ब्रिटिश सैनिकों के साथ ही डच सैनिकों ने भी हिस्सा लिया. इस तरह इसने पैरालंपिक खेलों के लिए एक ग्राउंड तैयार किया. सोच साकार हुई और 1960 रोम में पहले पैरालंपिक खेल हुए. पहले पैरालंपिक खेलों में 23 देशों के 400 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. शुरुआती पैरालंपिक में तैराकी को छोड़कर खिलाड़ी सिर्फ व्हीलचेयर के साथ ही भाग ले सकते थे. लेकिन 1976 में दूसरे तरह के पैरा लोगों को भी पैरालंपिक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया.

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1960 रोम ओलंपिक

1960 में रोम पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया. नियोरोलॉजिस्ट डॉक्टर गुट्टमान 400 व्हीलचेयर लेकर ओलंपिक शहर में पहुंचे, जहां उन्होंने पैरा लोगो के लिए खेल का आयोजन किया. वहीं से शुरुआत हुई मॉर्डन पैरालंपिक खेलों की. ब्रिटेन के मार्गेट माघन ने पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहला एथलीट बनने का गौरव हासिल किया. उन्होंने तीरंदाजी में गोल्ड मेडल जीता. यह खेल डॉक्टर गुट्टमान के इलाज में अहम हिस्सा रखता था.

 

1964 टोक्यो ओलंपिक
1964 में ओलंपिक जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित किया गया. ओलंपिक खत्म होने के कुछ ही समय बाद वहीं पैरालंपिक खेलों की मेजबानी की गई. ये पहला मौका था जब पैरा एथलीटों ने व्हीलचेयर के साथ कई खेलों में हिस्सा लिया.

1968 मैक्सिको ओलंपिक
जापान के बाद 1968 में ओलंपिक की मेजबानी की बारी मैक्सिको की थी. वहीं पैरालंपिक का आयोजन इसराइल में हुआ. फिर चार साल बाद हीडलबर्ग में आयोजन हुआ. इसके बाद ओलंपिक म्यूनिख में थे. जहां पैरालंपिक में कुआर्डीपेलेजिक (quadriplegic) रीढ़ की हड्डी की चोटों वाले एथलीट पहली बार इस प्रतिस्पर्धा में उतरे. इसके अलावा नेत्रहीन एथलीटों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इस ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले 44 देशों से 1000 से ज्यादा एथलीटों को खेल प्रेमियों के सामने अपना जोर अपना आजमाते हुए देखा. 1976 टोरंटो ओलंपिक में ऐम्प्युटी और मिक्सड पैरा एथलीटों के डेब्यू के साथ उनकी संख्या 1600 के पास पहुंच गई. ये पहला मौका था जब विशेष रेसिंग व्हीलचेयर टीम के लिए इस्तेमाल किया गया.

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1980 मॉस्को ओलंपिक
राजनीतिक उथल-पुथल के चलते 1980 में मॉस्को ने पैरालंपिक खेलों की मेजबानी से इनकार कर दिया. जिसके बाद हॉलैंड की राजधानी एम्सटर्डम को पैरालंपिक खेलों की मेजबानी का मौका दिया गया. जिसमें कुल 42 देशों के करीब 2500 पैरा एथलीटों ने हिस्सा लिया. पैरालंपिक आंदोलन में दिमाग से कमजोर एथलीटों को पहली बार शामिल किया गया. ये पहला मौका था जिसमें व्हीलचेयर मैराथन रेस को शामिल किया गया। 80 के दशक में पैरालंपिक अपने चरम पर था.

1988 सिओल ओलंपिक
1988 के ओलंपिक कोरिया की राजधानी सियोल में हुए. कोरिया ने पहली बार ओलंपिक खेलों के साथ पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया. यहां पैरालंपिक कमेटी और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक ने इसे सफल बनाने के लिए जबरदस्त काम किया.

1992 बार्सिलोना ओलंपिक
ओलंपिक के बाद हुए पैरालंपिक में एथलीटों की तादाद एकदम से बढ़ गई. इस बार 82 देशों के 3500 एथलीटों ने पदकों के लिए अपनी दावेदारी पेश की. इन जांबाज एथलीटों को देखने के लिए स्टेडियम खेल प्रेमियों से पूरी तरह से भरे नजर आए.

1996 अटलांटा ओलंपिक
इस बार पैरालंपिक में देशों की सहभागिता का रिकॉर्ड टूट गया और कई देशों के एथलीटों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. फिर बारी आई सिडनी पैरालंपिक की, जिसमें 132 देशों ने हिस्सा रिया. इन खेलों में पहली बार रग्बी, व्हीलचेयर बॉस्केटबॉल जैसे खेलों की शुरुआत हुई. 2004 एथेंस में रिकॉर्ड 135 देशों ने पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लिया। जिसमें 17 नए देश और 19 नए खेलों को शामिल किया गया और 4000 एथलीटों ने हिस्सा लिया. इस बार 304 वर्ल्ड रिकॉर्ड बने और 448 पैरालंपिक रिकॉर्ड. चीन ने पदक तालिका में पहली बार नंबर एक स्थान हासिल किया जबकि ब्रिटेन 35 गोल्ड मेडल के साथ दूसरे नंबर पर रहा. दो ब्रिटिश तैराक डावे रॉबर्ट्स और जिम एंडरसन चार गोल्ड अपने नाम करने में सफल रहे. ये पैरालंपिक खेल स्टोक मानडेविल की देन हैं. हर आयोजन के साथ पैरालंपिक मुकाबले और लोकप्रियता के लिहाज से नई ऊंचाइयों को छू रहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों से ये सफलता के शीर्ष पर पहुंचेंगे और उन ऊंचाईयों को छुएंगें जहां मुख्य ओलंपिक खेल हैं.

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