
खेलों की दुनिया में भारत का दबदबा बनाने के लिए खेल मंत्री किरण रिजिजू ने महत्वाकांक्षी योजनाओं पर प्रकाश डाला है, जिसमें फिटनेस और खेल संस्कृति को बढ़ावा देना अहम है. शनिवार को इंडिया टुडे के ई-माइंड रॉक्स इवेंट के शुरुआती सत्र में रिजिजू ने कहा कि देश में खेल संस्कृति का प्रसार हो और यह जीने का तरीका बने.
किरण रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी के लिए एक प्रेरणा रहे हैं और सरकार द्वारा तैयार 'ओलंपिक टास्क फोर्स' निकट भविष्य में इस दिशा में कुछ बड़ा करने में मदद करेगी. प्रधानमंत्री की 'फिट इंडिया मूवमेंट' पहल की सराहना करते हुए रिजिजू ने कहा कि 70 प्रतिशत भारतीयों ने अपनी फिटनेस का मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है और जीवन के उस पहलू का ध्यान रख रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'मेरे दो उद्देश्य हैं. एक तो भारत को स्पोर्टिंग पावरहाउस बनाना और दूसरा देश में खेल संस्कृति को विकसित करना है. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हम सभी के लिए प्रेरणादायक मार्गदर्शक रहे हैं. पीएम ने ओलंपिक टास्क फोर्स का गठन किया है. रिपोर्ट आ गई है और हम इसे पहले से ही लागू कर रहे हैं.'
रिजिजू ने कहा, 'पीएम ने फिट इंडिया मूवमेंट लॉन्च किया. यह वह आधार है, जिससे हम एक ऐसे देश के रूप में उभरेंगे, जिसमें फिट लोग होंगे. इससे पहले 70 प्रतिशत भारतीय फिट नहीं थे. अब लोग अपनी फिटनेस का ख्याल रख रहे हैं.'
इसके अलावा किरण रिजिजू ने सुझाव दिया कि खेलों के लिए समाज के दृष्टिकोण को बदलना होगा. उन्होंने ध्यान दिलाया कि 'खेलोगे कूदोगे, होगे खराब' वाली कहावत भ्रामक है. युवा पीढ़ी में बदलाव लाने के लिए अब 'खेलोगे कूदोगे बनोगे लाजवाब' के साथ पुरानी कहावत बदलनी चाहिए.
खेल मंत्री ने उन उद्देश्यों और लक्ष्यों के बारे में भी विस्तार से बात की, जिन्हें भारत आगामी वर्षों में हासिल करना चाहता है. रिजिजू ने खुलासा किया कि टारगेट ओलंपिक पोडियम जूनियर स्कीम के तहत 12 साल की उम्र के बच्चों की प्रतिभा का चयन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 2028 के लॉस एंजलिस ओलंपिक में विश्व चैम्पियन बनाना है. हमें टॉप 10 रैंकिंग लानी है.
किरण रिजिजू ने कहा कि भारतीय कोचों द्वारा एलीट एथलीटों को प्रशिक्षण देने पर वेतन की ऊपरी सीमा दो लाख रुपये को हटाने की घोषणा की जा चुकी है, ताकि वे बेहतर परिणाम देने के लिए प्रोत्साहित हों और पूर्व खिलाड़ियों को हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षक बनने के लिए उत्साहित किया जा सके. साथ ही उन्होंने कहा कि कई विदेशी कोचों का अनुबंध अगले साल सितंबर के आखिर तक बढ़ा दिया गया है, ताकि टोक्यो ओलंपिक तक खिलाड़ियों की अभ्यास में निरतंरता बनी रहे.