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WTC फाइनल: अश्विन का सामना करने के लिए न्यूजीलैंड के इस बल्लेबाज ने ऐसे की तैयारी

न्यूजीलैंड के बल्लेबाज डेवोन कॉनवे का मानना है कि ड्यूक गेंदों से अभ्यास करने का इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों और भारत के खिलाफ विश्व टेस्ट चैम्पियननशिप (WTC) के फाइनल में बहुत फायदा मिलेगा.

Devon Conway (Getty) Devon Conway (Getty)
aajtak.in
  • साउथेम्पटन,
  • 23 मई 2021,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST
  • 18 जून से साउथैम्पटन में डब्ल्यूटीसी फाइनल खेला जाएगा
  • कॉनवे बोले- स्वदेश में ड्यूक गेंदों से तैयारियों का फायदा मिलेगा

न्यूजीलैंड के बल्लेबाज डेवोन कॉनवे का मानना है कि ड्यूक गेंदों से अभ्यास करने का इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों और भारत के खिलाफ विश्व टेस्ट चैम्पियननशिप (WTC) के फाइनल में बहुत फायदा मिलेगा. इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज दो जून से शुरू होगी. इसके बाद भारत और न्यूजीलैंड के बीच 18 जून से साउथैम्पटन में डब्ल्यूटीसी फाइनल खेला जाएगा.

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न्यूजीलैंड की 20 सदस्यीय टीम में कॉनवे उन तीन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने अब तक टेस्ट मैच नहीं खेले हैं. उनका मानना है कि इस दौरे से पहले लिंकन में अभ्यास शिविर का काफी फायदा मिलेगा. न्यूजीलैंड स्वदेश में कूकाबुरा गेंद से खेलता है.

दक्षिण अफ्रीका में जन्मे इस खिलाड़ी को सीमित ओवरों की क्रिकेट में प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद टेस्ट टीम में चुना गया. स्वदेश में अभ्यास शिविर में कॉनवे ने स्पिन गेंदबाजों के सामने भी खूब अभ्यास किया, ताकि उन्हें डब्ल्यूटीसी फाइनल में रविचंद्रन अश्विन जैसे गेंदबाजों का सामना करने में मदद मिले.

कॉनवे ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'यह हमारे लिए बेहद फायदेमंद रहा. हमें ड्यूक गेंदों से खेलने और उसे समझने का मौका मिला. इससे हमें अपनी रणनीति तैयार करने में मदद मिली.'

उन्होंने कहा, 'लेकिन मुझे लगता है कि इससे (गेंद बदलने) बहुत अधिक परिवर्तन नहीं होता है. हम जानते हैं कि ड्यूक गेंद कूकाबुरा की तुलना में थोड़ा अधिक स्विंग करती हैं, लेकिन आपको गेंद का सामना करना होता है तथा एक रणनीति के साथ क्रीज पर उतरकर उस पर अमल करना होता है.'

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अपने इस पहले टेस्ट दौरे में यह 29 साल का खिलाड़ी टॉम लाथम और रॉस टेलर जैसे स्थापित बल्लेबाजों से काफी कुछ सीखना चाहता है. उन्होंने कहा, 'यह मेरे लिए सीखने का बहुत अच्छा मौका है कि कैसे रणनीति तय करनी है और उस पर अमल करना है. कई खिलाड़ी टेस्ट टीम में लंबे समय से हैं और उनके अनुभवों से कुछ सीखना अच्छा है.'

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