
दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर-बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक ने ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ पर टी20 विश्व कप मैच से हटने के लिए साथियों और प्रशंसकों से माफी मांगी है. डिकॉक ने अपने बयान में कहा है कि वह मौजूदा टी20 वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के लिए बाकी मैचों में घुटने के बल बैठने को तैयार हैं. साउथ अफ्रीका का अगला मैच 30 अक्टूबर को श्रीलंका के खिलाफ है.
क्रिकेट साउथ अफ्रीका (CSA) ने मंगलवार को वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप के मैच से पहले ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ (BLM- अश्वेत जीवन भी मायने रखता है) के समर्थन में खिलाड़ियों को घुटने के बल बैठने का निर्देश दिया था. लेकिन क्विंटन डिकॉक ने इस निर्देश को मानने से इनकार कर दिया था. इतना ही नहीं, डिकॉक ने दुबई में टी20 वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच से खुद को चयन के लिए अनुपलब्ध करार दिया था.
गुरुवार को क्रिकेट साउथ अफ्रीका के ट्विटर हैंडल से जारी अपने बयान में डिकॉक ने कहा, ‘मैं जिस पीड़ा, भ्रम और गुस्से का कारण बना, उसके लिए मुझे गहरा खेद है. मैं अब तक इस महत्वपूर्ण मसले पर चुप था. लेकिन मुझे लगता है कि अब मुझे अपनी बात को थोड़ा स्पष्ट करना होगा.’
उन्होंने कहा, ‘जब भी हम विश्व कप में खेलने के लिए जाते हैं तो ऐसा कुछ होता है. यह उचित नहीं है. मैं अपने साथियों विशेषकर कप्तान टेम्बा (बावुमा) का सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता हूं.’
डिकॉक ने कहा, ‘लोग शायद पहचान न पाएं, लेकिन वह एक शानदार कप्तान हैं. अगर वह और टीम और दक्षिण अफ्रीका मेरे साथ होंगे, तो मैं अपने देश के लिए फिर से क्रिकेट खेलने के अलावा और कुछ नहीं चाहूंगा.’
'इस वजह से घुटने के बल बैठने से इनकार किया था'
डिकॉक ने अपने बयान में कहा कि उनके लिए अश्वेतों की जिंदगी अंतरराष्ट्रीय अभियान के कारण नहीं, बल्कि उनकी पारवारिक पृष्ठभूमि के कारण उनके लिए मायने रखती है. डिकॉक ने स्पष्ट किया कि जिस तरह से मैच से कुछ घंटे पहले खिलाड़ियों के लिए आदेश जारी किया गया उस रवैए के कारण उन्होंने मैच से पहले घुटने के बल बैठने से इनकार किया था.
उन्होंने कहा, ‘जो नहीं जानते हैं, उन्हें मैं यह बताना चाहता हूं कि मैं एक मिश्रित जाति परिवार से आता हूं. मेरी सौतेली बहनें अश्वेत हैं और मेरी सौतेली मां अश्वेत है. अश्वेत जीवन मेरे जन्म से ही मेरे लिए मायने रखता है. सिर्फ इसलिए नहीं कि एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है.’
इस 28 साल के खिलाड़ी ने कहा कि उन्हें लगा कि सीएसए ने उनकी स्वतंत्रता का अतिक्रमण किया है, लेकिन बोर्ड के अधिकारियों से विस्तार से बात करने के बाद उनका दृष्टिकोण अब बदल गया है.
... मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अधिकार छीन लिए गए हैं
डिकॉक ने कहा, ‘जिस तरह से हमें बताया गया उससे मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अधिकार छीन लिए गए हैं. कल (बुधवार) रात बोर्ड के साथ हमारी बातचीत बहुत भावनात्मक थी. मुझे लगता है कि हम सभी को उनके इरादों की बेहतर समझ है. काश यह जल्दी होता क्योंकि मैच के दिन जो कुछ हुआ उसे टाला जा सकता था.’
उन्होंने कहा, ‘यह मेरी समझ से परे है कि एक इशारे (घुटने के बल बैठना) से मुझे क्यों साबित करना है जबकि मेरा सभी तरह के लोगों के साथ उठना बैठना है और मैं उन्हें प्यार करता हूं.’ डिकॉक ने कहा कि वह इस घटनाक्रम के बाद की प्रतिक्रियाओं से बेहद आहत हैं.
उन्होंने कहा, ‘जो मेरे साथ पले बढ़े और मेरे साथ खेले वे जानते हैं कि मैं किस तरह का इंसान हूं. मुझे क्रिकेटर के रूप में बहुत कुछ कहा जाता है. बेवकूफ. स्वार्थी. अपरिपक्व.’
'नस्लवादी कहे जाने से मुझे गहरा दुख हुआ'
डिकॉक ने कहा, ‘लेकिन इनसे मुझे पीड़ा नहीं पहुंचती, लेकिन गलतफहमी पैदा होने के कारण नस्लवादी कहे जाने से मुझे गहरा दुख हुआ. इससे मेरा परिवार आहत हुआ. इससे मेरी गर्भवती पत्नी को दुख पहुंचा है. मैं नस्लवादी नहीं हूं. यह मेरे दिल की आवाज है.’
उन्होंने कहा, ‘और जो मुझे जानते हैं कि वे जानते हैं कि मैं शब्दों का ताना बाना बुनने में माहिर नहीं हूं, लेकिन मैंने यह समझाने की पूरी कोशिश की है कि मेरे कारण जो धारणा बनाई गई उसके लिए मुझे वास्तव में खेद है.’