भारत ने टोक्यो ओलपिंक में उस वक्त इतिहास रच दिया जब स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने देश की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाला. नीरज ने भाला फेंक प्रतियोगिता के फाइनल में 87,58 मीटर भाला थ्रो कर सभी को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया.
जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने अपना ओलंपिक गोल्ड मेडल देश में फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह को समर्पित किया. गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज चोपड़ा ने कहा, मुझे पता था कि मैं अपना बेस्ट दूंगा लेकिन गोल्ड मेडल जीतने को लेकर कुछ नहीं सोचा था.
अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरजा चोपड़ा ने कहा, 'विश्वास नहीं हो रहा. पहली बार है जब भारत ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता है इसलिए मैं बहुत खुश हूं.'
अपना गोल्ड मेडल एथलीट मिल्खा सिंह को समर्पित करते हुए नीरज ने कहा, मैं मेडल के साथ उनसे मिलना चाहता था. अभी हाल ही में कोरोना की वजह से पूर्व एथलीट मिल्खा सिंह की मौत हो गई थी. उन्होंने कहा था कि वो ओलंपिक में किसी भारतीय को ट्रैक और फील्ड में ओलंपिक पदक जीतते हुए देखना चाहते हैं.
वहीं बेटे की जीत से गदगद नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने कहा कि उन्हें विश्वास था कि उनका बेटा उन्हें और देश को गौरवान्वित करेगा. हमारे सहयोगी चैनल इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे के टोक्यो से लौटने के बाद उसकी पसंदीदा डिश - चूरमा खिलाएंगी. चूरमा उत्तर भारत का मीठा व्यंजन है. (तस्वीर नीरज चोपड़ा के बचपन की है)
नीरज चोपड़ा की मां ने कहा, वह घर को भी सजाएंगी और उनके लिए भव्य स्वागत का आयोजन करेंगी. बेटे को इस खेल से लगाव कैसे हुए इस सवाल के जवाब में सरोज देवी ने कहा, जहां वो जिम जाता था वहीं पास में उसने कुछ लोगों को भाला फेंकते देखा. उसका झुकाव जेवलिन थ्रो की ओर हो गया. बेटे ने उनसे दोस्ती की और इस खेल को सीख लिया.
बता दें कि नीरज के पिता सतीश कुमार हरियाणा के पानीपत के खंडरा गांव के किसान हैं. नीरज की दो बहनें हैं. उनकी मां सरोज देवी गृहिणी हैं. नीरज चोपड़ा ने चंडीगढ़ में अपनी शिक्षा पूरी की और उन्हें साल 2016 में भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर जूनियर कमीशंड अधिकारी के रूप में नियुक्ती मिली.