PV Sindhu: आठ साल की उम्र में थाम लिया था रैकेट, अब ओलंपिक में किया 'डबल धमाका'

पीवी सिंधु ओलंपिक के व्यक्तिगत इवेंट में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी हैं. इससे पहले रियो ओलंपिक 2016 में भी सिंधु ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया था. अब इस ओलंपिक में वे सिल्वर तो नहीं जीत पाईं, लेकिन कांस्य जीत भी इतिहास रच गईं.

Advertisement
 Bronze medalist Pusarla V. Sindhu (Getty) Bronze medalist Pusarla V. Sindhu (Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 9:44 PM IST
  • सिंधु ने ओलंपिक में जीता कांस्य
  • बैडमिंटन की दुनिया में दिखाया दमखम
  • शुरुआती संघर्ष का मिल रहा फायदा

स्टार भारतीय शटलर पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीत इतिहास रच दिया है. सिंधु ने चीन की बिंगजियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से हराकर कांस्य पदक पर कब्जा किया है. पीवी सिंधु ओलंपिक के व्यक्तिगत इवेंट में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी हैं. इससे पहले रियो ओलंपिक 2016 में भी सिंधु ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया था. अब इस ओलंपिक में वे सिल्वर तो नहीं जीत पाईं, लेकिन कांस्य जीत भी इतिहास रच गईं.

Advertisement

पीवी सिंधु ने बीते कुछ सालों में बैडमिंटन की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली है. वे पूरी दुनिया में एक स्टार बैडमिंटन प्लेयर के तौर पर जानी जाती हैं. उन्होंने अपने गेम से सभी को प्रभावित किया है और कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न (2016) और अर्जुन पुरस्कार (2013) से नवाजा जा चुका है. इतना ही नहीं उन्हें पद्मश्री (2015) और पद्म भूषण सम्मान (2020) भी मिल चुका है. 

पीवी सिंधु की शुरुआती जिंदगी

सिंधु के बैडमिंटन करियर की बात करें तो उन्होंने खुद को समय के साथ तराशा है. काफी संघर्ष और तकनीक पर काम करने के बाद उन्होंने अपना खुद का स्टाइल डेवलप किया है. पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में हुआ था. पीवी सिंधु के पिता पीवी रमन्ना और मां पी विजया नेशनल लेवल पर वॉलीबॉल खेल चुके हैं. रमन्ना को तो उनकी उपलब्धियों के लिए अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था. 2001 में पुलेला गोपीचंद के ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप का खिताब जीतने के बाद सिंधु ने बैडमिंटन प्लेयर बनने की ठानी थी. सिंधु ने महज 8 साल की उम्र में बैडमिंटन रैकेट थाम लिया और इस खेल के प्रति उनका जुनून समय के साथ बढ़ता ही चला गया.

Advertisement

उन्होंने अपनी पहली ट्रेनिंग सिकंदराबाद में महबूब खान की देखरेख में शुरू की थी. इसके बाद सिंधु गोपीचंद की अकादमी से जुड़कर बैडमिंटन के गुर सीखने लगीं. कहा जाता है कि सिंधु ट्रेनिंग के लिए रोजाना 56 किलोमीटर की दूरी तय कर गोपीचंद की अकादमी पहुंचती थीं. उन्होंने वहां पर जो पसीना बहाया, उसका फल उन्हें आने वाले सालों में लगातार मिलता रहा और उन्होंने कई टूर्नामेंट जीते.

करियर में कैसा रहा संघर्ष?

2009 में सिंधु ने कोलंबो में जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था, जो सिंधु का पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था. 2012 में सिंधु ने लंदन ओलंपिक की चैम्पियन ली जुरेई को हराते हुए सबका ध्यान खींचा था. सितंबर 2012 में महज 17 साल की उम्र में सिंधु दुनिया की टॉप-20 खिलाड़ियों में शामिल हो गई थीं. 2013 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीतने के साथ ही सिंधु इस चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं. इसके बाद से 2015 को छोड़कर उन्होंने 2019 तक हरेक वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीता और बैडमिंटन की दुनिया में अपना दबदबा कायम रखा.

टोक्यो ओलंपिक के सफर पर नजर

पीवी सिंधु के टोक्यो सफर की बात करें तो उन्होंने खेल के इस महाकुंभ में जीत से शुरुआत की थी. उन्होंने इजरायल की केसनिया पोलिकारपोवा को 21-7, 21-10 से हरा दिया था. इसके बाद हांगकांग की खिलाड़ी पर भी सिंधु काफी भारी पड़ीं और उन्होंने 21-9, 21-16 से जीत हासिल की. फिर बैडमिंटन के राउंड 16 में भी पीवी सिंधु ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा और उन्होंने डेनमार्क की मिया ब्लिचफेल्ट को आसानी से हरा दिया. उस जीत के साथ सिंधु ने क्वार्टर फाइनल में दस्तक दी और उनका मुकाबला जापान की अकाने से हुआ. टक्कर जोरदार रही लेकिन यहां भी सिंधु के स्किल्स ने उन्हें जीत दिला दी. उस मैच में 21-13, 22-20 से उन्होंने जीत हासिल की. उस जीत के साथ ही सिंधु इतिहास रचने के काफी करीब पहुंच गई थीं. सभी को उम्मीद थी कि वे सेमीफाइनल में जीत हासिल कर गोल्ड के लिए दावेदारी पेश करेंगी. लेकिन उस मैच में वे 21-18, 21-12 से हार गईं और उनका गोल्ड जीतने का सपना टूट गया. अब उस हार के बाद पीवी सिंधु ने रविवार को चीन की बिंगजियाओ को परास्त कर कांस्य पदक अपने नाम कर लिया है.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement