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टोक्यो ओलंपिक में शामिल हुए प्रवीण जाधव के परिवार को धमकी, पिता ने कहा- गांव छोड़ देंगे

टोक्यो ओलंपिक में शामिल हुए तीरंदाज प्रवीण जाधव के परिवार को मकान बनाने को लेकर धमकाया जा रहा है. उनके माता-पिता गांव में अपनी जमीन पर बड़ा मकान बनाना चाहते हैं, लेकिन उनके पड़ोसियों ने उन्हें ऐसा न करने के लिए धमकाया है. प्रवीण के पिता का कहना है कि अगर विवाद नहीं सुलझता है तो वो गांव छोड़ देंगे.

प्रवीण जाधव हाल ही में टोक्यो से लौटे हैं. (फाइल फोटो-PTI) प्रवीण जाधव हाल ही में टोक्यो से लौटे हैं. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • पुणे,
  • 08 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST
  • बड़ा मकान बनाना चाहता है प्रवीण का परिवार
  • पड़ोसियों ने ऐसा न करने के लिए धमकाया
  • विवाद सुलझाने के लिए प्रशासन आगे आया

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय दल का हिस्सा रहे तीरंदाज प्रवीण जाधव (Pravin Jadhav) के परिवार को धमकाया जा रहा है. उनके माता-पिता गांव में अपने घर में कंस्ट्रक्शन करवाना चाहते हैं, लेकिन उनके पड़ोसी उन्हें ऐसा न करने के लिए धमका रहे हैं. जाधव के माता-पिता का कहना है कि अगर उन्हें कंस्ट्रक्शन की अनुमति नहीं मिलती है तो वो अपना गांव छोड़ देंगे.

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प्रवीण जाधव के माता-पिता महाराष्ट्र के सतारा जिले के सराडे गांव में रहते हैं. यहां उनका दो कमरों का एक छोटा सा घर है, जिसे वो बढ़ाना चाहते थे. उनके माता-पिता का आरोप है कि उनकी ही जमीन पर उनके पड़ोसी उनका मकान नहीं बनने दे रहे हैं और धमका रहे हैं. उनके पिता रमेश जाधव का कहना है कि अगर ये विवाद नहीं सुलझा तो वो अपना गांव छोड़ देंगे.

क्यों धमकाया जा रहा है?

हाल ही में टोक्यो से भारत वापस लौटे प्रवीण जाधव ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए बताया, "मेरे माता-पिता शेती महामंडल (स्टेट एग्रीकल्चर कॉर्पोरेशन) में मजदूरी करते थे. महामंडल ने ही हमें ये जमीन दी थी और जब हमारी आर्थिक हालत सुधरने लगी तो हमने मकान बनाना शुरू किया." उन्होंने ये भी बताया कि महामंडल ने उन्हें इस जमीन के लिए पट्टा नहीं दिया था और मौखिक समझौता ही हुआ था.

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उन्होंने बताया कि सेना में नौकरी लगने के बाद जब घर की आर्थिक हालत सुधरी तो पहले उनके परिवार ने दो कमरों का घर बनाया. उस वक्त किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन अब जब उन्होंने बड़ा घर बनाने का फैसला लिया तो उनके पड़ोसियों ने इस पर आपत्ति जता दी और दावा कर दिया कि पूरी जमीन उनकी है. प्रवीण ने बताया कि वो पड़ोसियों की आपत्ति के बाद जमीन का कुछ हिस्सा छोड़ने को भी तैयार थे.

उन्होंने बताया कि घर बनाने के लिए 1.40 लाख रुपये का सामान खरीदा गया था, लेकिन बाद में इसी सामान को उन्हें 40 हजार रुपये में बेचना पड़ गया. उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने घर में टॉयलेट बनाने का फैसला लिया था, तब भी उनके पड़ोसियों ने उन्हें धमकाया था और पुलिस में शिकायत की थी.

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जल्द ही विवाद सुलझने की उम्मीद

एसडीओ शिवाजी जगताप ने न्यूज एजेंसी को बताया कि वो जमीन अभी भी शेती महामंडल की है. उन्होंने बताया कि जाधव परिवार ने मकान बनाने का फैसला लिया था लेकिन उनके पड़ोसियों ने ये कहते हुए आपत्ति जता दी कि इससे उनके आने-जाने का रास्ता ब्लॉक हो जाएगा. उन्होंने बताया कि वो और कुछ पुलिसकर्मियों ने वहां पहुंचकर दोनों के बीच विवाद सुलझाने की कोशिश की थी. उन्होंने अगले कुछ दिनों में विवाद सुलझने की उम्मीद जताई है.

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प्रशासन जमीन का कुछ हिस्सा प्रवीण के नाम पर ट्रांसफर करने की संभावनाएं भी तलाश रहा है. पड़ोसी परिवार भी उनके परिवार को तीन गुंथा जमीन 'गिफ्ट' के तौर पर देने को तैयार हैं. प्रवीण ने बताया था कि एक दिन उनके पड़ोस में रहने वाले परिवार के 5-6 सदस्य ने उनके माता-पिता को घर बनाने पर धमकाया था. प्रवीण ने आर्मी को भी इस बात की जानकारी दे दी है.

अपने पहले ओलंपिक में प्रवीण दुनिया के नंबर-1 तीरंदाज ब्रेडी एलिसन से हार गए थे. इसके बाद वो हाल ही में भारत लौटे हैं.

 

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