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Olympics: बजरंग पुनिया ने ईरान के पहलवान को चटाई धूल, मेडल से एक जीत दूर

स्टार रेसलर बजरंग पुनिया टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने के करीब पहुंच गए हैं. उन्होंने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ईरान के पहलवान  Morteza CHEKA GHIASI को शिकस्त दे दी है. बजरंग ने इस जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली है और वह मेडल से एक जीत दूर हैं.

Bajrang Punia (Photo-Getty Images) Bajrang Punia (Photo-Getty Images)
aajtak.in
  • टोक्यो,
  • 06 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST
  • कुश्ती में भारत एक और मेडल के करीब
  • रेसलर बजरंग पुनिया सेमीफाइनल में पहुंचे

स्टार रेसलर बजरंग पुनिया (फ्रीस्टाइल 65 किग्रा भार वर्ग) टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने के करीब पहुंच गए हैं. उन्होंने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ईरान के पहलवान  Morteza CHEKA GHIASI को शिकस्त दे दी है. बजरंग ने इस जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली है और वह मेडल से एक जीत दूर हैं. 

बजरंग पुनिया का सेमीफाइनल में मुकाबला तीन बार के वर्ल्ड चैम्पियन हाजी एलियेव से होगा. बजरंग अगर सेमीफाइनल में जीत हासिल करते हैं तो वह देश के लिए एक और मेडल पक्का कर देंगे. 

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बजरंग का क्वार्टर फाइनल में ऐसा रहा मुकाबला

बजरंग पुनिया ने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ईरान के पहलवान  Morteza CHEKA GHIASI को शिकस्त दी. बजरंग ने 2-1 से ये मुकाबला जीता. उन्हें Winner Byfall घोषित किया गया. 

बजरंग शुरू में इस मैच में 0-1 से पिछड़ रहे थे. उन्होंने पहले पीरियड में डिफेंसिव खेल दिखाया. उनके खिलाफ पैसिव क्लॉक शुरू किया गया था, लेकिन बजरंग घबराए नहीं. 

दूसरे पीरियड में भी वह सुरक्षात्मक थे, जबकि ईरान के Morteza लगातार अटैक कर रहे थे. हालांकि बजरंग भी उन्हें दांव लगाने का मौका नहीं दे रहे थे.  लेकिन जब दोबारा पेनाल्टी अंक गंवाने से बचने के लिए 30 सेकंड का मौका दिया गया तो बजरंग को आक्रामक होना पड़ा. परिणाम ये रहा कि उनकी टांग पकड़कर फंसाने की कोशिश कर रहे Morteza उल्टा उनकी ग्रिप में फंस गया.

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बजरंग ने  इस मौके का पूरा लाभ उठाया और पहले दो अंक पर कब्जा किया. इसके बाद उन्होंने Morteza को पलटते हुए उसके कंधे जमीन पर लगाकर चित करते हुए मुकाबला ही खत्म कर दिया. 

सीमा बिस्ला का सफर खत्म

इससे पहले महिला रेसलर सीमा बिस्ला का टोक्यो ओलंपिक का सफर खत्म हो गया. वह प्री-क्वार्टर का मुकाबला हार गईं. हार के बाद उन्हें रेपेचेज का मौका भी नहीं मिलेगा, क्योंकि उन्हें हराने वाली ट्यूनीशिया की रेसलर सारा हमदी क्वार्टर फाइनल मैच में हार गईं.  

प्री-क्वार्टर में तकनीकी आधार पर जीते बजरंग

प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में बजरंग ने तकनीकी आधार पर किर्गिस्तान के अरनाजर अकमातालिव को शिकस्त दी. बजंरग ने पहला पीरियड 3-1 से अपने नाम किया था. दूसरे पीरियड में बजरंग ने अकमातालिव की टांग पकड़कर फीतले दांव लगाने की कोशिश की, लेकिन दूसरी टांग हाथ में नहीं आने से चूक गए.

आखिरी 30 सेकंड तक भी दूसरे पीरियड में बजरंग आगे थे, लेकिन अकमातालिव ने अचानक आक्रामक रुख के साथ दो बार 1-1 अंक जुटाकर बराबरी कर ली. आखिर में बजरंग को ज्यादा बड़ा दांव लगाने के चलते तकनीकी आधार पर विजेता घोषित किया गया.

कुश्ती में आ चुका है एक पदक

इससे पहले गुरुवार को रवि कुमार दहिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक अपने नाम किया. 57 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में रवि दहिया को दूसरी वरीय रूस ओलंपिक समिति के पहलवान जावुर युगुऐव ने 7-4 से मात दी. 

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फाइनल में हार के साथ ही रवि दहिया का ओलंपिक में गोल्ड जीतने का सपना चकनाचूर हो गया. गौरतलब है कि ओलंपिक में सिर्फ अभिनव बिंद्रा ही व्यक्तिगत स्पर्धा में अबतक भारत के लिए गोल्ड जीत पाए हैं. अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक (2008) के 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में यह सुनहरी उपलब्धि हासिल की थी. टोक्यो खेलों में भारत का यह पांचवां पदक है. 

कुश्ती में सुशील ने पहला सिल्वर जीता था 

रवि कुमार दहिया ओलंपिक में पदक जीतने वाले ओवरऑल पांचवें भारतीय पहलवान हैं. सबसे पहले पहलवान केडी जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक (1952) में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था. इसके बाद पहलवान सुशील कुमार ने भारत के लिए बीजिंग ओलंपिक (2008) में कांस्य और लंदन ओलंपिक (2012) में रजत पदक अपने नाम किया था.सुशील के अलावा योगेश्वर दत्त भी लंदन ओलंपिक में कांस्य जीतने में सफल रहे थे. साक्षी मलिक ने 2016 के रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

ओलंपिक में ऐसा है इतिहास

भारत ने पहली बार एंटवर्प ओलंपिक खेल 1920 में दो पहलवानों को उतारा था. इसके बाद 1924, 1928, 1932 और 1976 के ओलंपिक खेल ही ऐसे रहे जिनमें भारत ने कुश्ती में हिस्सा नहीं लिया. पहलवान रणधीर सिंह 1920 में भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाने के बेहद करीब पहुंच गए थे, लेकिन आखिर में यह श्रेय खाशाबा दादासाहेब जाधव को मिला था. भारतीय कुश्ती के इतिहास में 23 जुलाई 1952 का दिन विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसी दिन जाधव ने हेलंसिकी ओलंपिक में बैंटमवेट में कांस्य पदक जीता था.

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महाराष्ट्र के गोलेश्वर में 15 नवंबर 1926 को जन्मे जाधव ने पहले राउंड में कनाडा के एड्रियन पोलिक्विन पर 14 मिनट 25 सेकेंड तक चले मुकाबले में जीत दर्ज की और अगले राउंड में मैक्सिको के लियांड्रो बासुर्तो को केवल पांच मिनट 20 सेकेंड में धूल चटाई. वह जर्मनी फर्डिनेंड श्मिज को 2-1 से हराकर फाइनल राउंड में पहुंचे थे. तब चोटी के तीन पहलवानों के बीच राउंड रॉबिन आधार पर मुकाबले होते थे. जाधव फाइनल राउंड में सोवियत संघ के राशिद मम्मादबेयोव और जापान के सोहाची इशी से हार गए थे.


 

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