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Tokyo Olympic: छोटे से सफर में नई इबारत लिख गईं तलवारबाज भवानी देवी, जानिए उनके संघर्ष की कहानी

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में चदलवदा अनंधा सुंदररमन भवानी देवी (CA Bhavani Devi) के अभियान का अंत हो गया. लेकिन भवानी देवी ने टोक्यो ओलंपिक के अपने छोटे से सफर में भी नई इबारत लिख दी.

फेंसर भवानी देवी. (ट्विटर/भवानी देवी ) फेंसर भवानी देवी. (ट्विटर/भवानी देवी )
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:29 AM IST
  • चेन्नई की रहने वाली हैं सीए भवानी देवी
  • आठ बार की नेशनल चैम्पियन रहीं हैं भवानी

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में चदलवदा अनंधा सुंदररमन भवानी देवी (CA Bhavani Devi) के अभियान का अंत हो गया. लेकिन भवानी देवी ने टोक्यो ओलंपिक के अपने छोटे से सफर में भी नई इबारत लिख दी. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक्स के वीमेंस व्यक्तिगत सेबर इवेंट में ट्यूनीशिया की नादिया बेन अज़ीज़ी को 15-3 से हराया जो ओलंपिक्स के इतिहास में भारत का पहला फेंसिंग मैच था.

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27 साल की भवानी ने तीन मिनट के पहले पीरियड में एक भी अंक नहीं गंवाया और 8-0 की मजबूत बढ़त बना ली. नादिया ने दूसरे पीरियड में कुछ सुधार किया, लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने अपनी बढ़त मजबूत करनी जारी रखी और छह मिनट 14 सेकेंड में मुकाबला अपने नाम किया. तलवारबाज सीए भवानी देवी अपना अगला मुकाबला हार गई हैं. वह राउंड 32 के मुकाबले में दुनिया की तीसरी नंबर की खिलाड़ी मैनन ब्रुनेट के हाथों हारीं. भवानी देवी को इस मुकाबले में 7-15 से शिकस्त मिली.इसी के साथ ओलंपिक में उनके अभियान का अंत भी हो गया. 

मां ने गहने तक गिरवी रखे
भवानी देवी के इस सफर के पीछे की कहानी संघर्ष भरी रही है. भवानी के तलवारबाजी के करियर को जारी रखने के लिए उनकी मां ने अपने गहने तक गिरवी रखे थे. यहां तक पहुंचने से पहले भवानी को कई ठोकरें लगीं लेकिन तलवार की धार की तरह उनके इरादे भी पैने थे. भवानी के करियर की शुरुआत अच्छी नहीं रही. वह अपने पहले ही इंटरनेशन कंपटिशन में ब्लैक कार्ड पा चुकी थीं. बाउट के लिए तीन मिनट की देरी से पहुंचने के लिए उन्हें यह सजा मिली जिसका मतलब था कि उन्हें आयोजन से बाहर कर दिया गया है.

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भवानी देवी के हौसले इन छोटी मोटी रुकावटों से कहां डिगने वाले थे. 2016 के रियो ओलंपिक में ना खेल पाने वाली भवानी ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए चेन्नई स्थित अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर यूरोप में ट्रेनिंग करती रहीं. आठ बार की नेशनल चैम्पियन भवानी देवी कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप टीम इवेंट्स में एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज़ मेडल जीत चुकी हैं.

साल 2019 में छूटा पिता का साथ

साल 2019 में भवानी के सिर से पिता का साया भी उठ गया लेकिन दुख और संवेदानाओं के बीच भवानी ने खुद को कठोर किया और दुख और सुख से आंख मिचोली खेलते हुए  भवानी की तलवार की धार तेज होती गई और आज वह इस मुकाम पर हैं. तलवारबाजी विधा में उन्होंने ओलंपिक्स के इतिहास में भारत का पहला फेंसिंग मैच खेला.

 

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