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Tokyo Olympics: हॉकी में टीम इंडिया का कमाल, चैम्पियन अर्जेंटीना को हरा क्वार्टर फाइनल में

भारतीय टीम ने रियो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अर्जेंटीना को 3-1 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की पुरुष हॉकी स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया. आखिरी तीन मिनट में दो गोल कर टीम इंडिया ने अपने धमाकेदार प्रदर्शन से प्रभावित किया.

 India's Harmanpreet Singh (C) is tackled by Argentina's Nahuel Salis (L) and Agustin Alejandro Mazzilli.(Getty) India's Harmanpreet Singh (C) is tackled by Argentina's Nahuel Salis (L) and Agustin Alejandro Mazzilli.(Getty)
aajtak.in
  • टोक्यो,
  • 29 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 8:36 AM IST
  • भारत हॉकी में चार दशक बाद ओलंपिक पदक जीतने के और करीब पहुंचा
  • रियो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अर्जेंटीना को 3-1 से हराया

भारतीय टीम ने रियो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अर्जेंटीना को 3-1 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की पुरुष हॉकी स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया. आखिरी तीन मिनट में दो गोल कर टीम इंडिया ने अपने धमाकेदार प्रदर्शन से प्रभावित किया. पिछले मैच में स्पेन को हराने के बाद भारतीय टीम ने लगातार अच्छा प्रदर्शन जारी रखते हुए यह महत्वपूर्ण मुकाबला जीता. अपना पहला ओलंपिक खेल रही भारत की ‘युवा ब्रिगेड’ ने इस जीत में सूत्रधार की भूमिका निभाई और भारत को हॉकी में चार दशक बाद ओलंपिक पदक जीतने के और करीब पहुंचा दिया.

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भारत के लिए वरुण कुमार ने 43वें, विवेक सागर प्रसाद ने 58वें और हरमनप्रीत सिंह ने 59वें मिनट में गोल दागे. अर्जेंटीना ने 48वें मिनट में माइको केसेला के गोल के दम पर बराबरी की और 58वें मिनट तक स्कोर बराबर था. इसके बाद भारत ने तीन मिनट के अंतराल में दो गोल दागकर साबित कर दिया कि यह टीम निर्णायक मौकों पर दबाव के आगे घुटने टेकने वाली नहीं है.

भारत पूल-ए में ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर चल रहा है. भारत को अब 30 जुलाई को आखिरी पूल मैच में मेजबान जापान से खेलना है.

न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-2 की संघर्षपूर्ण जीत के बाद भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 1-7 की करारी हार का सामना करना पड़ा था. मनप्रीत सिंह की टीम हालांकि स्पेन पर 3-0 की जीत से वापसी करने में सफल रही.

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भारत के 8 ओलंपिक स्वर्ण पदकों में से आखिरी पदक 1980 में आज ही के दिन (29 जुलाई) मास्को ओलंपिक में आया था.

भारतीय टीम हालिया सालों में अर्जेंटीना पर भारी पड़ी है. इस साल की शुरुआत में एफआईएच प्रो लीग के दोनों मुकाबलों में भारत ने अर्जेंटीना को शिकस्त दी थी. पहला मुकाबला 2-2 से बराबरी पर समाप्त होने के बाद शूट-आउट में भारतीय टीम को 3-2 से जीत मिली थी. इसके बाद दूसरे मैच में भारत ने 3-0 से जीत हासिल की. 2016 के रियो ओलंपिक में भी भारत ने अर्जेंटीना को 2-1 से हराया था.

टोक्यो ओलंपिक में भारत को गत चैम्पियन अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड और स्पेन के साथ ग्रुप-ए में रखा गया है. सभी टीमें एक-दूसरे से खेलेंगी और दोनों ग्रुप से शीर्ष चार टीमें अगले चरण में पहुंचेंगी. ग्रुप-बी में बेल्जियम, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, नीदरलैंड और दक्षिण अफ्रीका हैं. भारत अब चार मुकाबले में तीन जीत और एक हार के साथ अपने ग्रुप में दूसरा स्थान सुनिश्चित कर लिया है. 

ऐसा रहा भारत-अर्जेंटीना मुकाबला 

पहले हाफ में एक भी पेनल्टी कॉर्नर लेने में नाकाम रही भारतीय टीम को तीसरे क्वार्टर में सात पेनल्टी कॉर्नर मिले जिनमें दो बार रूपिंदर, तीन बार हरमनप्रीत सिंह और एक बार सुमित नाकाम रहे. भारत के लिए पहला गोल 43वें मिनट में वरुण ने पेनल्टी कॉर्नर पर ही किया.

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भारत ने वीडियो रेफरल पर यह कॉर्नर अर्जित किया और अपना पहला ओलंपिक खेल रहे वरुण ने गोल करने में चूक नहीं की. भारत की यह बढ़त हालांकि ज्यादा देर बरकरार नहीं रही और चौथे क्वार्टर के तीसरे ही मिनट में अर्जेंटीना को मिले पहले पेनल्टी कॉर्नर पर माइको केसेला ने बराबरी का गोल दाग दिया.

अर्जेंटीना को 51वें मिनट में फिर पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन भारत के रिव्यू लेने पर नीदरलैंड के वीडियो अंपायर वान बंजी सियोन ने इसे खारिज कर दिया. तेज हमले करते हुए अर्जेंटीना ने दो मिनट बाद फिर पेनल्टी कॉर्नर बनाया, लेकिन भारतीय गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने मुस्तैदी से इसे बचा लिया.

भारत को आखिरी मिनटों में जमकर हमले बोलने का फायदा 57वें मिनट में शानदार फील्ड गोल के जरिए मिला. दिलप्रीत सिंह ने करीब से विवेक को गेंद सौंपी और उन्होंने निशाना लगाया. गेंद अर्जेंटीना के गोलकीपर की स्टिक से टकराकर भीतर चली गई. विवेक का भी यह पहला ओलंपिक और पहला ओलंपिक गोल था.

इसके दो मिनट भारत भारत को मिले आठवें पेनल्टी कॉर्नर पर हरमनप्रीत ने ड्रैग फ्लिक के जरिए गोल किया. इससे पहले शुरुआती क्वार्टर में भारत ने आक्रामक शुरुआत की और मनदीप सिंह को दूसरे ही मिनट में सर्कल के ठीक बाहर अच्छा पास मिला, लेकिन वह गोल नहीं कर सके. इसके दो मिनट बाद दिलप्रीत सिंह गोल करने के करीब पहुंचे, लेकिन उनके करीबी शॉट को अर्जेंटीना के अनुभवी गोलकीपर जुआन मैनुअल विवाल्डी ने बचा लिया.

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भारत ने पहले क्वार्टर में सात बार अर्जेंटीना के सर्कल में प्रवेश किया, लेकिन अच्छे मूव को फिनिशिंग तक नहीं ले जा सके. पहले क्वार्टर के आखिरी मिनट में भारत को फिर मौका मिला जब अर्जेंटीना ने मिडफील्ड में गेंद पर नियंत्रण खो दिया और गुरजंत गेंद छीनकर डी की तरफ ले गए. उन्होंने सिमरनजीत सिंह को गेंद सौंपी, जो अर्जेंटीनाई डिफेंडरों को चकमा नहीं दे पाए.

दूसरे क्वार्टर में दूसरे ही मिनट में अर्जेंटीना को मौका मिला, जब सर्कल के भीतर लुकास रोस्सी ने थॉमस हबीफ को पास दिया, लेकिन भारतीय डिफेंडरों ने मुस्तैदी दिखाते हुए गेंद को बाहर कर दिया.

भारत को 29वें मिनट में गोल करने का एक और मौका मिला, लेकिन शमशेर सिंह के लंबे पास पर सर्कल के भीतर गेंद पाने के बावजूद मनदीप गेंद को गोल के भीतर नहीं डाल सके.

29 जुलाई : आज ही भारत ने ओलंपिक खेलों की हॉकी स्पर्धा में आखिरी बार जीता था स्वर्ण

भारतीय हॉकी के स्वर्णिम युग की याद दिलाता है.एक जमाने में एशिया की परंपरागत हाकी का दुनिया में डंका बजता था. भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में 1928 से 1956 के बीच 6 बार लगातार स्वर्ण पदक जीता. इसे भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग कहा जाता है. बाद में एशियाई शैली की कलात्मक और कौशलपूर्ण हॉकी का सूरज डूबने लगा और एस्ट्रो टर्फ पर ताकत के दम पर खेली जाने वाली तेज तर्रार हॉकी ने उसकी जगह ले ली. भारत की टीम ने 29 जुलाई 1980 को मॉस्को ओलंपिक खेलों में आखिरी बार हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था.

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