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चार दशक बाद ओलंपिक में पदक जीतने का सपना पूरा करने की कवायद में जुटी भारतीय हॉकी टीम के सामने शनिवार को ग्रुप-ए में न्यूजीलैंड के रूप में पहली चुनौती होगी. रियो से टोक्यो तक विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंची भारतीय टीम ने परिपक्वता का एक लंबा सफर तय किया है. 10 युवा खिलाड़ियों से सजी यह टीम मानसिक रूप से काफी दृढ़ है.
ओलंपिक की सबसे कामयाब टीम भारत ने 8 बार स्वर्ण पदक जीता, लेकिन आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में मिला था. पिछले चार साल में हालांकि भारत ने एशिया कप (2017), एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी (2018) और एफआईएच सीरिज फाइनल (2019) अपने नाम किए. भुवनेश्वर में 2018 विश्व कप में मनप्रीत सिंह की टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची.
कोच ग्राहम रीड के अनुसार, ‘महामारी के दौर में मानसिक दृढ़ता खेल में सफलता की कुंजी साबित होगी और इसमें भारतीय खिलाड़ियों का कोई सानी नहीं. पिछले 15-16 महीने काफी कठिन रहे और मुझे भारतीय खिलाड़ियों को करीब से समझने का मौका मिला. मुझे यकीन है कि इसी दृढ़ता के दम पर वे कामयाबी की नई कहानी लिखेंगे.’
कप्तान मनप्रीत का मानना है कि बड़ी टीमों को हराने के बाद खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा है और कोरोना के बावजूद फिटनेस के मामले में यह टीम किसी से कम नहीं. उन्होंने कहा, ‘हमारे सभी खिलाड़ियों ने यो-यो टेस्ट पास किया है. इस टीम की फिटनेस का स्तर ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, बेल्जियम जैसी टीमों से कम नहीं. हम मैच दर मैच रणनीति बनाएंगे और फिलहाल लक्ष्य क्वार्टर फाइनल रखा है.’
कोरोना महामारी के बीच आपसी तालमेल की जबर्दस्त बानगी पेश करते हुए मनप्रीत सिंह की टीम फिटनेस और तकनीकी कौशल के मानदंडों पर भी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों के समकक्ष है. यही वजह है कि पूर्व दिग्गजों से लेकर हॉकी पंडितों तक सभी का मानना है कि यह युवा टीम ओलंपिक पदक का चार दशक का इंतजार खत्म करने का माद्दा रखती है.
रियो ओलंपिक में 8वें स्थान पर रही भारतीय टीम में इस बार 10 ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनका यह पहला ओलंपिक है. इनमें अधिकांश जूनियर हॉकी विश्व कप 2016 में सफलता का स्वाद चख चुके हैं और उसे सीनियर स्तर पर दोहराने को बेताब हैं.
भारत के पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों में शुमार पी आर श्रीजेश, अनुभवी डिफेंडर बीरेंद्र लाकड़ा, हरमनप्रीत सिंह और रूपिंदर पाल सिंह है. वहीं, फॉरवर्ड पंक्ति में मनदीप सिंह पर दारोमदार होगा तो मिडफील्ड में कप्तान मनप्रीत सिंह का अनुभव काम आएगा जो अपना तीसरा ओलंपिक खेल रहे हैं और भारतीय दल के ध्वजवाहक भी हैं.
दूसरी ओर न्यूजीलैंड ने 1976 मॉन्ट्रियल ओलंपिक में खिताब जीता था. उसके पास स्टीफन जेनेस और हुजो इंगलिस जैसे बेहतरीन स्ट्राइकर हैं, जबकि केन रसेल पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ हैं. दो साल पहले कोरिया को ओलंपिक क्वालिफायर में हराकर न्यूजीलैंड ने टोक्यो का टिकट कटाया.
ग्रुप-ए में भारत को गत चैम्पियन अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड और स्पेन से पार पाना होगा. सभी टीमें एक-दूसरे से खेलेंगी और दोनों ग्रुप से शीर्ष चार टीमें अगले चरण में पहुंचेंगी. ग्रुप-बी में बेल्जियम, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, नीदरलैंड और दक्षिण अफ्रीका हैं.