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गांधी जयंती के दिन लवलीना का बर्थडे, PM मोदी बोले- वो अहिंसा और आप पंच के लिए

पीएम मोदी ने बात कर लवलीना को बधाई तो दी ही, बातचीत में वे उनसे हंसी-मजाक भी करते दिख गए. दरअसल बातचीत के दौरान लवलीना ने पीएम को बताया कि उनका जन्मदिन गांधी जयंती पर आता है, ऐसे में पीएम ने इस पर चुटकी लेने का मौका नहीं छोड़ा.

पीएम का लवलीना संग मजाक ( गैटी) पीएम का लवलीना संग मजाक ( गैटी)
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:08 AM IST
  • पीएम का लवलीना संग हंसी मजाक
  • गांधी जयंती से जुड़ा है कनेक्शन

भारत की स्टार बॉक्सर लवलीना टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड नहीं जीत पाईं, लेकिन उन्होंने कांस्य जीत भी सभी को गौरवान्वित कर दिया. उनकी इस उपलब्धि पर पूरे देश ने जश्न मनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुशी जाहिर की और लवलीना से फोन पर बात की.

पीएम का लवलीना संग हंसी-मजाक

पीएम मोदी ने बात कर लवलीना को बधाई तो दी ही, बातचीत में वे उनसे हंसी-मजाक भी करते दिख गए. दरअसल बातचीत के दौरान लवलीना ने पीएम को बताया कि उनका जन्मदिन गांधी जयंती पर आता है, ऐसे में पीएम ने इस पर चुटकी लेने का मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अपनी अहिंसा के लिए जाने जाते हैं लेकिन आप अपने पंचेस के लिए जानी जाती हैं. इससे पहले भी पीएम की तरफ से लवलीना के लिए खास संदेश दिया गया था. मैच के बाद उन्होंने ट्वीट कर भी बधाई दी थी.

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लवलीना सेमीफाइनल में हारीं

पीएम ने लिखा था कि आपने बेहतरीन लड़ाई लड़ी. आपकी सफलता कई भारतीयों को प्रेरित करने वाली है. आपकी इच्छाशक्ति तारीफ करने योग्य है. ब्रॉन्ज जीतने पर आपको बधाई. भविष्य के लिए शुभकामनाएं. जानकारी के लिए बता दें कि लवलीना का आज सेमीफाइनल मुकाबला था. बुधवार को 69 किलो वेल्टरवेट कैटेगरी के सेमीफाइनल में लवलीना को तुर्की की वर्ल्ड नंबर-1 मुक्केबाज बुसेनाज सुरमेनेली ने 5-0 से शिकस्त दी. पहले ही राउंड से बुसेनाज ने अपना दबदबा कायम रखा और अंत में वे जीत गईं.

लवलीना ने क्या बोला?

मैच हारने के बाद आज तक से बात करते हुए लवलीना ने कहा था कि मैं सोचकर गई थीं कि गोल्ड जीत कर आऊंगी. पूरी उम्मीद थी कि मैं मैच जीतूंगी. अंत तक उसी के लिए लड़ती रही. लेकिन अब जब हार गई हूं तो अपने आने वाले मैचों पर पूरा फोकस करने जा रही हूं. वैसे लवलीना के लिए ये ब्रॉन्ज भी इसलिए मायने रखता है क्योंकि उन्होंने काफी संघर्ष कर इसे अपने नाम किया है. ओलंपिक में आने से पहले वे कोरोना का भी शिकार हो चुकी थीं, इस वजह से उनकी ट्रेनिंग पर भी असर पड़ा था. लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के दम पर टोक्यो तक का सफर भी तय किया और यहां मेडल भी जीत लिया.

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