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पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भटटाचार्य ने कहा कि उनकी सरकार भाकपा (माओवादी) को प्रतिबंधित करने के केन्द्र सरकार के सुझाव पर गंभीरता से विचार कर रही है. माकपा के एक शीर्ष नेता ने कहा कि इस मुद्दे पर अन्य वाम दलों से भी चर्चा कर कोई फैसला किया जाएगा.
सभी वाम दलों के लिए विचारणीय मसला
भाकपा माओवादी पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य बिमान बोस ने कहा, ''यह केवल हमारी पार्टी का सवाल नहीं है. यह वाम मोर्चा सरकार से जुड़ा मसला है, इसलिए सभी वाम दलों को इस पर विचार करना होगा.'' उन्होंने कहा कि यह मसला केन्द्रीय समिति की मौजूदा बैठक के एजेंडे में नहीं है और इस पर चर्चा नहीं की गयी. इससे पहले पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भटटाचार्य ने कहा, ''गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने मुझे सुझाव दिया है कि इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाए. हमें इस पर गंभीरता से विचार करना होगा.''
चिदंबरम ने उठाया था मसला
चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा था कि राज्य सरकार को भाकपा माओवादी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. हमें लगता है कि पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में माओवादियों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. भटटाचार्य का यह बयान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री चिदंबरम और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ उनकी अलग अलग बैठकों के बाद आया है. इन बैठकों में राज्य के कुछ हिस्सों में माओवादी हिंसा के बारे में चर्चा हुई. मुख्यमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया कि तथाकथित संगठन पीपुल्स कमेटी अगेन्स्ट पुलिस टेरर के साथ उसके मजबूत संबंध हैं. यही संगठन लालगढ़ में सक्रिय है और इस संगठन के नेता छत्रधर महतो तृणमूल कांग्रेस के सदस्य हैं.
ममता बनर्जी पर पलटवार
वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने कहा कि बंगाल की जनता ने कुछ खराब ताकतों की हिंसा का एकजुट होकर मुकाबला किया है. ममता बनर्जी की इस मांग पर कि भटटाचार्य को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि वह खुद माओवादी हैं, बोस ने पलटकर कहा कि माओवादी नेता किशनजी ने खुद ही स्पष्ट किया है कि उसके संगठन ने नंदीग्राम हिंसा में भाग लिया था और 150 राइफलों की आपूर्ति की थी.
{mospagebreak}बोस ने कहा,'' किशनजी ने स्वीकार किया है कि क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही तृणमूल ने नंदीग्राम के लिए काफी हथियार खरीदे थे.'' इस बीच माकपा केन्द्रीय समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी की सभी इकाइयों से कहा है कि वे तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठजोड और माओवादी गिरोहों की आतंक की राजनीति के खिलाफ संघर्ष में एकजुट होकर खड़े हों.
पार्टी ने एक बयान में कहा, ''इसमें कोई संशय नहीं कि माकपा और उसके कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों के खिलाफ हमले पार्टी के गढ़ बंगाल में उसे कमजोर करने और ध्वस्त करने के लिए शक्तिशाली निहित स्वार्थी तत्वों की योजना का हिस्सा है.'' बयान में कहा गया कि इस साल मार्च से लेकर अब तक माकपा के 53 सदस्यों और समर्थकों की हत्या की जा चुकी है.