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भारत के प्रतिस्पर्धी देशों के दौड़ में आगे निकल जाने पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को रक्षा वैज्ञानिकों से आत्म निर्भरता हासिल करने के मकसद से शोध कार्यो में तेजी लाने तथा संवेदनशील तकनीक को समय से उपलब्ध कराने को कहा.
राष्ट्रीय तकनीक दिवस पर रक्षा वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा ‘यह सचाई है कि रक्षा शोध और विकास में आत्मनिर्भरता का जो मौजूदा स्तर है, वह हमारी क्षमताओं से कम है और इसमें विशेष रूप से तेजी लाए जाने की जरूरत है’. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में भारतीय वैज्ञानिकों ने काफी तेजी से प्रगति की है ‘लेकिन हमारे प्रतिस्पर्धी अक्सर तेज गति से आगे बढ़ जाते हैं.’
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनमें प्रतिस्पर्धा, नये आविष्कारों, अपना अधिकतम योगदान देने तथा समय पर तकनीक उपलब्ध कराने का जज्बा और क्षमता हो. वैज्ञानिकों को दौड़ में आगे बने रहने और नये विचारों के स्वागत के लिए तैयार रहने का सुझाव देते हुए प्रधानमंत्री ने उनसे गलतियों से सबक सीखने को भी कहा.
मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हमारे भीतर अपनी गलतियों को स्वीकार करने और उनसे सबक सीखने की क्षमता होनी चाहिए. यह सच है कि कई रक्षा परियोजनाओं में देरी हो रही है तथा उपकरणों को शामिल करने के चरण के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.’ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि यह जरूरी है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इन अनुभवों से सीखे और सशस्त्र बलों तथा उद्योग के साथ मिलकर और घनिष्ठ सहयोग से काम करे. उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि रक्षा क्षेत्र में उद्योग जगत की व्यापक भागीदारी जरूरी है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘सरकार इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सरकारी और निजी भागीदारी को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में प्रोत्साहित करेगी’. मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की क्षमताओं में तकनीकी अंतरालों को भरने के लिए रक्षा खरीद में ऑफसेट योजना का अवश्य इस्तेमाल किया जाना चाहिए. डीआरडीओ में फेरबदल योजना संबंधी समिति की सिफारिशों से सहमति जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यदि हम इस ओर अपना दिमाग लगाएं तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि हम साफ्टवेयर सेक्टर में हमारी सफलता को रक्षा सेक्टर में नहीं दोहराया जा सकता’.
उन्होंने कहा, ‘हमें रक्षा तकनीकों में शोध एवं विकास में कमान संभालने के लिए बढ़ना चाहिए. मैं यहां उपस्थित आप सभी लोगों से अपील करूंगा कि बड़ी सोच रखें और आत्मविश्वास, राष्ट्रभक्ति की भावना तथा शानदार प्रदर्शन करने की इच्छा के साथ काम करें.’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वह शैक्षणिक जगत के साथ घनिष्ठ संवाद विकसित करने के लिए शोध तथा विकास संगठनों और प्रयोगशालाओं को प्रोत्साहित करेंगे.
उन्होंने कहा, यह बेहद जरूरी है कि हम अपने युवाओं को शोध गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित करें और प्रोत्साहन दें. वैज्ञानिक प्रतिभा, उत्पादन क्षमताएं तथा दीर्घकालिक दृष्टिकोण का व्यापक आधार तैयार करने के लिए एकीकृत अवधारणा जरूरी है. प्रधानमंत्री ने रक्षा शोध सेक्टर में योगदान के लिए प्रयोगशालाओं, वैज्ञानिकों तथा उद्योगों को डीआरडीओ पुरस्कार भी प्रदान किए.