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भोपाल गैस त्रासदी के बारे में गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने समझा जाता है कि आपराधिक दायित्व तय करने के लिए उच्चतम न्यायालय में उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका दायर करने, यूनियन कार्बाइड के पूर्व सीईओ वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण और विषाक्त पदार्थों का निस्तारण कर परिसर को साफ करने की सिफारिश करने का आज निर्णय किया.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उपचारात्मक याचिका आरोपियों के आपराधिक दायित्व पर केन्द्रित होगी तथा अधिक कठोर आरोप लगाने का अनुरोध किया जायेगा. शीर्ष न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत गैर इरादतन हत्या के आरोपों को बदलकर लापरवाही संबंधी धारा के तहत आरोप लगाया था.
गृहमंत्री पी चिदंबरम के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह की आज लगातार तीसरे दिन बैठक हुई. जीओएम ने एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका से संपर्क करने का समर्थन किया है ताकि भोपाल गैस त्रासदी मामले में उसके खिलाफ भारत में मामला चलाया जा सके. वर्ष 1984 में दो और तीन दिसंबर की मध्यरात्रि में हुई इस त्रासदी में 15000 लोग मारे गये थे और हजारों लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे.{mospagebreak}
सूत्रों ने बताया कि जीओएम घटनास्थल पर दूषित मिट्टी का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के बारे में भी सिफारिश दे सकती है. इस काम को मध्य प्रदेश सरकार करेगी और इसके लिए केन्द्र सरकार वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध करायेगी.
बैठक के बाद चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा कि जीओएम ने सभी विचारणीय विषयों पर चर्चा की और सोमवार तक प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपे जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘‘बैठक का विवरण तैयार किया जा रहा है. विवरणों को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार को जीओएम बैठक फिर होगी. साथ ही सिफारिशों और निष्कर्षों को भी अंतिम रूप दिया जायेगा. मुझे उम्मीद है कि कल तक प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेज दी जायेगी.’’ चिदंबरम ने कहा कि जीओएम के चौथे एवं अंतिम सत्र में आज उपचार और पर्यावरण मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया.{mospagebreak}उन्होंने कहा, ‘‘प्रभावित स्थल पर दूषित मिट्टी, दूषित जल और विषाक्त कचरे आदि के उपचार की जरूरत है.’’ सूत्रों ने बताया कि जीओएम ने पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा प्रदान करने के मुद्दे पर व्यापक विचार विमर्श किया क्योंकि अभी तक दिया गया मुआवजा अपर्याप्त है.