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जम्मू कश्मीर और अन्य मामलों पर चीन द्वारा भारत को लगातार ‘कौंचने’ पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत को चीन के साथ मामलों में पर्याप्त एहतियात बरतनी होगी, लेकिन साथ ही उनके हल होने की उम्मीद भी छोड़नी नहीं होगी.
संपादकों के एक समूह के साथ मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन के संबंध होड़ और सहयोग का मिश्रण रहे हैं और ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करनी चाहिए कि एशिया के इन दो दिग्गजों के बीच शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा हो सके. उन्होंने याद दिलाया कि वह चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ काम कर चुके हैं, जिनसे वह लगभग हर वर्ष मुलाकात कर रहे हैं.
सिंह से चीन द्वारा जम्मू कश्मीर में तैनात एक भारतीय जनरल को वीजा देने से इनकार करने और राज्य के लोगों को स्टैप्लड वीजा देने पर अड़े रहने के संबंध में पूछे जाने पर यह बात कही. पाकिस्तान के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका यह पक्का विश्वास रहा है कि पाकिस्तान की व्यवस्था में तमाम पेचीदगियों के बावजूद भारत को उससे बात करते रहना चाहिए, लेकिन मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्हें भारत की जनता के रवैए को भी ध्यान में रखना था.
जुलाई में भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच बातचीत की विफलता पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत पाक संबंधों में दुर्घटनाएं हमेशा होती रही हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि बातचीत करते रहना ही भारत पाक संबंधों की पेशकदमी का एकमात्र रास्ता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि कुरैशी भारत की यात्रा पर आने का कृष्णा का न्यौता स्वीकार कर लेंगे.