
1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को गुरुवार सुबह फांसी दे दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उसकी याचिका खारिज कर दिया और टाडा कोर्ट के डेथ वॉरंट को भी सही ठहराया. याकूब मेमन को जल्लाद नहीं बल्कि जेल सुपरिटेंडेंट ने फांसी दी. याकूब को फांसी की प्रक्रिया रही, वह कितने समय तक चली, फांसी से पहले क्या-क्या हुआ और फांसी किसने दी, जानिए इन 10 बातों के जरिये:
1. टाडा कोर्ट ने याकूब मेनन की फांसी को लेकर नागपुर जेल को डेथ वॉरंट भेजा. हर डेथ वॉरंट की तरह, इस पर भी फांसी की तारीख और समय लिखा हुआ था. तारीख लिखा था- 30 जुलाई और समय तय सुबह 6.25 बजे.
2. सरकार से सलाह के बाद जेल प्रशासन फांसी की तारीख बदल भी सकता था. लेकिन इसकी सूचना कोर्ट को देनी जरूरी होती. तारीख बदलने के लिए सुरक्षा संबंधी दिक्कतों जैसा मजबूत आधार होना चाहिए.
3. महाराष्ट्र में सिर्फ दो जेलों में फांसी की सजा का इंतजाम है. ये हैं पुणे की यरवडा जेल और नागपुर सेंट्रल जेल.
4. याकूब को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई. फांसी के लिए जो रस्सी इस्तेमाल की गई, वह भी नागपुर जेल में बनी है.
5. फांसी देने की प्रक्रिया में तकरीबन दो घंटे का समय लगा. फांसी के समय से दो घंटे पहले याकूब को (नींद से) उठा दिया गया. इसके बाद वह नहाने गया. उसके बाद उसे मौका दिया गया कि अगर वह कोई धार्मिक किताब पढ़ना चाहता है या प्रार्थना करना चाहता है तो उसे इसकी इजाजत है. यहां तक कि अगर वह मौलाना की जरूरत महसूस करता है तो यह मांग भी पूरी की जाती.
6. इसके बाद याकूब को उसकी मांग के आधार पर पसंदीदा खाना दिया गया.
7. याकूब को किसी जल्लाद ने फांसी नहीं दी. बल्कि जेल सुपरिटेंडेंट योगेश देसाई ने खुद फांसी का फंदा उसकी गर्दन में डाला. योगेश देसाई ने ही कसाब को फांसी दी थी.
8. फांसी के बाद उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल ले जाया जाएगा.
9. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, याकूब का शव उसके परिवार को सौंप दिया जाएगा. इसके बाद याकूब का परिवार तय करेगा कि वे उसे सुपुर्दे-ए-खाक करना चाहते हैं या नहीं.
10. सूत्रों के मुताबिक, याकूब का परिवार उसके शव को मुंबई ले जाएगा. इसके मद्देनजर मुंबई में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए जाएंगे.