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10 साल की रेप पीड़ित के बच्चे का बाप निकला उसका छोटा मामा, , DNA में खुलासा

बच्ची की नई डीएनए रिपोर्ट के आधार पर पता चला कि पीड़िता का छोटा मामा ही उसके बच्चे का पिता है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बच्ची के बड़े मामा ने भी उससे कथित तौर पर बलात्कार किया था और उसे गिरफ्तार किया गया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
परमीता शर्मा
  • चंडीगढ़,
  • 11 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:20 AM IST

चंडीगढ़ की रहने वाली 10 साल की रेप पीड़िता के बारे में पुलिस ने मंगलवार को बताया कि बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाला शख्स उसका छोटा मामा ही है. पुलिस के अनुसार, पहले संदेह किया जा रहा था कि पीड़िता के बच्चे का पिता उसका बड़ा मामा है, जबकि बच्चे का पिता लड़की का छोटा मामा निकला. बता दें कि बच्ची ने इस साल अगस्त में एक बच्चे को जन्म दिया है.

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नई डीएनए रिपोर्ट के आधार पर पता चला कि पीड़िता का छोटा मामा ही उसके बच्चे का पिता है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बच्ची के बड़े मामा ने भी उससे कथित तौर पर बलात्कार किया था और उसे गिरफ्तार किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि बच्ची ने बड़े मामा के डीएनए का नमूना नवजात के डीएनए से ना मिलने पर उसके छोटे भाई पर संदेह गया. उस पर भी पीड़ित से बलात्कार करने का आरोप है.

चंडीगढ़ के एसएसपी जगदाले नीलांबरी विजय ने मंगलवार शाम बताया कि पीड़िता के छोटे मामा के डीएनए का नमूना नवजात के डीएनए के नमूने से मिल गया. उन्होंने बताया कि बच्ची के दोनों मामा ने उसका यौन उत्पीड़न किया था.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र जज पूनम आर जोशी की अदालत में एक पूरक आरोप पत्र आज दाखिल किया गया. बलात्कार पीड़ित का गर्भपात का अनुरोध उच्चतम न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया था. उसने अगस्त में यहां सेक्टर 32 के गवनर्मेंट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सीजेरियन से एक बच्चे को जन्म दिया था.

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बच्ची के परिवार वालों और डॉक्टरों ने उससे कहा था कि उसके पेट में पथरी है और उसे निकालना होगा. पूर्व में पुलिस ने बताया कि लड़की के साथ उसके बड़े मामा ने कई माह तक कथित तौर पर बलात्कार किया.

इस अपराध का पता तब चला जब बच्ची ने जुलाई में पेट में दर्द होने की शिकायत की और उसे अस्पताल ले जाया गया. जांच में पता चला कि उसके पेट में 30 सप्ताह का गर्भ है. उच्चतम न्यायालय ने 28 जुलाई को बलात्कार पीड़ित का, 32 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात कराने का अनुरोध खारिज कर दिया. यह व्यवस्था न्यायालय ने उस मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर दी जिसमें कहा गया था कि गर्भपात पीड़ित और भ्रूण दोनों के हित में नहीं है.

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