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उत्तर प्रदेशः जीत की लय बरकरार रखने की चुनौती

राज्य में होने वाले 11 विधानसभा उपचुनाव भाजपा और योगी सरकार के कामकाज की अग्निपरीक्षा होगी, जबकि विपक्ष की रणनीति भी तय होगी

मनीष अग्निहोत्री मनीष अग्निहोत्री
आशीष मिश्र
  • उत्तर प्रदेश,
  • 07 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए उपचुनाव हमेशा से चुनौती भरे रहे हैं. 2012 से अब तक उत्तर प्रदेश में कुल 13 विधानसभा उपचुनाव हुए हैं जिनमें केवल चार में ही भगवा पार्टी जीत पाई है. इनमें से एक विधानसभा सीट हमीरपुर भी है. यह सीट पूर्व भाजपा विधायक अशोक चंदेल को हत्या के मामले में सजा होने से खाली हुई थी. हमीरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के 27 सितंबर को आए नतीजों ने हालांकि भाजपा उम्मीदवार युवराज सिंह को जीत तो दिलाई पर भगवा खेमे को चौकन्ना कर दिया. इस उपचुनाव में मतदान प्रतिशत घटने की वजह से सभी दलों के वोट कम हुए लेकिन भाजपा को सबसे ज्यादा झटका लगा. पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में मिले वोटों में 36 हजार से अधिक की कमी आई.

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भगवा दल की अगली चुनौती 21 अक्तूबर को 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव हैं जिनमें रामपुर और जलालपुर को छोड़कर आठ सीटें भाजपा और एक सीट अपना दल (एस) के कब्जे में थीं (देखें बॉक्स). बनारस विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग से रिटायर प्रोफेसर डॉ. एस.के. सिंह कहते हैं, ''2019 के लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटें जीती हों लेकिन विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के सामने 'मोदी फैक्टर' के अभाव में जीत की लय बरकरार रखने की चुनौती है. प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल के ठीक आधे रास्ते पर हो रहे ये चुनाव, जाहिर है, प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रति जनता में रुझान का पैमाना भी होंगे.''

नवरात्रि के पहले दिन विधानसभा उपचुनाव वाली सीटों पर घोषित प्रत्याशियों में भाजपा ने संगठन को तरजीह देकर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की कोशिश की है. लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर कुल डेढ़ सौ से अधिक नेताओं ने अपनी दावेदारी ठोंकी थी. लेकिन भाजपा ने अवध क्षेत्र के अध्यक्ष और लखनऊ कैंट के पूर्व विधायक सुरेश तिवारी पर भरोसा जताया. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई लखनऊ कैंट की पूर्व विधायक रीता बहुगुणा जोशी के चलते तिवारी को वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था. रीता के इलाहाबाद से सांसद बनने के बाद तिवारी टिकट की दौड़ में आ गए और पार्टी में अनुभव के लिहाज से दूसरे दावेदारों पर काफी भारी पड़े.

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कानपुर की गोविंदनगर विधानसभा सीट पर घोषित उम्मीदवार सुरेंद्र मैथानी कानपुर उत्तर महानगर के भाजपा अध्यक्ष हैं. अलीगढ़ की इगलास और मऊ की घोसी विधानसभा सीट पर भाजपा ने इन जिलों के जिला महामंत्रियों पर दांव लगाया है. सीट पर उम्मीदवार राजकुमार सहयोगी अलीगढ़ भाजपा के जिला महामंत्री हैं. भाजपा के एक प्रदेश महामंत्री बताते हैं, ''विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन तीन स्तरीय स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही किया है. हर प्रक्रिया में स्थानीय संगठन को भी विश्वास में रखा गया ताकि चुनाव के दौरान किसी प्रकार की गुटबाजी या असंतोष न पनपने पाए.'' प्रत्याशियों के चयन में भाजपा ने एक बार फिर अपने चिरपरिचित अगड़ा-पिछड़ा गठजोड़ पर दांव लगाया है. सामान्य सीटों पर घोषित सात प्रत्याशियों में (एक सीट पर अपना दल का उम्मीदवार है) तीन ब्राह्मण, एक वैश्य, एक ठाकुर और दो पिछड़े हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद सुहेलदेव भारत समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को योगी मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के बाद भाजपा राजभर समुदाय को जोडऩे का भरसक उपाय कर रही है. इसी क्रम में पार्टी ने घोसी सीट पर एक सब्जी विक्रेता के पुत्र और मऊ जिले के पूर्व सभासद विजय राजभर पर दांव खेला है. भाजपा की सहयोगी अपना दल के खाते में गई प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट पर एक बार फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की कहानी दोहराई गई है. इस चुनाव में प्रतापगढ़ सदर से चुनाव लडऩे के लिए संगम लाल गुप्ता भाजपा के संपर्क में थे. ऐन मौके पर यह सीट अपना दल (एस) के खाते में चली गई और भाजपा के दबाव में अपना दल ने संगम लाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया. संगम लाल के प्रतापगढ़ से सांसद बनने के बाद खाली हुई प्रतापगढ़ सदर सीट पर एक बार फिर भाजपा और अपना दल (एस) के बीच जमकर रस्साकसी चली. अंत में भाजपा प्रतापगढ़ के जिला मंत्री राजकुमार पाल को अपना दल (एस) का टिकट दिलवाने में कामयाब हो गई.

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11 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की सबसे कठिन राह रामपुर और जलालपुर सीट पर है. रामपुर विधानसभा सीट पर भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पाई है. पार्टी ने यहां भारतभूषण गुप्ता को समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और रामपुर के सांसद आजम खाने की पत्नी तंजीम फात्मा के सामने उतारा है. बरेली कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. दिलीप वर्मा बताते हैं, ''रामपुर में भाजपा उम्मीदवार का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार सपा के वोट बैंक में कितना सेंध लगा पाते हैं.''

जलालपुर विधानसभा सीट पर भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा से हार जाने वाले राजेश सिंह को मैदान पर उतारा है. ब्राह्मणों की खासी तादाद वाली इस सीट पर प्रदेश सरकार में विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक को प्रभारी बनाकर जातिगत समीकरणों को साधने का तानाबाना बुना गया है.

उपचुनाव भाजपा ही नहीं, बल्कि यूपी में बिखरे पड़े विपक्ष के लिए भी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले रणनीति की दिशा और दशा आंकने का पैमाना होगा.

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