
भागदौड़ की जिंदगी में लोग न सिर्फ मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, बल्कि अपनी जिंदगी की लीला को भी खत्म कर रहे हैं. मसलन खुदकुशी कर रहे हैं, खासकर बच्चे और जवान. 10 साल की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 1000 में से 12 से 15 लोग आत्महत्या कर रहे हैं. जिसका आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.
देश की राजधानी में मानसिक सेहत से जुड़ी बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मेंटल हेल्थ अवेयरनेस सप्ताह मनाया जा रहा है. मेंटल हेल्थ से जुड़े एक सेमिनार में युवाओं को लेक्चर देने पहुंचे सत्येंद्र जैन ने कहा कि हमारी सोच रिजर्व हो गई है. हमें आपस में मिलकर बात करनी चाहिए. एक ग्रुप बनाना चाहिए और महीने में एक बार जरूर बातचीत करें. मेंटल हेल्थ के बारे में जागरूक करने के लिए 10 दिन का प्रोग्राम बनाया है. हमारे पास बहुत कम मनोवैज्ञानिक हैं, उसे भी बढ़ाने की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जा सके.
इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बेहिवियर एंड अलिएड साइंस ने सर्वे से पाया कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या बच्चों, बुजुर्ग और महिलाओं में ज्यादा बढ़ रही है. इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली, लखनऊ, चेन्नई में तीन चौथाई मानसिक रोगी इलाज नहीं करवा पाए. आंकड़े बताते हैं कि पूरे हिंदुस्तान में कम से कम 10% लोगों को मानसिक रोग है, जिनमें से 2% गंभीर मामले हैं, 7% डिप्रेसन के और इमोशनल के. लेकिन चिंता की बात ये है कि मानिसक रोग से पीढ़ित रोगी को इस बीमारी से निपटने के बारे में जागरूक किया ही नहीं गया.
पिछले दिनों कई मामले सामने आए, जो बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य की तरफ इशारा करते हैं-
1. सीबीआई की जांच झेल रहे बंसल परिवार के सभी 4 सदस्यों का खुदकुशी करना.
2. एक युवक का बुराड़ी में 21 साल की लड़की की कैंची से कई बार वार करके, दिनदहाड़े हत्या करना.
3. सरकारी स्कूल में 12वी क्लास के बच्चों का अपने शिक्षक को जान से मार देना.
इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बेहिवियर एंड अलिएड साइंस (IHBAS) के डायरेक्टर डॉ. निमेष देसाई ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य से जिसको तकलीफ होती है, उसके बारे में परिवार जानकारी छुपाने की कोशिश करता है, इसलिए हमारी कोशिश जागरूक करने की होती है. आंकड़ों के मुताबिक हिंदुस्तान में हर 1 हजार में 12 से 15 मामले आत्महत्या के हैं. ये ऐसे मामले हैं जिन्हें आत्महत्या से पहले रोका जा सकता था.
जाहिर है कि हाल ही में हत्या और आत्महत्या के ऐसे मामले सामने आए हैं, जो शहर में बढ़ती मानसिक बीमारी की तरफ इशारा करते हैं. फिलहाल दिल्ली सरकार ने इस बीमारी के बारे में अस्पतालों में कैंप लगाने और लोगों को जागरूक करने का दावा किया है. हालांकि एक्सपर्ट ये मानते हैं कि मानसिक बीमारी के रोग को आपस में बातचीत करके भी ठीक किया जा सकता है.